उ.प्र. सरकार को सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति/जनजाति का ‘अपर्याप्त प्रतिनिधित्व’ एवं उसके पिछड़ेपन से सम्बन्धित अधिकारिक आंकड़ा तैयार करना चाहिए और नये सिरे से ‘प्रमोषन में आरक्षण एवं परिणामी ज्येश्ठता’ को बहाल करने के लिए नया प्राविधान करना चाहिए। सरकार को सरकारी ठेकों में भी आरक्षण को बहाल करना चाहिए। केन्द्र सरकार को भी आरक्षण मुद्दे को गम्भीरता से लेना चाहिए। आरक्षण चन्द सीटों पर नौकरी देने का मामला नहीं है, बल्कि कमजोर, पिछड़े और पिछाड़े गये वंचित समाज को षासन-प्रषासन में भागीदारी देने का मामला है। इसलिए केन्द्र सरकार को संविधान में वृहद संषोधन करके ‘राश्ट्रीय आरक्षण कानूून’ बनाकर संविधान की नौवीं अनुसूची में डालना चाहिए। विधान भवन के सामने लखनऊ में आरक्षण के समर्थन में चल रहे क्रमिक धरने पर बोलते हुए बीएस फोर के राश्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री श्री आर.के. चैधरी ने यह बाते कही।
श्री आर.के. चैधरी ने कहा कि उ.प्र. सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के फेैसले का बहाना लेकर प्रमोषन में आरक्षण समाप्त किया है। जबकि सरकार के सामने यह विकल्प था कि प्रक्रियात्मक त्रुटि को दूर करके सरकार आरक्षण का नया प्राविधान करती। बी. सेफ एवं बीएस फोर द्वारा आयोजित यह धरना अनिष्चितकाल तक चलेगा। आज 24 मई को धरने का नेतृत्व बीएस फोर के प्रदेष महामंत्री सुरेष रावत ने किया। यदि सरकार ने समय रहते हुए सार्थक कदम नहीं उठाया तो 10 जून, 2012 के बाद संगठन के कार्यकर्ता प्रदेष भर में खुली सड़कों पर प्रदर्षन करेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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