समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि लोकायुक्त एक संवैधानिक संस्था है। लोक सेवकों के भ्रष्टाचार की जांच करनेवाली इस एजेन्सी का अपना महत्व है। इस संस्था ने अब तक कई महत्वपूर्ण जांचे की है। बसपा शासनकाल में लूट और भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा। बसपाई विधायकों-मंत्रियों और दबंगों से त्रस्त जनता ने जब उनके अवैध कब्जों, सत्ता के दुरूपयेाग और लूटमार के साक्ष्य दिए तो जांच में कई मामले सही पाए गए। बसपा के कई मंत्री पद से हटे। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अपने कारनामों को छुपाने के लिए लोकायुक्त की संस्था को भी बदनाम कर रहे हैं।
फिलहाल प्रदेश में बसपा के बहुचर्चित पूर्व मंत्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और पूर्व खेल राज्यमंत्री श्री अयोध्या प्रसाद पाल के आय से अधिक संपत्ति के मामलों की जांच चल रही है। कानून के राज की बड़ी-बड़ी बातें करनेवाली पार्टी-बहुजन समाज पार्टी के नेताओं ने अपनी सरकार के षासनकाल में कानून के साथ खूब खिलवाड़ किया। अपराध बढ़ते रहे, शासन, प्रशासन बेपरवाह बना रहा। न्यायिक संस्थाओं की गरिमा धूल धूसरित होती रही। विरोध का स्वर उठते ही बसपाराज में गोलियां और लाठियां बरसने लगती थीं।
लोकायुक्त की जांच में अड़ंगेबाजी सबसे ज्यादा बसपा के पूर्वमंत्री ही कर रहे हैं। पूर्व खेल राज्यमंत्री का लखनऊ में फार्म हाउस तिलस्मी बनकर रह गया है। पता ही नहीं चल रहा है कि उसका मालिकाना हक किसके पास है। रोज नए पार्टनर का नाम उछलता है। लोकायुक्त महोदय ने पूर्वमंत्री नसीमुद्दीन और अयोध्या पाल के बेटों को भी जांच के लिए बुलाया है। लेकिन वे बारबार बुलाए जाने पर भी हाजिर नहीं हो रहे है। यह मानसिकता जांच संस्थाओं की परवाह न करने और अपनी सामंती उदंडता दिखाने की है। संविधान के प्रति जिनमें दुर्भावना है, वही जांच एजेन्सी के सामने जाने से घबराते हैं। दरअसल उन्हें अपने कारनामों से डर लगता है। उन्हें यह भी घबराहट है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में उनके कृत्यों पर पर्दा नही पड़ पाएगा। जो किया है, उसका फल भुगतना ही पड़ेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com