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प्रदेष में होम्योपैथी के विकास का मार्ग प्रषस्त किया जाय

Posted on 06 May 2012 by admin

केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के सदस्य डा0 अनुरुद्ध वर्मा ने सरकार से पिछली समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में प्रदेष
मे होम्योपैथी के विकास के लिये लिये गये निर्णयों एवं घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने की मांग की है। उन्होने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री
श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने पिछले कार्यकाल में होम्योपैथी के विकाय के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये थे परन्तु चुनावी अधिसूचना
जारी हो जाने के कारण उन निर्णयों एवं घोषणाओं को मूर्त रुप नहीं प्रदान किया जा सका था परन्तु अब उचित अवसर आ गया है कि उन
निर्णयों को लागू कर प्रदेष में होम्योपैथी के विकास का मार्ग प्रषस्त किया जाय।
केन्द्रीय परिषद के सदस्य ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव ने 1 नवम्बर 2006 को आयुर्वेद, यूनानी तथा हाम्योपैथिक
विकास सलाहकार समिति की बैठक में होम्योपैथी के विकास के लिये अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये थे तथा 4 दिसम्बर 2006 को रिसर्च
सोसाइटी आॅफ होम्योपैथी की लखनऊ में आयोजित 15वीं राष्ट्रीय होम्योपैथिक कान्फ्रेन्स में अनेक घोषणायें की थी जिनमें होम्योपैथिक चिकित्साध्
िाकारियों के संवर्गीय संरचना का पुर्नगठन करने, होम्योपैथिक कालेजों को परिषद के मानकों के अनुरुप षिक्षक, भवन एवं अन्य सुविधायें
उपलब्ध कराने होम्योपैथिक औषधियों के लिए निर्माणषाला एवं प्रयोगषाला स्थापित करने, लखनऊ में सभी पद्धतियों का कैंसर चिकित्सालय
स्थापित करने आदि के निर्णय प्रमुख थे जिससे होम्योपैथिक चिकित्साधिकारियों, षिक्षकों एवं छात्रों में प्रदेष में होम्योपैथी के विकास की आषा
जागृत हुयी थी परन्तु सरकार बदल जाने के कारण उन निर्णयों एवं घोषणाओं पर कोई कार्यवाही नही हुयी जिससे होम्योपैथी से जुड़े लोगो
में निराषा का भाव व्याप्त है।
उन्होने बताया कि चिकित्सा अधिकारियों के संवर्गीय संरचना को पुर्नगठन न होने के कारण उनकी सेवाओं मे जड़ता की स्थिति है और
उन्हे पूरे सेवाकाल में एक भी प्रोन्नति का अवसर नही प्राप्त होता है जिससे उनमें कुन्ठा भाव व्याप्त है। उन्होने बताया कि प्रदेष के सभी
7 होम्योपैथिक मेडिकल कालेज षिक्षकों की कमी से जूझ रहे है जिससे उनकी मान्यता पर लगातार संकट बना रहता है और होम्योपैथी में
गुणात्मक षिक्षा का लक्ष्य नही प्राप्त हो पा रहा है तथा प्रदेष में होम्योपैथी में एम.डी. की पढाई भी नही शुरु हो पा रही है।
उन्होने कहा कि निर्वतमान सरकार के 5 वर्ष का कार्यकाल होम्योपैथी के विकास के लिये अनुकूल नही रहा। नयी सरकार बनने पर
होम्योपैथिक चिकित्सकों को आशा की किरण नजर आयी है कि वर्तमान सरकार अपने पूराने निर्णयों एवं घोषणाओं को लागू कर होम्योपैथिक
चिकित्सकों के घावों पर मरहम लगायेगी।
उन्होने सरकार से पिछले निर्णयों को लागू करने के साथ-साथ होम्योपैथिक चिकित्साधिकारियो एवं शिक्षको को एन.पी.ए. देने, सभी
ग्राम पंचायतों में होम्योपैथिक चिकित्सालय स्थापित करने, प्रवक्ता पद की अर्हता परिषद के अनुरुप करने, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के
अन्र्तगत कार्यरत संविदा होम्योपैथिक चिकित्सकों का नवीनीकरण करने, कारागारों मे होम्योपैथिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने, होम्योपैथी
में एम.डी. की पढाई प्रारम्भ कराने की अपील की है। उन्होने आशा व्यक्त की है कि आमजन की सेहत का ध्यान रखने वाली सरकार मे
होम्योपैथी जैसी जन स्वास्थ्य के सरोकार से जुडी सरल, सुलभ, दुष्परिणामरहित एवं अपेक्षाकृत कम खर्चीली चिकित्सा पद्धति को विकास के
पर्याप्त अवसर प्राप्त होगें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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