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प्रमोशन में आरक्षण एवं परिणामी ज्येष्ठता

Posted on 28 May 2012 by admin

प्रमोशन में आरक्षण एवं सरकारी ठेकों में आरक्षण समाप्त करके उ0प्र0 सरकार ने संविधान की मूल भावना के साथ खिलवाड़ किया है। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का बहाना लेकर आरक्षण समाप्त किया है। ”प्रमोशन में आरक्षण एवं परिणामी ज्येष्ठता“ का प्राविधान करते समय सरकार ने प्रक्रियात्मक त्रुटि किया है। इसी का संज्ञान लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने उक्त आरक्षण प्राविधान को असंवैधानिक करार दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने एम. नागराज मामले के फैसले का हवाला देकर कहा है कि आरक्षण अधिनियम एवं ज्येष्ठता नियमावली में संशोधन करते समय सरकार ने सरकारी सेवाओं में अनु0जाति/जनजाति के कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व एवं उसके पिछड़ेपन की अध्ययन रिपोर्ट नहीं तैयार कराया। उत्तर प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार के पास अब भी विकल्प खुला है। परन्तु सरकार के रवैये से उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश के अनु0जाति/जनजाति तथा अन्य पिछड़ा व वंचित समाज आहत है। विवश होकर BSEF(बहुजन समाज इम्प्लाइज फेडरेशन) एवं BS.4 (बहुजन समाज स्वाभिमान संघर्ष समिति) ने आरक्षण के समर्थन में निर्णायक संघर्ष का रास्ता अपनाया है।
धरने पर बैठे आन्दोलनकारियों को आज सातवें दिन सम्बोधित करते हुए BS.4 के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री, उ0प्र0 सरकार श्री आर0के0 चैधरी ने कहा कि धरना अनिश्चित काल तक चलेगा और यदि केन्द्र व राज्य सरकार ने समय रहते आरक्षण बहाली के लिए सार्थक कदम न उठाया तो भविष्य में BS.4 के कार्यकर्ता प्रदेश भर में सड़कों पर प्रदर्शन करेंगे व सड़कों को जाम करेंगे। श्री आर0के0 चैधरी ने कहा कि आरक्षण समर्थक संगठनों से तालमेल करके आन्दोलन को तेज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि माननीय सांसदों, विधायकों तथा दलीय नेताओं से अपील किया गया है कि वे संसद व प्रदेश की विधान सभा में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठायें। धरने पर महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन दिया गया जिसमें निम्नलिखित मांग की गयी।
1.    उत्तर प्रदेश सरकार सर्वोच्च न्यायालय की मंशा के अनुरूप सरकारी सेवा में अनु0जाति/जनजाति के प्रतिनिधित्व एवं उसके पिछड़ेपन की स्थिति का विस्तृत ब्यौरा तैयार करके ‘प्रमोशन में आरक्षण’ एवं ‘परिणामी ज्येष्ठता’ के लिए नया प्राविधान करे। इसके अतिरिक्त सरकारी ठेकों में आरक्षण बहाल करें।
2.    केन्द्र सरकार संविधान में संशोधन करके एक ”राष्ट्रीय आरक्षण कानून“ बनायें व उसे संविधान की नौंवीं अनुसूची में सम्मिलित करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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