केन्द्र की मनमोहन सरकार ने यदि ‘राश्ट्रीय आरक्षण कानून’ बनाने की सार्थक पहल न किया तो बीसेफ एवं बीएस फोर के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर कर आर-पार की लड़ाई लड़ेगे। कल 23 मई, 2012 को सर्वदलीय बैठक में ‘‘प्रमोषन में आरक्षण’’ के मसले पर सरकार को प्रभावी हल निकालना चाहिए। लखनऊ विधान भवन पर पार्टी द्वारा चल रहे अनिष्चितकालीन ‘आरक्षण समर्थक धरने’ पर आज दूसरे दिन बोलते हुए बीएस फोर अध्यक्ष श्री आर.के. चैधरी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि ‘‘प्रमोषन में आरक्षण’’ का लाभ अनु.जाति/जनजाति के कर्मचारियों को अरसे से मिल रहा था। परन्तु उ.प्र. सरकार की महज प्रक्रियात्मक त्रुटि के कारण सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा। न्यायालय ने कोई नया आदेष नहीं किया। आदेष तो पहले भी हो चुका, परन्तु सरकार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का संज्ञान नहीं लिया। एम. नागराज मामले में फैसले के अनुसार उ.प्र. सरकार को ‘उ.प्र. आरक्षण अधिनियम-1994 एवं वरिश्ठता नियमावली में संषोधन करके ‘प्रमोषन में आरक्षण एवं परिणामी ज्येश्ठता’ का प्राविधान करते समय प्रदेष में अनु.जाति/जनजाति के सरकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व एवं उनके पिछड़ेपन की स्थिति का ‘अध्ययन रिपोर्ट’ तैयार कराना चाहिए था, जिसे तत्कालीन सरकार ने नहीं कराया। इसी ‘प्रक्रियात्मक त्रुटि’ को संज्ञान में लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने ‘‘प्रमोषन में आरक्षण एवं परिणामी ज्येश्ठता’’ के प्राविधान को असंवैधानिक करार कर दिया। सरकार की एक गलती का खामियाजा अब पूरे दलित समाज को भुगतना पड़ रहा है।
श्री आर.के. चैधरी ने कहा उ.प्र. की वर्तमान सरकार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का बहाना लेकर उक्त ‘आरक्षण प्राविधान’ को समाप्त करने में जरा भी देर नहीं लगाई। केन्द्र सरकार के एजेन्ट के रूप में तैनात उ.प्र. के महामहिम राज्यपाल ने भी अनु.जाति/जनजाति के कर्मचारियों के इस आरक्षण को समाप्त करने के लिए उतावले दिखे और आनन-फानन में वह भी रविवार के छुट्टी के दिन सरकार के अध्यादेष पर मुहर लगा दी। उ.प्र. सरकार ने सरकारी ठेकों के आरक्षण को भी समाप्त कर दिया। बीएस फोर आरक्षण बहाली के लिए निर्णायक संघर्श करेगा। यदि सरकारें समय पर न चेती तो ‘‘आरक्षण समर्थक आन्दोलन’’ विकराल रूप धारण करेगा। आज क्रमिक धरने पर दूसरे दिन बैठे आन्दोलनकारियों का नेतृत्व बीएस फोर लखनऊ मण्डल के अध्यक्ष श्री सत्येन्द्र कुमार रावत ने किया।
माँग:-
1. उत्तर प्रदेष सरकार, सरकारी सेवा में अनु.जाति/जनजाति के प्रतिनिधित्व और उसके पिछड़े पन का विस्तृत अध्ययन कराये और रिपोर्ट तैयार करके प्रमोषन में आरक्षण एवं परिणामी ज्येश्ठता का नये सिरे से प्राविधान करें। इसी के साथ सरकार, सरकारी ठेकों में आरक्षण बहाल करें।
2. केन्द्र सरकार संविधान में वृहद संषोधन करके एक राश्ट्रीय आरक्षण कानून बनाये और उसे संविधान की नौंवी अनुसूची में सम्मिलित करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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