उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री बी0एल0 जोशी ने आज भारतीय पुरातत्व विभाग की 150वीं वर्षगांठ समारोह का उद्घाटन किया। कार्यक्रम का आयोजन साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर, लखनऊ में किया गया था। राज्यपाल ने इस अवसर पर उत्कृष्ठ सेवा करने वाले पूर्व अधिकारियों को स्मृति चिह्न, प्रशासनिक पत्र व शाल भेंट करके सम्मानित किया।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत अद्रभुत है। ऐसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की धरोहर के संरक्षण एवं संवर्धन में सरकार के साथ-साथ शिक्षण संस्थायें, स्वैच्छिक संस्थायें व आम नागरिक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी सांस्कृतिक थाती के प्रति गौरव का भाव उभारना होगा।
श्री जोशी ने विभाग के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे धरोहरों को संरक्षित करना एक चुनौती है और इस चुनौती में आम नागरिक भी अपनी जिम्मेदारी महसूस करें। उन्होंने कहा कि ऐसे महत्व की और भी धरोहर हैं, जिनका पता लगाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन से जनता में जागरूकता आयेगी।
श्री मनोज कुमार सिंह, सचिव सांस्कृतिक पर्यटन, उत्तर प्रदेश शासन ने कहा कि हमारी विरासत हमें हमारे गौरवशाली इतिहास की याद दिलाती है। इन धरोहरों का संरक्षण एवं संवर्धन चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्रदेश में पर्यटन के दृष्टि से अनेक आकर्षक स्थल है, जिन्हें रोजगार से जोड़ा जा सकता है।
प्रो0 शैलनाथ चुतर्वेदी ने पुरातत्व विभाग को 150 साल की सफल यात्रा की बधाई देते हुए भारतीय पुरातत्व विभाग के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पुरातत्व अवशेषों में भारत का इतिहास है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर श्री रमेश चन्द्र त्रिपाठी, श्री जगदीश सहाय निगम, श्री एल0एम0 बहल, श्री एच0एन0 सिंह, श्री ए0आर0 सिद्दीकी, श्री चन्द्रभान मिश्रा, श्री इन्दुधर द्विवेदी, डाॅ0 कृष्ण कुमार, श्री वी0के0 तिवारी तथा राज्य पुरातत्व निदेशक, श्री राकेश तिवारी को सम्मानित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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