ऽ विकास और शंति स्थापित करने के बजाय विवाद पैदा कर रहे इसौली विधायक
ऽ दान में इनवर्टर मिलने से भूल गए बिजली समस्या से जूझ रहे जनता का दुःख दर्द
जुलाई में विद्यालय खुलेंगे, सरकार के दावे के मुताबिक कृष्ण सुदामा एक ही विद्यालय में पढेंगे पर पढेंगे कैसे जब सत्ताधारी दल के विधायक खुद ही विद्यालय के निर्माण को रूकवा दें। जिस गांव में विद्यालय बन रहा है उस गांव के प्रधान का आरोप तो यही है कि उसने चुनाव में मोनू सिंह का प्रचार किया था इसी का खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी मुंह खोलने का तैयार नहीं पर सबने निर्माण कार्य इसलिए रूकवा दिया विधायक जी ने कहा कि इसे नहीं बनना चाहिए। क्षेत्र की जनता बिजली के खातिर तरस रही है किसान नहरों में पानी के खातिर टकटकी लगाए देख रहे हैं पर विधायक जी का इससे मतलब नहीं है उन्हें सिर्फ दबंगई से मतलब है। यह हाल इसौली विधानसभा क्षेत्र का है जहां के विधायक अबरार अहमद खां है आप यकीन माने या न माने पर हकीकत यही है कि डेढ़ महीने की सरकार में ही सूबे की जनता इस सरकार से ऊब गई है।
इस बार के इसौली विधानसभा विधायक अबरार अहमद हैं। वह एक दबंग विधायक माने जाते हैं, दबंग इसलिए कि वह पढ़े लिखे नहीं है और पढ़ी लिखी भाषा का इस्तेमाल नहीं करते। उन्हें ऐसा शब्द इस्तेमाल करना आता है जिससे अनपढ़ जनता खुश हो जाय। अनपढ़ों को तो विकास हो या न हो लेकिन उन्हें बड़बोली पसंद आती है। अभी चंद दिन भी इनके विधायक हुए नहीं बीता कि जनता अभी से त्रस्त है। वह विकास के बजाय नाली नाबदान या यूूं कहें कि वह शांति स्थापित करने के बजाय खलफसाद करने में अपनी भूमिका ज्यादा अदा कर रहे हैं। विधायक बनने के चंद दिन बाद ही उन्होंने विकास भवन में सिर्फ इसलिए जे 0ई 0की पिटाई कर दी कि उनकी हनक स्थापित हो जाय। टेंडर मामले में यह मात खा गए क्योंकि विधायक रामचन्दर के बेटे ने टेंडर हथिया लिया, अब इनके पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं बचा था सो यह अपने ठेकेदारों को टेंडर निरस्त कराने की घुट्टी पिला रहे हैं। अभी एक और ताजा मामला बंधुआकला ग्रामसभा में गूंज रहा है। यहां के प्रधान अकरम हैं और इन्होंने पीस पार्टी प्रत्याशी मोनू सिंह का प्रचार किया। चुनाव जीतने के बाद माना जा रहा है कि वह इनसे बदला लेने की ठान रखे हैं। प्रधानजी बच्चों के पढ़ने के लिए सरकारी स्कूल बनवा रहे थे इसमें सहयोग करने के बजाय विधायक अबरार अहमद ने एक माफिया की भूमिका निभाई। प्रधान से बोले कि बिना उनकी इजाजत स्कूल नहीं बनना चाहिए। लेकिन यहां पर तो इनकी अलग ही रागलीला है जिसको लेकर क्षेत्रीय लोगों में गहरा रोष व्याप्त है। दूसरा पहलू यह है कि इसौली विधानसभा के लोग विद्युत व्यवस्था से त्रस्त हैं यहां पर बिजली कभी कभार ही आती है यानि की एक हफ्ते रात तो एक हफ्ते दिन रहती है जिसमें लगातार कटौती भी की जाती रहती है। विधायक बनने से पहले यह अक्सर रोड पर बैठ जाया करते थे लेकिन जब विधायक बन गए तो जनता क दुःख दर्द भूल यह मैनेजमेंट गुरू बन गए हैं चाहे वह टेंडर का मामला हो या फिर स्कूल निर्माण। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि बिजली को लेकर आक्रोशित इसलिए नहीं हैं कि इन्हें दान में एक इनवर्टर मिल गया है। जिससे गर्मी में यह इनवर्टर चलाकर आराम फरमा लेते हैं। अब इन्हें सारी सुख सुविधा मिल गई है तो जनता का दुःख दर्द भूल गए हैं। बंधुआकला ग्राम प्रधान अकरम का कहना है कि विधायक अबरार की यह कार्यशैली शोभा नहीं देती है कि इन्होंने सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाया। स्कूल बनता है तो सबका हित होगा लेकिन विधायक जी ने स्कूल निर्माण रूकवा दिया है जिससे काफी लोग आहत हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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