एक ओर जहां बोरों के अभाव में गेहूं क्रय केन्द्रों पर इस भीषण गर्मी में किसान अपना गेहूं बेंचने के लिए परेशान है वहीं गेहूं क्रय केन्द्रों पर कुछ राजनीतिक दलों के स्थानीय नेताओं के कब्जे के चलते किसानों को बिचैलियों के हाथों ठगा जा रहा है। राज्य सरकार का गेहूं क्रय केन्द्र किसानों के लिए छलावा बनकर रह गया है।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि गेहूं क्रय केन्द्रों पर कई-कई दिनों तक किसानों का गेहूं बोरे के अभाव में पड़े रहने से छीज होता है, जिसकी हानि तो किसान को उठाना ही पड़ता है क्रय केन्द्रों पर खरीद न हो पाने के चलते उन्हें अपना गेहूं औने-पौने दामों में मजबूरी में बेंचना पड़ता है। राज्य सरकार को गेहूं क्रय केन्द्रों को बिचैलियों से मुक्त कराने हेतु आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश सरकार को चाहिए कि इस सम्बन्ध में जिलाधिकारियों के माध्यम से स्थानीय अधिकारियों जैसे परगनाधिकारी, तहसीलदार, बी.डी.ओ. सहित जिम्मेदार कर्मचारियों की जवाबदेही तय करे, जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी तब तक गेहूं खरीद सुचारू रूप से संभव नहीं है। स्थानीय खरीद केन्द्रों द्वारा आढ़तियों के माध्यम से गेहूं खरीद की जा रही है और किसानों को अपनी गेहूं की उपज को एक हजार कुन्तल के हिसाब से बेंचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। राज्य सरकार को इस बात की भी जांच करानी चाहिए कि जिन लोगों को एक लाख रूपये से ऊपर के चेक जारी किये गये हैं उसमें कितने किसान हैं और कितने आढ़ती हैं।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि खरीफ की बुआई करीब है और हालात यह है कि गांवों में समय से बिजली नहीं मिल रही है, जो भी 8 से 10घंटे बिजली मिल भी रही है वह नाकाफी के अलावा रोटेशन में मिल रही है जिससे किसान धान के बीज नहीं डाल पा रहे हैं। इतना ही नहीं अभी तक नहरों में पानी नहीं पहुंच रहा है जिससे किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को अविलम्ब नहरों में टेल तक पानी पहुंचाने एवं बिजली सुधार के लिए कड़े कदम उठाना चाहिए ताकि किसानों की खरीफ की बुआई सुचारू रूप से हो सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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