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विधान परिषद में हृदयनारायण दीक्षित सदस्य विधान परिषद भाजपा ने नियम 115 के अन्तर्गत अविलम्बनीय लोकमहत्व के तीन विषय उठाये

Posted on 05 June 2012 by admin

विषय पर ध्यानाकर्षण सूचना
उत्तर प्रदेश में पशु वधशालाओं की बाढ़ आ गयी है। पशु वधशालाओं के लायसेंस अंधाधुंध जारी हो रहे हैं। राज्य में हजारों पशु प्रतिदिन कट रहे हैं। गोतस्करी जारी है। गोहत्याएं बढ़ी हैं। उन्नाव, मेरठ आदि जिलो की पशु वधशालाएं तमाम सुस्थापित मानकों के विपरीत चल रही हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है। पशु सम्पदा लगातार घट रही है। दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है।
भारतीय संविधान के भाग 4-“राज्य के नीति निर्देशक तत्व” के अन्तर्गत अनुच्छेद 48 में राज्य से अपेक्षा की गई है कि “राज्य विशिष्ट तथा गायों बछड़ों व अन्य दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परिरक्षण, सुधार और उनके वध का प्रतिषेध करने के लिए कदम उठाएगा।” लेकिन उ0प्र0 में संविधान के इस नीति निर्देशक तत्व की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। संविधान निर्माता पशुवध निषेध चाहते थे। सरकार वधशालाएं खोल रही है। राज्य के आमजनों में गुस्सा है। पशु वधशालाएं बंद होनी चाहिए।
मा0 सभापति ने सरकार को आवश्यक कार्यवाही के लिये निर्देशित किया है।
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नियम 111 के अधीन वक्तव्य की मांग
जापानी बुखार के नाम से चर्चित बीमारी ने हजारों जीवन छीने हैं। राज्य के पूर्वांचल में इस बीमारी का हमला भयानक महामारी की तरह आता है। साल के कुछेक महीनों के दौरान गोरखपुर सहित पूर्वांचल के अस्पतालों में मरीज भर्ती की जगह भी नहीं रहती। तमाम अध्ययनों में पाया गया है कि पूर्वांचल के तमाम जिलों के भूगर्भ जल स्तर की ऊपरी सतह का पानी प्रदूषित है। गहरे बोर के हैण्डपम्प लगाकर शुद्ध पानी की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। लेकिन सरकार ने शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का दायित्व नहीं निभाया। 2007-08, 2008-09, 2010-11 व 2011-12 के वर्ष में उक्त बीमारी के संक्रमण व इससे हुई मौतों में लगातार इजाफा हुआ है। पूरे तथ्यों से सरकार अवगत है। लेकिन सरकार की ओर से इस बीमारी की रोकथाम व उपचार के प्रयास शून्य रहे हैं। बीमारी महामारी का रूप ले चुकी है।
मा0 सभापति ने सरकार को आवश्यक कार्यवाही के लिये निर्देशित किया है।
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विधान परिषद प्रक्रिया नियमावली के नियम 39क के अधीन औचित्य प्रश्न की सूचना
बजट भाषण सहित अनेक अन्य अवसरों पर सत्तापक्ष सहित अन्य अनेक महानुभावों द्वारा ‘अल्पसंख्यक वर्ग/समुदाय’ शब्दावली का प्रयोग होता है। बजट भाषण (पृष्ठ 14) में भी “अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण के लिए 2,074.11 करोड़ रूपये की योजनाएं बजट में प्रस्तावित करने” की बात मा0 नेता सदन ने इसी आदरणीय सदन में कही है। मा0 नेता सदन का यह वक्तव्य मा0 सदन की कार्यवाही का भाग है। सदन की प्रक्रिया नियमावली की धारा 2 में सदन के कामकाज की धारा 2 में सदन के कामकाज में आने वाले अनेक शब्दों की परिभाषाएं हैं लेकिन ‘अल्पसंख्यक’ शब्द की परिभाषा नहीं है।
भारत के संविधान के अनु0 366 में “परिभाषाएं” शीर्षक से 30 प्रमुख शब्दों की परिभाषाएं हैं। यहां आंग्ल भारतीय समुदाय की परिभाषा है लेकिन अल्पसंख्यक शब्द की परिभाषा नहीं है। अनु0 29 में अल्पसंख्यक वर्ग का नाम आया है लेकिन परिभाषा नहीं है। आदरणीय सदन में इस ‘शब्द पद’ का बहुधा प्रयोग होता है लेकिन अर्थ स्पष्ट नहीं होता। सब अपने-अपने अर्थ लगाते हैं। सत्ता दल की ओर से प्रायः इसका अर्थ एक आस्था विशेष मानने वाले सम्प्रदाय से लिया जाता है। मा0 सभापति ने सरकार को आवश्यक कार्यवाही के लिये निर्देशित किया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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