एन.आर.एच.एम. क्रियान्वयन अथवा इस संबन्ध में मा. बहन कु. मायावती जी द्वारा किसी भी प्रकार की वित्तीय स्वीकृति का सवाल ही नही: बी.एस.पी. प्रवक्ता
बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) ने उत्तर प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार व उसके मंत्रियों पर ’’बी.एस.पी. मेनिया’’ (BSP mania) के रोग से पीडि़त होकर बी.एस.पी. नेतृत्व के खिलाफ अनाप-शनाप बयानबाजी करने का आरोप लगाते हुये कहाकि उत्तर प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार इस प्रकार की हरकतें करके जनता से किये गये अपने चुनावी वायदों को सही मायने में पूरा करने के साथ-साथ कानून व्यवस्था के मामले में अपनी भारी विफलता को छिपाने का नकाम प्रयास कर रही है।
बी.एस.पी. प्रवक्ता ने आज यहाँ एक बयान में कहाकि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ मिशन अर्थात एन.आर.एच.एम. एक केन्द्र-पोषित योजना है जो सपा के ही पिछले शासनकाल के दौरान अर्थात सन् 2005 से प्रदेश में चलायी जा रही है, जिसमें गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आते ही बहन मायावती जी ने तत्काल अपने शासनकाल के दौरान सख्त कार्यवाही करते हुये दो-दो मंत्रियों को बर्खास्त किया और मामले की जांच केन्द्रीय जांच एजेन्सियों सी.बी.आई व सी.ए.जी.से कराने का फैसला किया और अब यह मामला केन्द्रीय जांच एजेन्सी सी.बी.आई. के सुपुर्द होने के बावजूद भी, प्रदेश सपा सरकार के मुखिया एवं उनके मंत्रीगण ऐसी बयानबाजी कर रहे है जैसेकि वे स्वयं ही जांच एजेन्सी हों। ऐसा वे खासकर राजनीतिक दुर्भावना के तहत जनता को गुमराह करने के लिये कर रहे है, जबकि वास्तविक्ता यह है कि केन्द्रीय जांच ऐजेन्सी सी.बी.आई. द्वारा एन.आर.एच.एम. मामले की जांच प्रगति पर होने के कारण राज्य सरकार को और खासकर इसके मंत्री व मुखिया को, अपनी ओहदे की जिम्मेदारी को निभाते हुये अपनी जुबान बन्द रखनी चाहिये और इस मामले में जनता को गुमराह करने के बजाय नतीजे का इंतजार करना चाहिये
बी.एस.पी. प्रवक्ता ने कहाकि परिवार कल्याण विभाग सन् 2007 से 2009 तक माननीय बहन मायावती जी के आधीन अवश्य था, परन्तु एन.आर.एच.एम. के क्रियान्वयन अथवा इस संबन्ध में किसी भी प्रकार की वित्तीय स्वीकृति आदि से संबन्धित काई भी पत्रावली अथवा कियी भी बिन्दु पर स्वीकृति ना तो उच्च स्तर से कभी उनसे मांगी गयी और ना ही ऐसा करने की कनूनी आवश्यकता की जरूरत थी।
बी.एस.पी. प्रवक्ता ने संबन्धित कानून के हवाले से स्पष्ट किया कि अपने बयान में एन.आर.एच.एम कार्यक्रम के अन्र्तगत प्रदेश स्तर पर योजनाओं के गठन, उनके अनुमोदन तथा कार्यान्वयन की सारी कार्यवाई राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी (State Health Society) की दो समितियों (1) कार्यकारी समिति (Executive Committee) जिसके अध्यक्ष विभाग के प्रमुख सचिव होते है और (2) गवर्निगं बाॅडी (Governing Body), जिसके अध्यक्ष प्रदेश मुख्य सचिव होते है, द्वारा की जाती हैै एवं एन.आर.एच.एम के अन्र्तगत वार्षिक योजनायें कार्यकारी समिति द्वारा बनाई जाती है तथा गवर्निगं बाॅडी के अनुमोदन के पश्चात भारत सरकार का अनुमोदन प्राप्त कर भारत सरकार के निर्देशानुसार ही, उसका कार्यन्वयन कार्यकारी समिति विभिन्न जिलों में कराती है। इस कार्यक्रम की समस्त धनराशि राज्य सरकार के बजट के माध्यम से भी नही आती है, बल्कि भारत सरकार द्वारा सीधे ’’स्टेट हेल्थ सोसाइटी़’’ को भेज दी जाती है। अतः उक्त कार्यक्रम हेतु धनराशि ना तो शासन द्वारा स्वीकृत की जाती है और ना ही शासन के वित्त एवं प्रशासकीय विभाग के समक्ष किसी भी प्रकार की स्वीकृित इत्यादि हेतु पत्रावली प्रस्तुत की जाती है। इस संबन्ध में प्रदेश सरकार का सीधे ना कोई हस्तक्षेप होता है और ना ही इसके अन्र्तगत योजनाओं के अनुमोदन हेतु शासन अथवा एन.आर.एच.एम. की उक्त समितियों के ऊपर किसी अन्य से अनुमोदन लिये जाने की व्यवस्था है।
एन.आर.एच.एम कार्यक्रम की समीक्षा हेतु भारत सरकार स्वयं ही आडिटर नियुक्त करती है और उक्त आडिट तथा अन्य कार्य प्रणाली की समीक्षा भारत सरकार द्वारा हर तीसरे माह में की जाती है। कार्यक्रम सन्तोषजनक पाने के बाद ही भारत सरकार द्वारा धनराशि अवमुक्त की जाती है। इस कार्यक्रम में यदि काई कमी इत्यादि हो तो उसे दूर करने के निर्देश भी भारत सरकार द्वारा ही दिये जाते हैं। और यह भी स्पष्ट है कि देश में कुछ सीमित ऐसे कार्यक्रम है जिनकी सम्पूर्ण व्यवस्था एवं धनराशि इत्यादि का अवमुक्त होना सीधे भारत सरकार द्वारा ही किया जाता है और यह अपेक्षा की जाती है कि राज्य सरकार का इसमें कोई हस्तक्षेप नही हो। अतः सम्पूर्ण कार्यक्रम के संचालन हेतु कार्यकारी सामिति ही उत्तरदायी है जिसके अध्यक्ष प्रमुख सचिव होते है और उन्ही के द्वारा समस्त कार्यवाही की जाती है।
इस प्रकार उपरोक्त वर्णित कानूनी प्रक्रिया के परिपे्रक्ष्य में एन.आर.एच.एम. मामले से सम्बन्धित उत्तर प्रदेश की सपा सरकार का माननीया बहन मायावती जी के कार्यकाल के संबन्ध में दिये गये बयान को पूर्णतया भ्रामक एवं मिथ्या प्रचार बताते हुये बी.एस.पी. प्रवक्ता ने कहाकि परिवार कल्याण विभाग सन् 2007 से 2009 तक माननीय बहन मायावती जी के आधीन अवश्य था, परन्तु एन.आर.एच.एम. के क्रियान्वयन संबन्धित काई भी पत्रावली अथवा कियी भी बिन्दु पर स्वीकृति ना तो उच्च स्तर से कभी उनसे मांगी गयी और ना ही ऐसा करने की कानूनी आवश्यकता की जरूरत पड़ी, जैसाकि ऊपर साफ तौर पर स्पष्ट किया गया है। इस अवधि में एन.आर.एच.एम. गड़बड़ी से संबन्धित कोई शिकायत भी प्राप्त नही हुयी, अतः इस संबन्ध में किसी प्रकार की जांच का प्रश्न ही नही उठता।
बी.एस.पी. प्रवक्ता ने सपा सरकार को चैलेन्ज किया कि वह अगर वास्तव में एन.आर.एच.एम. में गड़बड़ी के मामले के प्रति गम्भीर है तो जिला स्वास्थ्य सोसाइटी (District Health Society) के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने के लिये भी सी.बी.आई. पर दबाव क्यों नही बनाती, जहाँ से ही इस योजना के लिये धन निकाल कर खर्च किया जाता है अन्यथा ’’मिथ्या बयानबाजी’’ के माध्यम से जनता को गुमराह करने का काम तत्काल बन्द करेे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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