जल संकट के चलते लगातार हालात बद से बदत्तर हो रहे है। रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून कहकर युगदृष्टा कवि रहीम ने भविष्य में पानी की उत्पन्न होने वाली कठिनाईयों के प्रति भले ही चेतावनी दे दी लेकिन स्वार्थ और हबस के चलते गंगा, यमुना, गोमती की भूमि उत्तर प्रदेश भीषण जल संकट के मुहाने पर खड़ा है। गंगा और यमुना भीषण प्रदूषण के चलते गंदे नाले के रूप में तब्दील होने को विवश है। प्रदेश विधानसभा में लघु सिंचाई मंत्री पारस नाथ यादव ने एक प्रश्न के उत्तर में बताया है कि
प्रदेश के 25 जनपदों के 67 ब्लाॅक भूमिगत जल स्त्रोत नीचे खिसक जाने के कारण भूगर्भ जल स्तर की सबसे ज्यादा गिरावट रिकार्ड की गई है। आगरा, अम्बेडकर नगर, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायू, बुलन्दशहर, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, महामायानगर, जीपीनगर, जौनपुर, कानपुर, कौसाम्बी, लखनऊ, मथुरा मेंरठ , मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुजफ्रनगर, सहारनपुर, प्रतापगढ़, रायबरेली, वाराणसी है। भूजल वैज्ञानिकों का कहना है कि भूमिगत जल स्तर में कमी आने के कारण है। प्रतिवर्ष बरसात में कमी आना, वर्षा जल का ठहराव नहीं होना, सिंचाई कार्याे के लिए अंधाधुंध कुंओं तथा बोरिंग की खुदाई हो जाना, अनियंत्रित जल दोहन है। इन भयावह होते हालात पर प्रदेश के पूर्व भूगर्भ जल निदेशक से जब इस संवादताता ने बात की तो उन्होंने अपनी विवशता को स्पष्ट करते हुए कहा कि 10-12 वर्षों में पानी के लिए छीना-झपटी से लेकर गृह युद्ध तक के हालात को कोई रोक नहीं पाएगा।
जल स्तर के अत्याधिक दोहन और प्राकृतिक वर्षो में आ रही निरन्तर गिरावट ने स्थिति और बिगाड़ दी है
आज कुओं, तालाबों के सूखने और हैडपंपों का पानी प्रदूषित होने के कारण गांवो तक में बोतल बंद पानी पहुंच गया है। राजधानी लखनऊ में तालाब भूमाफिया के शिकार होकर समाप्त हो रहे हैं। लखनऊ नगर निगम मुख्यालय पर भूगर्भ जल रीर्चज सिस्टम के पाईप जगह-जगह से टूट गये है। राजधानी में लगातार गिरते भूगर्भ जल भंडार आने वाले दिनों की चेतावनी दे रहे है।
भूगर्भ जल के घटते स्तर को ध्यान में रखकर प्रदेश की सरकार सार्थक पहल करते हुऐ बूँद-बूँद पानी का हिसाब लेने की तैयारी कर कर रही है। गिरते हुए भूजल स्तर को राकने के लिये स्थानीय हाईड्रोजियोलाजिकल परिस्थितियों के अनुसार वर्षा जल संचयन एवं भूजल सवर्धन कार्यक्रम की प्लानिंग की जा रही है। गौरतलब है कि बीते वर्षो में प्रदेश के 40 जनपद संकट ग्रस्त माने जाते थे लेकिन अब बुन्देलखण्ड के जनपदों का नाम इस सूची से हट गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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