डिस्कवरी चैनल के आई शुडनाॅट बी अलाइव कार्यक्रम में देखिए
मानवीय सहनशक्ति की सच्ची प्रेरक कहानियां
अगर आपके सामने अचानक ऐसी आशंका पैदा हो जाए कि आपकी जान जा सकती है, तो आप क्या करेंगे? क्या आपमें इतनी मानसिक और शारीरिक शक्ति होगी कि आप जिंदा रहने के लिए संघर्ष कर सकें? डिस्कवरी चैनल की अतिजीविता श्रृंखला
आई शुडनाॅट बी अलाइव के इस नए सीजन में साधारण लोगों की ऐसी अविश्वसनीय दास्तानें प्रस्तुत की जा रही हैं जो अंजाने में बेहद गंभीर स्थितियों में फंस गए, पर उन्होंने जिंदा रहने के लिए अकल्पनीय बाधाओं को भी मात दी। इन लोगों के सामने नैतिकता से जुड़े असमंजस भी थे और इन्हें फौरन कुछ फैसले भी लेने थे। दर्शक इनकी ऐसी शारीरिक और भावनात्मक यात्राओं के हर पल को जिएंगे जो इंसानी जीवट के धीरज का पूरा इम्तिहान लेती हैं।
आई शुडनाॅट बी अलाइव श्रृंखला का प्रसारण डिस्कवरी चैनल पर सोमवार, 4 जून से हर रात 9 बजे होगा।
एक घंटे का हर एपिसोड सहनशक्ति से जुड़ी किसी एक सच्ची कहानी को प्रस्तुत करता है, इसके लिए उस घटना की पुनर्प्रस्तुति के साथ-साथ उन लोगों के साक्षात्कारों को भी कार्यक्रम में शामिल किया गया है जिन्होंने इन असाधारण खतरों पर विजय पाई। आई शुडनाॅट बी अलाइव कार्यक्रम जिंदा रहने से जुड़ी सच्ची कहानियों का लेखा-जोखा लेता है और नैतिक असमंजस, महत्वपूर्ण पलों, अचानक होने वाली घटनाओं और जिंदा बचने वाले इन लोगों द्वारा झेले गए जीवन या मृत्यु से जुड़े फैसलों पर ध्यान केन्द्रित करता है। चाहे किरगिस्तान के बर्फीले बियाबान में बर्फीले अंधड़ से जूझने का मामला हो, कोस्टारिका की शार्कों वाली जलराशियों में भटक जाने की बात हो, मोंटाना के पहाड़ों में एक बेरहम ग्रिजली भालू के हमले में जिंदा बचना हो या फिर अफ्रीका में जंगली जानवरों का सामना, आई शुडनाॅट बी अलाइव श्रृंखला इन चरम अवस्थाओं में हमारी प्रतिक्रिया के दौरान हमारी सबसे बुनियादी वृत्तियों का खुलासा करती है। श्रृंखला ये भी दिखाती है कि मुश्किल के समय हमारे शरीर किस तरह चोट का सामना करते हैं, इसमें मानवीय अवस्था की हैरतअंगेज पेचीदगियों और अथाह गहराइयों को भी विस्तार से दिखाया जा रहा है।
इस कार्यक्रम के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री राजीव बख्शी, वाइस प्रैजि़डैंट-मार्केटिंग, दक्षिण-एशिया, डिस्कवरी नैटवक्र्स एशिया-पैसिफिक ने कहा, ‘डिस्कवरी चैनल की अतिजीविता श्रृंखला आई शुडनाॅट बी अलाइव ऐसे लोगों की सबसे असाधरण सच्ची कहानियां प्रस्तुत करती है जिन्होंने जानलेवा स्थितियों का सामना किया और इन्हें बयान करने के लिए जिंदा भी बच गए। जिंदा बचने वाला हर व्यक्ति अपने डरावने अनुभव को बताता है और उन पलों का खुलासा करता है जिनके कारण उसकी जान बची। मुख्य ध्यान इस बात पर दिया जा रहा है कि जिंदा बचने वाले लोग जीवित कैसे रह पाए और वो कौन से फैसले थे जिनके कारण इन लोगों की जान बची।’’
इस श्रृंखला की शुरूआत न्यूजीलैंड में दो पर्वतारोहियों की दास्तान से होती है जिन्होंने एक बर्फीली दीवार के पार जाने के लिए एक जोखिम भरे रास्ते को चुना और फिर एक अस्थिर चट्टान पर 10 दिन तक फंसे रह गए। दर्शक एक और एपिसोड में डेवी की दास्तान भी देखेंगे जो हवाई के 3 लाख 30 हजार एकड़ में फैले एक राष्ट्रीय अभयारण्य में एक ट्रैक के दौरान भटक गईं और फिर उन्हें 5 दिन तक जिंदा रहने के लिए संघर्ष करना पड़ा। बाद के एपिसोडों में जाॅर्डन निकुरिटी की कहानी है जो एक चट्टान से गिरे और चार दिन तक उन्हें ढूंढा नहीं जा सका, इसके अलावा दर्शक दो दोस्तों - गैरी और डेव को भी देखेंगे जो गंभीर रूप से जख्मी हो गए और तब अलास्का के भालुओं वाले इलाके में फंस गए जब एक हल्के विमान से की जाने वाली यात्रा के दौरान भारी गड़बड़ हो गई।
यह कार्यक्रम मानवीय अवस्था की हैरतअंगेज पेचीदगियों और अथाह गहराइयों को दिखाता है। हर एपिसोड दर्शकों को प्रेरित करता है क्योंकि इसमें किसी अनोखी घटना और जीवन के लिए चरम संघर्ष को दिखाया जा रहा है। बेहतरीन विजुअल और ताजातरीन कम्प्यूटरजनित इमेज टैक्नाॅलाॅजी से हैरतअंगेज स्थितियों में इंसानी सहनशक्ति और अतिजीविता से जुड़ी इन कहानियों को चार चाँद लग गए हैं।