उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के चेयरमैन डाॅ0 प्रकाश बक्शी ने आज यहां उनके सरकारी आवास पर भेंट की। मुख्यमंत्री ने डाॅ0 बक्शी के साथ राज्य के विकास और प्रदेश सरकार की विभिन्न प्राथमिकताओं के सम्बन्ध में विस्तार से विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि गांव और किसान राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल हैं। इसके दृष्टिगत उन्होंने प्रदेश के विकास से जुड़े विभिन्न प्रकरणों पर नाबार्ड द्वारा शीघ्र निर्णय लिए जाने का अनुरोध किया है।
भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा राज्य के 25 गैर लाइसेंस प्राप्त जिला सहकारी बैंकों के निक्षेप एवं संचय पर लगाये गये प्रतिबंध का उल्लेख करते हुए नाबार्ड से इस रोक को तत्काल समाप्त कराने तथा इन बैंकों को पूर्व की भांति बैंकिंग व्यवसाय करने की छूट दिलाने का आग्रह किया। उन्होंने वैद्यनाथन कमेटी की संस्तुतियों के अनुरूप जिला सहकारी बैंकों एवं पैक्स के रिवाइवल पैकेज के तहत राज्य को प्राप्त होने वाली केन्द्रांश की अवशेष 922.28 करोड़ रूपये की धनराशि तत्काल अवमुक्त करने के लिए भी कहा।
मुख्यमंत्री ने उ0प्र0 सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के विभिन्न मुद्दों पर चेयरमैन से विचार-विमर्श करते हुए कहा कि नाबार्ड के पास 416 करोड़ रुपये के पुनर्वित्तीय प्रस्ताव लम्बित हैं जिनका ऋण पत्र निर्गमन 30 जून, 2012 तक किया जा सकता है। नाबार्ड द्वारा निर्गमन की स्वीकृति शासकीय गारण्टी उपलब्ध होने के बावजूद नहीं दी जा रही है। उन्होंने इस सम्बन्ध में चेयरमैन से शीघ्र निर्णय लेने का आग्रह करते हुए कहा कि पुनर्वित्त के अभाव में बैंक का व्यवसाय बन्द हो गया है, जिससे भविष्य में बैंक एवं प्रदेश की वित्तीय विश्वसनीयता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। श्री यादव ने फसली ऋण वितरण की चर्चा करते हुए कहा कि वर्ष 2012-13 में 4265 करोड़ रूपये फसली ऋण वितरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नाबार्ड द्वारा कम से कम 2250 करोड़ रूपये की धनराशि आवंटित की जाए। उन्होंने फसली ऋण पुनर्वित्त की ब्याज दर पूर्व की भांति 2.5 प्रतिशत ही रखने का आग्रह करते हुए कहा कि नाबार्ड द्वारा किसानों को सहकारी संस्थाओं द्वारा अधिकतम 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण सुलभ कराने की शर्त रखी गयी है। उन्होंने कहा कि राज्य में नाबार्ड की इस शर्त का अनुपालन किया जा रहा है। भारत सरकार की पूर्वी प्रदेशों में हरित क्रांति योजना (बी0जी0आर0ई0जे0) के तहत, राज्य के पूर्वी जनपदों में 28704 संयुक्त देयता समूह (जे0एल0जी0) स्थापित करने के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने नाबार्ड से इन समूहों का स्केल आॅफ फाइनेंस प्राथमिकता के आधार पर बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने मुर्गी एवं बकरी पालन तथा डेयरी जैसी अन्य जनोपयोगी योजनाओं का अधिकाधिक वित्त पोषण किए जाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में शीर्ष बैंक एवं जिला सहकारी बैंकों का आॅडिट चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट (सी0ए0) द्वारा कराया जा रहा है। वर्ष 2010-11 के सभी बैंकों का आॅडिट कार्य पूर्ण हो चुका है। मुख्यमंत्री ने नाबार्ड द्वारा सहकारी बैंकों के कम्प्यूटरीकरण हेतु सी0डी0एफ0 से वित्तीय सहायता सुलभ कराने का अनुरोध करते हुए कहा कि राज्य के सहकारी बैंकों की कमजोर वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह निर्णय शीघ्र लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नाबार्ड के निर्देशों के अनुसार अब तक 50 जिला सहकारी बैंकों में से 15 बैंकों में सी0बी0एस0 व्यवस्था लागू कर दी गई है। राज्य में कृषि उत्पादों के भण्डारण की चर्चा करते हुए उन्होंने और अधिक भण्डार गृहों के निर्माण के लिए नाबार्ड से आर0आई0डी0एफ0 के अन्तर्गत अधिक से अधिक वित्त पोषण करने का आग्रह किया। इसके अलावा उन्होंने कृषि, शिक्षा, सिंचाई, लोक निर्माण विभाग की आवश्यकताओं को देखते हुए राज्य की ऋण उपभोग क्षमता में वृद्धि करने का भी आग्रह किया। बैठक में लोक निर्माण, सिंचाई व सहकारिता मंत्री शिवपाल सिंह यादव, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चन्द्र बाजपेई, कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन तथा सिंचाई, वित्त, सहकारिता एवं कृषि विभागों के प्रमुख सचिव एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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