समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि कहावत है नादान दोस्त से दुश्मन अच्छा। बसपा के कुछ नेता महामहिम राज्यपाल से मिलने गए। उनको यह भी नहीं पता था कि वे जो कह रहे हैं वह कितना सच है, कितना झूठ है। समाजवादी पार्टी की सरकार ने बिना रागद्वेष के काम शुरू किया है। दलितों के लिए इसी पार्टी ने सच्ची हमदर्दी दिखाई है। दलित महापुरूषों का सम्मान करते हुए ही मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने उनके नाम पर बने स्मारकों, पार्को व मूर्तियों को नहीं तोड़ने का आदेश दिया। जबकि बसपा सरकार ने दलित महापुरूषो के नाम पर घोटाले किए है और इस तरह उनको भी अपमानित किया है।
समाजवादी पार्टी को दलितों के हितों के प्रतिकूल बताने वाले बसपा नेताओं को यह जानना चाहिए कि समाजवादी पार्टी और श्री मुलायम सिंह यादव ने बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की स्मृति को चिरस्थायी बनाने का काम किया था। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्य मार्ग विधान सभा रोड का नाम डा0 अम्बेडकर मार्ग उन्होने ही रखा था। विधान सभा में अम्बेडकर का भव्य चित्र भी उन्हीं की देन है। अम्बेडकर ग्राम योजना की शुरूआत भी श्री मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में हुई थी। समाजवादी पार्टी की सरकार ने दलित महापुरूषों के नाम पर निर्माण कार्यो से कहीं छेड़छाड़ नहीं की।
बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री को यदि सचमुच दलित अपना हितैषी मानते होते तो विधान सभा चुनावों में कम से कम सभी सुरक्षित सीटों पर तो बसपा प्रत्याशियों को विजयी बनाते ही। लेकिन हकीकत तो यह है कि विधान सभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के 58 दलित विधायक जीते हैं। दलितों, मुस्लिमों के साथ पिछड़ों और सवर्णो सभी ने इस बार समाजवादी पार्टी को बहुमत दिया है और उसकी सरकार बनाई है।
वस्तुतः बसपा के नेता सत्ता से ठुकराये जाने के साथ उनके समय हुए तमाम घोटालों की परतें खुलने से बुरी तरह हैरान परेषान है। बसपा मुख्यमंत्री सहित उनके कई मंत्रियों के काले चिट्ठे खुल रहे है। जेल जाने की आशंका से त्रस्त बसपा नेता और उनकी राष्ट्रीय अध्यक्ष उल्टे सीधे आरोप लगाकर बचना चाहते हंै किन्तु जनता की कमाई की लूट की सजा तो उन्हें भुगतनी ही पड़ेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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