भारतीय जनता पार्टी ने अपना गेहूॅ न बिकने से परेशान होकर किसान के द्वारा खुद ही आग लगा देने की घटना पर प्रदेश की सपा सरकार को आडे़ हाथो लिया। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डा0 मनोज मिश्र ने कानपुर के घाटमपुर क्षेत्र के साढ़ गेहूॅ खरीद केन्द्र पर तीन दिनेां से ट्राली लेकर लौट रहे किसान द्वारा प्रभारी सचिव से तंग आकर अपने ही गेहूॅ के बोरो मे आग लगा देने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के औचक निरीक्षण मात्र दिखावा साबित हुए। पूरे प्रदेश मे गेहूॅ खरीद के नाम पर किसानों का तरह-तरह से उत्पीड़न किया जा रहा है। बोरो की कमी का बहाना, घटतौली, घूस तथा कई -कई दिनों तक इन्तजार करने के बाद किसान मजबूर होकर औने-पौने दामों में गेहूॅ बिचैलियों को बेचने को मजबूर हो रहे हैं। गेहूं बेचने के लिए कई-कई दिनों किसानों को भूखों तक रहना पड़ता है।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 मिश्र ने कहा कि पीडि़त किसान का यह कहना कि ’कोई सुनने वाला नही है , किसान घुट-घुट कर मर रहा है’ किसानों की बदहाली और बेबसी की कहानी बयाॅ कर रहा है। प्रदेश की सपा सरकार इस समय खुद अपनी पीठ भले ही थपथपा ले परन्तु इस ढ़ाई महीने के सपा शासन में किसानेा के उत्पीड़न की पराकाष्ठा हो गई है। डा0 मिश्र ने एक और उदाहरण देकर बताया कि कानपुर के सरसौल मे भी इसीतरह की घटना की पुरावृत्ति होते-होते बची।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 मिश्र ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी भलें ही अपने बजट को किसानो और नौजवानों का बजट कहें परन्तु प्रदेश के किसानो की समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो रहा हैं। प्रदेश के पूर्वान्चल और बुन्देलखण्ड के किसान तिल-तिल कर मर रहे है। डा0 मिश्र ने कहा कि बुन्देलखण्ड के किसान एक तरफ सूखे की मार , कर्ज की रकम पर उगाही तथा पानी की किल्लत के कारण बेहाली और बदहाली का जीवन जीने को मजबूर है। बुन्देलखण्ड मे मात्र मई माह में 14 किसानों द्वारा आत्महत्या किया जाना प्रदेश सरकार द्वारा किसानो की अनदखी का प्रमाण है। प्रदेश प्रवक्ता डा0 मिश्र ने सपा सरकार को चेताया कि हरहाल में प्रदेश के अन्नदाता को उसके उत्पादन के उचित मूल्य के साथ-साथ आर्थिक तथा समाजिक सुरक्षा उपलब्ध करना सरकार की जिम्मेदारी है। प्रदेश में किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए ’दूसरी हरित क्रांति’ की आवश्यकता हैं जिसका इस बजट में पूर्ण अभाव हैं। प्रदेश सरकार की अनदेखी के कारण किसानों का जीना मुहाल हो गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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