जनपद में अतिक्रमण, अवैध निर्माण जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से लगातार बढता चला जा रहा है ।
जनपद को सु लताओं का गढ कहा जाता था इस जनपद में नीम की छांव पानी के कुंए, धर्मशाला, मंदिर और पौराणिक स्थल श्री सीताकुड घाट इस जनपद की पहचान थे जब से सुलतानपुर में एक परिवार की चेयरमैनी आयी और शातिर दिमाग कर्मियों का साथ मिला और जगह जगह नजूल जमीनो सडक पटरियों पर कब्जे शुरु हो गये ।
गौरतलब हो कि ८० के दशक मे जनपद मे न तो मास्टर प्लान लागू था न ही नजूल व्यवस्था जिला प्रशासन के पास थी, सारी व्यवस्थायें नगर पालिका स्वयं देखती थी पैसा दो कब्जा करो की नीति पर चल रहे कर्मी और चेयर मैन ने सपने मे भी नही सोचा होगा कि आज उन्ही की गाडी और परिवार की महिलाएं अतिक्रमण और जाम से पीडित हो सकती है मगर अवैध कर्मी ने नगर मुहल्लो में फौरी विकास तो किया वही शहर की कीमती जमीनो पर अवैध कब्जेदार कब्जे कराते गये ।
चैक से शाहगंज चैराहे तक दुकानदारो ने आम जनता की गैलरी फुटपाथ सब कुछ कब्जा कर लिया जबकि राजस्व विभाग मे अगर पैमाईस हो और रिकार्ड देखा जाये तो सडक की चैडाई और कब्जेदारो की कलई स्वत खुल जायेगी जिसे खाली कराकर बैरिकेटिंग के जरिये फुटपाथ बना दिया जाये तो अतिक्रमण स्वत समाप्त हो जायेगा ।साथ ही सडक को चैडा कर दिया जाये और हाईकोर्ट के पूर्व के आदेश का उल्लंघन करने और सार्वजनिक भूमि कब्जा करने पर प्रथम सूचना दर्ज कर कार्यवाही करने पर ही अतिक्रमण अभियान सफल होगा वही सरकारी अतिक्रमण को पहले हटाया जाये जिससे आम जनता को यह लगे कि नियम व कानून सभी के लिए है और उल्लंघन के दोषी को दंड बराबर मिलेगा ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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