यूपी के सभी जिलों में होंगे 11 मई को विषाल धरना-प्रदर्षन

Posted on 11 May 2012 by admin

अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. उदित राज ने कहा कि 11 मई को उत्तर प्रदेष के सभी जिलांे पर कर्मचारियों, अधिकारियों एवं दलित समाज के लोग धरना-प्रदर्षन करके मुख्यमंत्री एंव प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे। उन्हांेने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार, सामाजिक न्याय के बुनियाद पर बनी है, को पदोन्नति में आरक्षण एवं परिणामिक लाभ को समाप्त करने का आदेष नहीं जारी करना चाहिए था। दलित, आदिवासी समाज को सदियों के बाद जब शासन-प्रषासन में थोड़ी सी भागीदारी लेने का अवसर आया तो न्यायपालिका से लेकर विभिन्न सरकारों ने तमाम अड़चनें खड़ी कर दी। डाॅ. उदित राज ने कहा कि क्या 25 प्रतिषत दलित आदिवासी को शासन-प्रषासन से वंचित रखरकर देष की तरक्की संभव है? प्राप्त खबरों के अनुसार, पूर्वी उत्तर प्रदेष, पूर्वी-मध्य एवं पष्चिम उत्तर प्रदेष, बुंदेलखण्ड के सभी जिलों में 11 मई को विषाल धरना-प्रदर्षन किए जाएंगे।
डाॅ. उदित राज ने प्रदर्षन के मुख्य मांगों के बारे में कहा कि हमारी मांग इस प्रकार है-प्रोन्नति में आरक्षण तथा परिणामी ज्येष्ठता लागू करने हेतु संविधान में संषोधन हो, आरक्षण हेतु आरक्षण कानून बने, आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाला जाए, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय 27 अप्रैल 2012 को देखते हुए राज्य सरकार एम. नागराज केस के निदेर्षों के तहत आवष्यक आंकड़े लेकर आरक्षण का नया आदेष जारी करें, निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू हो, न्यायपालिका एवं सेना में दलितों, की भागीदारी हो।
उदित राज ने आगे कहा कि संविधान के 77वें संषोधन के द्वारा दलितोें को प्रोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी तथा 85वें संषोधन के द्वारा परिणामी ज्येष्ठता का लाभ दिया गया था। संविधान संषोधन द्वारा दी गयी उक्त व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले द्वारा समाप्त कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि राज्य सरकार ने एम. नागराज के मुकदमें में दिये गये निर्देषों के अनुसार दलितों की प्रतिनिधित्व की स्थिति उनके पिछड़ेपन तथा दक्षता आदि का मूल्यांकन नहीं किया गया इसलिए उत्तरप्रदेष आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 3 (7) तथा तृतीय संषोधन ज्येष्ठता नियमावली 2007 (जिसमें परिणामी ज्येष्ठता का लाभ दिया गया था) को निरस्त कर दिया गया है।
उक्त के आलोक में यह मांग की जाती है कि संविधान के 77वें संषोधन के अनुरूप एम. नागराज के केस में दिए गए मानकों के अनुसार तत्काल एक सर्च कमिटी द्वारा मूल्यांकन कराते हुए पदोन्नति में आरक्षण तथा परिणामी ज्येष्ठता का नया आदेष जारी किया जाए तथा तब तक यथास्थिति बनाए रखी जाए। सर्च कमिटी में एक दलित भी रखा जाए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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