मंजू कांड के आरोपियों द्वारा फर्जी केस में फसाने की कवायद
जहां एक ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सूबे में कानून व्यवस्था की स्थिति दुरूस्त करने के लिए कृत संकल्पित हैं, वहीं दूसरी ओर अपराधी वर्ग राजनैतिक संरक्षण की आड़ में उनके मंसूबों को मिटाने में लगे हैं। लालपुरा के चर्चित मंजूकांड के आरोपी तथाकथित ‘व्यापारी-चैधरी’ की मूछों में मक्खन लगाकर अपना उल्लू सीधा करते चले आ रहे हैं। गवाहों पर अत्याचार के क्रम में आरोपी बर्तन व्यापारी की ओर से मुख्य गवाह शिवमंगल सिंह यादव को मारपीट के फर्जी केस में फंसाया जा रहा है।
पता चला है कि वरिष्ठ पुलिस कप्तान को एक प्रार्थना पत्र दिया गया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि हलवाई शिवमंगल सिंह यादव ने लालपुरा तिराहा स्थित मंदिर पर कब्जा कर रखा है तथा पूजा करते समय शिवमंगल सिंह यादव ने मारपीट की। इससे पहले मंजू कांड के मुकदमा नं0 702/11 के कथित आरोपी परिवार द्वारा देशधर्म के फर्जी लेटर पेड पर संपादक देवेश शास्त्री के नाम से फर्जी शिकायत पत्र जिलाधिकारी को दिया गया था जिससे प्रशासन बुरी तरह उलझा रहा। अन्ततः तकिया चैकी इंचार्ज की सूझ बूझ से सत्यता खुली।
संपादक देवेश शास्त्री भी मंजूकांड के गवाह है। इतना ही नहीं, अन्य गवाहों को फर्जी डकैती के मुकदमें में फंसाने का प्रयास किया गया था। विवेचना में डकैती का मामला फर्जी पाया गया था।
होली के दिनों में देवेश शास्त्री के घर में पत्थरबाजी व टीनशेड के खंभे गिराने के साथ अनिल कुमार के घर में घुसकर मारपीट की गई तथा दिनेश कुमार ठठेरा को भी धमकी दी गई तो इन तीनों गवाहों ने अलग-अलग प्रार्थना पत्र अपर पुलिस अधीक्षक को 10 मार्च को दिये थे। जिनके आधार पर अस्तल चैकी द्वारा मंजूकांड के सभी गवाहों को 107/116 में पाबंद कर दिया गया था। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के प्रभारी देवेश शास्त्री पर की गई पुलिस कार्यवाही के खिलाफ प्रदेश भर के अन्ना समर्थकों ने इटावा में अनशन करने की घोषणा की, तब जाकर कोतवाली प्रभारी ने 107/116 की कार्यवाही निरस्त की।
संविधान के अनुसार गवाहों की सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी प्रशासन की है ऐसे में आरोपियों द्वारा गवाहों पर अत्याचार आखिर कब तक होता रहेगा
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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