संघर्ष समिति के नेताओं ने श्री पी0एल0 पुनिया से की मुलाकात।
आयोग की ओर से भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग।
कल से चलने वाले संसद सत्र में आरक्षण पर जोरदार बहस की अपील।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक श्री अवधेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में आज एक प्रतिनिधि मंडल जिसमें डा0 राम शब्द जैसवारा, अनिल कुमार, ए0के दोहरे ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति /जनजाति आयेाग के अध्यक्ष श्री पी0एल0 पुनिया जी से जनपद बाराबंकी में मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन पत्र सौपा जिसमें आरक्षण पर हो रहे कुठाराघात को रोकने सहित अनेकों मांग की गयी। संघर्ष समिति द्वारा सौपे गये ज्ञापन में कहा गया कि दिनांक 27-4-2012 को मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान के 77वाॅ एवं 85वें संशोधन को प्रदेश में समाप्त करने का आदेश दिया गया है जिससे प्रदेश में पदोन्नतियों में आरक्षण एवं परिणामी ज्येष्ठता पूरी तरह समाप्त हो गयी जिसके विरोध में आरक्षित वर्ग द्वारा पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा रही है ऐसे में अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग द्वारा भी अविलम्ब पुनर्विचार याचिका दाखिल की जानी चाहिए, क्योंकि आयोग का नैतिक कर्तव्य है कि वह आरक्षित वर्ग के संवैधानिक संरक्षण को बनाये रखने हेतु प्रभावी कदम उठाये और यह भी मांग की गयी कि लोकसभा में भी आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाले जाने हेतु सार्थक प्रयास किया जाये जिससे पदोन्नतियों में आरक्षण एवं परिणामी ज्येष्ठता पर कोई कुठाराघात न कर पाये, के लिए संविधान में संवैधानिक संरक्षण की भी व्यवस्था हो। ज्ञापन में यह बात भी उठाई गयी कि आरक्षण के मामले में होने वाली हर पीठ में चाहे वह मा0 उच्च न्यायालय में हो अथवा मा0 सर्वोच्च न्यायालय मे, सभी में एक आरक्षित वर्ग का मा0 न्यायाधीश अवश्य रखा जाये, के लिए कानून का प्राविधान किया जाये।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के नेताओं ने बाबा साहब डा0 भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिये गये संविधान प्रदत्त आरक्षण पर संकट करार देते हुए सभी से एक जुट होकर लड़ाई को आगे बढ़ाने की अपील की और यह मांग भी की, चूूंकि केन्द्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस की सरकार है, ऐसे में कांग्रेस को कल से चलने वाले संसद सत्र में आरक्षण पर हो रहे कुठाराघात पर संघर्ष समिति के प्रस्ताव पर सार्थक बहस कर उस पर निर्णय लिया जाना चाहिए। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक आरक्षित वर्ग को संविधान प्रदत्त अधिकार नहीं प्राप्त हो जाता।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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