आतंकवाद निरोधक व्यवस्था को मूर्तरूप देने से पूर्व इसके स्वरूप, शक्तियों एवं संचालन पर विचार किया जाए - मुख्यमंत्री

Posted on 05 May 2012 by admin

  • प्रस्तावित व्यवस्था से किसी संस्था की स्वायत्तता क्षीण न हो
  • आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए केन्द्र तथा राज्यों की साझेदारी एवं परस्पर सहयोग महत्वपूर्ण
  • नेशनल काउन्टर टेरेेरिज़्म सेन्टर पर दिल्ली में बैठक सम्पन्न

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने आतंकवाद निरोधक व्यवस्था कायम करने के लिए केन्द्र और राज्यों के स्तर पर एकीकृत प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि नेशनल काउन्टर टेरेरिज़्म सेन्टर (एन.सी.टी.सी.) जैसी व्यवस्था को  मूर्तरूप देने से पूर्व इसके स्वरूप, शक्तियों एवं संचालन पर विचार किया जाना चाहिए, जिससे कि किसी संस्था की स्वायत्तता क्षीण न हो और प्रस्तावित व्यवस्था समय की कसौटी पर भी खरा उतरे।
यह विचार आज नई दिल्ली में केन्द्र सरकार द्वारा आहूत एन.सी.टी.सी. के सम्मेलन में प्रदेश के पंचायती राज मंत्री श्री बलराम यादव ने मुख्यमंत्री का वक्तव्य पढ़ते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री श्री पी0 चिदम्बरम एवं अन्य सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री/प्रतिनिधि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री के विचारों से सम्मेलन को अवगत कराते हुए पंचायती राज मंत्री ने कहा कि कानून-व्यवस्था मूलतः राज्य का विषय है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय परिस्थितियों का आंकलन, लोगों की संवेदनाओं तथा स्थानीय परिदृश्यों पर विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है। यह भी अविवादित है कि आतंकवाद निरोधक कार्यवाहियां अक्सर कानून-व्यवस्था के संवेदनशील पहलुओं से भी जुड़ी होती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह दायित्व है कि इन सभी पहलुओं के दृष्टिगत वरीयतायें निर्धारित करें तथा राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी सुसंगत कदम उठाए। इसीलिए किसी भी आॅपरेशनल कार्यवाही की जानकारी राज्य सरकार को रहना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोई भी आॅपरेशन स्थानीय पुलिस के परामर्श एवं सहभागिता से ही संचालित किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र द्वारा वर्तमान में प्रस्तावित एन.सी.टी.सी. की व्यवस्था इन सिद्धान्तों के अनुरूप नहीं है। उन्होने प्रस्तावित व्यवस्था पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इसके अन्तर्गत एन.सी.टी.सी. किसी राज्य में प्रदेश सरकार की जानकारी के बिना, एन.एस.जी. अथवा केन्द्र सरकार के किसी विशेष बल के सहयोग से आपरेशन कर सकती है। उन्हांेने कहा कि इस प्रावधान से कानून-व्यवस्था से जुड़ी असमंजसपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके दुरूपयोग की सम्भावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि परम्परागत रूप से किसी भी राज्य में केन्द्र सरकार का कोई बल राज्य सरकार की सहमति के बिना व्यवस्थापित नहीं किया जा सकता। सहमति की दशा में भी आपरेशनल कण्ट्रोल राज्य सरकार के पास ही रहता है। उन्होंने कहा कि इस सिद्धान्त का पालन एन.सी.टी.सी. के परिप्रेक्ष्य में भी किया जाना चाहिए।
श्री यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रत्येक राज्यों ने ए.टी.एस. आदि की स्थापना करके अपने स्तर से आतंकवाद के विरूद्ध प्रतिरोध क्षमता विकसित की है। राज्य एवं केन्द्र की सभी इकाईयों के बीच समन्वय कायम है। अभी तक सभी कार्यवाहियां बिना किसी अवरोध के समन्वित रूप से की जाती रही हैं। इन्टेलीजेन्स ब्यूरो द्वारा इंगित विभिन्न आपरेशनल लीड्स के आधार पर समन्वित रूप से आतंकवादियों के विरूद्ध कई आपरेशन्स सफलतापूर्वक चलाए गए हैं। इन परिस्थितियों में एन.सी.टी.सी. के माध्यम से आपरेशनल शक्तियों की दोहरी व्यवस्था कायम किए जाने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि एन.सी.टी.सी. के सृजन विषयक आदेश की प्रस्तावना में इस बात पर जोर दिया गया है कि वर्तमान व्यवस्थाओं को ही मजबूत किया जाय तथा किसी प्रकार की दोहरी व्यवस्था कायम न की जाय। इसलिए एन.सी.टी.सी. को स्वतंत्र रूप से आपरेशनल शक्तियां दिए जाने का कोई सुसंगत आधार नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित व्यवस्था में एन.सी.टी.सी. को इन्टेलीजेन्स ब्यूरो के अधीन करते हुए राज्य की विभिन्न इकाईयों की आपरेशनल प्राथमिकतायें निर्धारित करने के अधिकार दिए गए हैं, जो राज्य के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण है। उन्होंने कहा कि राज्य को अधिकार है कि वह स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप अपनी अधीनस्थ इकाईयों के लिए विभिन्न वरीयतायें निर्धारित करे। दोहरे नियंत्रण से भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी तथा अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने में संदेह रहेगा। उन्होंने कहा कि एन.सी.टी.सी. को राज्य की किसी भी इकाई से कोई भी सूचना प्राप्त करने का अधिकार है, परन्तु राज्य सरकार की इकाईयों को एन.सी.टी.सी. से उसी प्रकार सूचना प्राप्त किए जाने का कोई ठोस प्राविधान नहीं किया गया है। इसलिए ऐसा प्राविधान करने की आवश्यकता है कि यदि राज्य सरकार कोई सूचना चाहे तो एन.सी.टी.सी. प्रदान करने के लिए बाध्य हो। इसी प्रकार यदि कानून-व्यवस्था की दृष्टि से कोई तथ्य जनहित में गोपनीय रखा जाना आवश्यक हो तो राज्य को उसे देने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
श्री यादव ने कहा कि उनकी सरकार का स्पष्ट मत है कि एन.सी.टी.सी. को मूलतः अभिसूचना संकलन, विश्लेषण तथा आंकलन आदि से सम्बंधित दायित्वों के लिए सशक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि यह एजेन्सी अपना पूरा सामथ्र्य अभिसूचना की गुणवत्ता पर लगाए तो वह ज्यादा कारगर होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि संस्था सामान्य प्रकृति की इन्टेलीजेन्स के बजाये एक्शनेबल इन्टेलीजेन्स विकसित करे। एक्शनेबल इन्टेलीजेन्स के आधार पर आपरेशनल कार्यवाहियां राज्य की इकाईयों द्वारा की जाए। इसके अलावा जहां राज्य द्वारा आवश्यक समझा जाय वहां एन.सी.टी.सी. का सहयोग प्राप्त किया जाय। उन्होंने कहा कि मल्टी एजेंसी सेन्टर की जो व्यवस्था एन.सी.टी.सी. में समाहित की गई है उसमें भी सक्रियता लाये जाने की आवश्यकता है। एन.सी.टी.सी. द्वारा लीड आपरेशनल इनपुट्स को विकसित करके राज्य की इकाईयों को यथाशीघ्र प्रभावी कार्यवाही हेतु सुलभ कराया जाना लाभप्रद होगा। विभिन्न प्रकार के डेटाबेस उदाहरणार्थ पासपोर्ट, इमीग्रेशन आदि भी राज्य की आपरेशनल एजेन्सीज को सुलभ कराया जाय। इंटरनेट टैªफिक पर सीधे सर्विलांस करने के लिए वाॅयस ओवर इन्टरनेट प्रोटोकाॅल की टैपिंग हेतु आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं वित्त पोषण केन्द्र सरकार द्वारा सुलभ कराया जाय। इससे राज्य की आपरेशनल यूनिट्स और अधिक सशक्त होंगी।
मुख्यमंत्री ने एन.सी.टी.सी. की स्टैण्डिंग काउन्सिल की भूमिका एवं कार्यप्रणाली के बारे में राज्यों को सुलभ कराये गये एस.ओ.पी. के ड्राफ्ट की चर्चा करते हुए कहा कि इसपर भी प्रदेश सरकार की कुछ आपत्तियां हैं। उन्होंने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में आतंकवाद निरोधक प्रयासों में सुधार लाए जाने की दृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों एवं विशिष्ट पहलुओं पर विचार हेतु प्रस्तावित फोकस ग्रुप में सम्बंधित राज्यों का प्रभावी प्रतिनिधित्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाई वैल्यू टारगेट अथवा विशिष्ट इन्टेलीजेन्स इन्पुट पर कार्यवाही हेतु जो विशेष टीमें गठित की जाए, उनके कार्य की समीक्षा का अधिकार पूर्णरूपेण काउन्सिल को होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अधिकार किसी भी परिस्थिति में मात्र डायरेक्टर को नहीं दिया जाना चाहिए। इसी प्रकार एन.सी.टी.सी. के आपरेशनल डिवीजन के लिए बनाई गई एस.ओ.पी. भी स्वीकार योग्य नहीं है। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण कमियों की तरफ केन्द्र का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि निदेशक, एन.सी.टी.सी. को यह विकल्प दिया गया है कि विशेष परिस्थितियों में, वह राज्य के पुलिस महानिदेशक अथवा ए.टी.एस. प्रमुख केे परामर्श एवं सहयोग के बिना भी राज्य में तलाशी, बरामदगी एवं गिरफ्तारी आदि की कार्यवाही कर सकता है, यहां तक कि उन्हें सूचित करने की भी आवश्यकता नहीं है। राज्य के पुलिस महानिदेशक एवं ए.टी.एस. प्रमुख अनुभवी एवं जवाबदेह अधिकारी होते हैं। अतएव किसी भी प्रकार की कार्यवाही के पूर्व उनसे परामर्श एवं समन्वित सहयोग आवश्यक होना चाहिए।
श्री यादव ने कहा कि प्रस्तावित व्यवस्था में एन.सी.टी.सी. की जो टीम आपरेशनल कार्यवाहियां करेगी, उसको यह विकल्प दिया गया है कि निकटतम थाने में उसके लिखित अभिकथन को प्रथम सूचना रिपोर्ट के पंजीकरण का आधार बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति उचित नहीं कही जा सकती है। उन्होंने कहा कि आपरेशनल टीम के प्रमुख द्वारा विधिवत प्राथमिकी दर्ज करायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एस.ओ.पी. के सम्बन्ध में जो बिन्दु उठाये गये हैं, उनसे साफ है कि प्रस्तावित एस.ओ.पी. के प्राविधान भी राज्य के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण स्वरूप ही हैं। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए विभिन्न प्रकार की एस.ओ.पी. का पृथक-पृथक सृजन किया जाना आवश्यक है। परस्पर इन्टेलीजेन्स शेयरिंग के लिए विस्तृत एस.ओ.पी. की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न अभियानों के संचालन में भी परस्पर समन्वय एवं उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए एस.ओ.पी. बनाई जानी चाहिए। इसी प्रकार एन.सी.टी.सी. द्वारा सुचारू रूप से डेटा शेयरिंग किए जाने के लिए भी स्पष्ट
एस.ओ.पी. का निर्धारण लाभप्रद होगा। उन्होंने कहा कि एन.सी.टी.सी. द्वारा की गई कार्यवाहियों से सम्बंधित अभियोगों के ट्रायल हेतु फास्ट ट्रैक कोर्ट्स की तर्ज पर स्पेशल कोर्ट्स का सृजन जरूरी है, जिनका वित्तीय भार केन्द्र सरकार द्वारा ही वहन किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व में नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी बनाई जा चुकी है, जिसे सम्पूर्ण भारत हेतु थाने के प्रभारी अधिकारी की शक्तियां प्रदान की गई हैं। एन.सी.टी.सी. के माध्यम से आपरेशनल कार्यवाहियों की शक्तियां भी प्राप्त की जा रही हैं। ऐसा सम्भव है कि एन.सी.टी.सी. आपरेशन करे और उसका अन्वेषण एन.आई.ए. द्वारा किया जाय। इस प्रकार पुलिस व्यवस्था कायम रखने में राज्य की कोई भूमिका ही शेष न रह जाए, जबकि यह राज्य का ही मूल संवैधानिक दायित्व है। केन्द्र सरकार द्वारा
एन.सी.टी.सी. के माध्यम से जिस प्रकार एकतरफा शक्तियां ग्रहण की जा रही हैं, उनमें राज्य की परस्पर सहमति एवं साझेदारी का कोई प्राविधान नहीं रखा गया है। इससे राज्य की व्यवस्थाएं छिन्न-भिन्न हो सकती हंै। इस प्रकार केन्द्र का यह कदम सीधा संघीय प्रणाली पर प्रहार है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद तथा उग्रवाद से जनित बड़े-बड़े संघर्ष स्थानीय क्षमताओं के विकास के उपरान्त ही निष्क्रिय किए जा सके हैं। अतः राज्यों की स्थानीय क्षमताओं में विकास किया जाय। पुलिस बलों के त्वरित एवं सुरक्षित आवागमन हेतु उपयुक्त वाहनों की व्यवस्था, संचार माध्यमों का उच्चीकरण, आतंकवादी तत्वों को निष्क्रिय करने के लिए प्रभावी शस्त्रों की सुलभता, इलेक्ट्रानिक सर्विलान्स हेतु आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था, आधुनिक उपकरणों की सुलभता, अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आतंकवाद निरोधक प्रशिक्षण तथा विशिष्ट परिस्थितियों हेतु अपेक्षित निपुणताओं का विकास इत्यादि इसके महत्वपूर्ण अंश हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह सुविचारित मत है कि आंतरिक सुरक्षा से जुड़े तमाम मुद्दों से निपटने के लिए केन्द्र तथा प्रदेश सरकार की साझेदारी एवं परस्पर सहयोग महत्वपूर्ण है। किसी भी आपरेशनल फंक्शन के लिए राज्य सरकार की जानकारी, सहयोग एवं समन्वय आवश्यक शर्त होनी चाहिए। उन्होने अपेक्षा की कि एक सबल, स्थायी एवं प्रभावी व्यवस्था प्रदान करने के लिए उत्तर प्रदेश की ओर से प्रस्तुत बिन्दुओं को अन्य राज्य भी अपनी सहमति प्रदान करेंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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