आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजकों के0 बी0 राम, अवधेश कुमार वर्मा, डा0 राम शब्द जैसवारा, रमेश चन्द्र, रामस्वरूप, अनिल कुमार ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि संघर्ष समिति की ओर से जो पत्र आज मा0 प्रधानमंत्री जी को भेजा गया है, उसमें वर्ष 2004 के आंकड़ों के आधार पर यह बताया गया है कि, उ0 प्र0 में सरकारी नौकरियों के ग्रुप ए में 2004 में कुल अधिकारियों की संख्या 10755 थी, जिसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों की संख्या मात्र 1309 थी, अर्थात कुल अधिकारियों की संख्या का केवल 12.01 प्रतिशत थी। इसी तरह ग्रुप बी के कुल अधिकारियों की संख्या 29453 थी, जिसमें आरक्षित वर्ग के अधिकारियों की संख्या केवल 4427 थी, अर्थात कुल अधिकारियों की संख्या का 15.03 प्रतिशत। यह स्थिति तब है जब पदोंन्नतियों में आरक्षण लागू था, वर्तमान में रिटायरमेन्ट होने के उपरान्त यह संख्या केवल 5 से 6 प्रतिशत है। वर्तमान में जब पदोन्नतियों में आरक्षण उ0प्र0 में समाप्त हो चुका है, ऐसे में आने वाले समय में यह संख्या नग्ण्य हो जायेगी, अर्थात शून्य। इन सब परिस्थितियों से पता चलता है कि पदोन्नतियों में आरक्षण को एक सोची समझी साजिश के तहत समाप्त किया गया है। उ0प्र0 की जनगणना 2001 के साक्षरता प्रतिशत पर ध्यान दे ंतो 10वीं कक्षा के ऊपर और इण्टरमीडियट तक शिक्षा का प्रतिशत केवल 13.03 प्रतिशत था, स्नातक व उससे ऊपर केवल 3 प्रतिशत। नाॅन टेक्निकल/टेक्निकल डिप्लोमा होल्डर मात्र 0.1 प्रतिशत। ऐसे में स्वतः यह देखा जा सकता है कि अभी भी उ0प्र0 में दलितों की स्थिति क्या है। ऐसे में आरक्षित वर्ग को समाज की मुख्य धारा में संवैधानिक तरीके से आगे लाने के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण/परिणामी ज्येष्ठता का लाभ दिया गया था। यह देश की विडम्बना ही है कि दलितों के लिए बनाए गए कानून की व्याख्या हर कोई अपने तरीके से करता है, परन्तु उनकी स्थिति पर विचार विमर्श व सही स्थिति का आंकलन कोई करने के लिए तैयार नहीं है। उ0प्र0 में 2001 की जनगणना पर ध्यान दे ंतो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की कुल संख्या लगभग 22 से 23 प्रतिशत है। फिर भी जब उनके प्रतिनिधित्व की बात समानता के आधार पर आती है तो पूरे देश में हल्ला मच जाता है। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति जब तक आरक्षण को संवैधानिक संरक्षण नहीं दिला देता, यह लड़ाई जारी रहेगी। आगामी 13 मई को एन0बी0आर0आई0 सभागार, लखनऊ में प्रातः 11ः00 बजे से होने वाले विशाल सम्मेलन में अनेकों महत्वपूर्ण प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किये जायेंगे, जिसके आधार पर संघर्ष समिति आगे की अपनी लड़ाई की रूपरेखा तय करेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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