ऽ भ्रष्टाचार की शिकार हो गयी महत्वाकाॅक्षी योजना
कंाशीराम शहरी आवास योजना के तहत आवास व शहरी रोजगार ऋण योजना में दो लाख का लोन दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी का मामला प्रकाश में आया है। भुक्तभोगियों की गुहार पर जिला प्रशासन ने डूडा में तैनात बाबू का स्थानांतरण कर मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।
तत्कालीन मायावती सरकार में गरीबों के लिए शहर में रहने वाले असहाय व भूमिहीन गरीबों के लिए कांशीराम शहरी आवास योजना शुरू की गई थी। इसके तहत पहले चरण में अमहट व दूसरे चरण में एआरटीओ दफ्तर के निकट करीब 1500 आवास बनाकर लाभार्थियों को आवंटित किए गए। इन आवासों के आवंटन में धांधली के आरोप में पूर्व में तैनात रहे डूडा के परियोजना अधिकारी तीर्थराज को हटाया जा चुका है। फर्जी कागजों पर आवास हथियाने के आरोप में करीब डेढ़ दर्जन लोगों के खिलाफ एफ0आई0आर0 दर्ज की गई थी। यह मामला जांच से पहले फाइलों में दब गया। अब तीसरे चरण में अमहट चैराहे के निकट करीब 168 आवास बनाए गए हैं और इनका आवंटन होना है। इन आवासों के आवंटन में भी खेल शुरू हो गया है। आवासों के लिए आवेदन करने वाले खैराबाद निवासी शाहीन बानों पत्नी स्व. मो. नस्सर, ताज मोहम्मद पुत्र अब्दुल मजीद निवासी शाहगंज,फातिमा पत्नी फारूख बेगम निवासी गोराबारिक,, मुश्ताक फातिमा पत्नी मुजतबा, साकिन निवासी गोराबारिक व अब्दुल लतीफ पुत्र कल्लू निवासी गभडि़या समेत दर्जनों लोगों ने जिलाधिकारी समेत मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र दिया। इसमें आरोप लगाया कि डूडा में तैनात बाबू ने आवास व सब्सिडी के साथ लोन दिलाने के नाम पर उनसे लाखों रूपये ऐंठ लिए। अब उन्हें माह भर से दौड़ाया जा रहा है। जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है, और बाबू को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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