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मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

Posted on 27 April 2012 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज यहां शास्त्री भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये:-


वर्ष 2012-13 में यूरिया एवं फास्फेटिक उर्वरकों के अग्रिम भण्डारण एवं उर्वरकों के परिवहन सम्बन्धी प्रस्ताव अनुमोदित

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मंत्रिपरिषद ने किसानों को समय से उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिये वर्ष 2012-13 हेतु यूरिया एवं फास्फेटिक उर्वरकों के अग्रिम भण्डारण एवं उर्वरकों के परिवहन सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
मंत्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार यूरिया एवं फास्फेटिक उर्वरकों की प्री-पोजिशनिंग योजना के अंतर्गत औसतन 06 माह की अवधि हेतु पी0सी0एफ0 को उनके द्वारा निवेश की गयी धनराशि पर देय ब्याज, जो 11.25 प्रतिशत से अनधिक होगा, की प्रतिपूर्ति शासन द्वारा की जायेगी। इस मद में अधिकतम 44.31 करोड़ रूपये की धनराशि अनुमन्य होगी। इसके अलावा पी0सी0एफ0 को भंडारित फास्फेटिक उर्वरकों पर ‘भंडारण निगम से न्यूनतम संभव दरों पर’ देय भण्डारण शुल्क की प्रतिपूर्ति की जायेगी। इस मद में अधिकतम 10.11 करोड़ रूपये की धनराशि अनुमन्य होगी।
पी0सी0एफ0 बफर गोदाम से समितियों तक पूर्वभंडारित फास्फेटिक एवं यूरिया उर्वरक के परिवहन व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु अनुदान की व्यवस्था की जायेगी। इसके तहत प्री-पोजिशनिंग व्यवस्था के अंतर्गत पी0सी0एफ0 को आपूर्ति की गयी यूरिया एवं फास्फेटिक उर्वरक पर औसतन 150 रूपये प्रति मीट्रिक टन की दर से अथवा वास्तविक व्यय की धनराशि, जो भी कम हो, इस प्रतिबन्ध के साथ उपलब्ध करायी जायेगी कि उर्वरक का परिवहन जिलाधिकारी द्वारा स्वीकृत दर से अधिक न हो। इस प्रकार 8 लाख मीट्रिक टन फास्फेटिक उर्वरक एवं 03 लाख मीट्रिक टन यूरिया हेतु इस वर्ष इस मद में अधिकतम
16.50 करोड़ रूपये की धनराशि अनुमन्य होगी।
सामान्य उर्वरकों (17.40 लाख मीट्रिक टन यूरिया एवं 7.07 लाख मीट्रिक टन फास्फेटिक) के परिवहन पर प्रदायकर्ता से प्राप्त होने वाली धनराशि को कम करते हुए, परिवहन पर हुए वास्तविक व्यय की औसत अंतर धनराशि अधिकतम 150 रूपये प्रति मीट्रिक टन की दर से अथवा वास्तविक व्यय की धनराशि जो भी कम हो, इस प्रतिबन्ध के साथ उपलब्ध करायी जायेगी कि उर्वरक का परिवहन जिलाधिकारी द्वारा स्वीकृत दर से अधिक न हो। इस प्रयोजन के लिए उर्वरकों के परिवहन हेतु अधिकतम 36.70 करोड़ रूपये की धनराशि प्रतिपूर्ति हेतु अनुमन्य होगी।
इसके अलावा प्रदायकर्ता से क्रय की गयी पूर्व भण्डारित उर्वरक के सम्बन्ध में भविष्य में इस स्थिति की संभावना हो सकती है कि पूर्व भंडारित उर्वरकों के बिक्री मूल्य में कमी हो जाए। चूंकि तब किसानों को घटे मूल्य पर ही उर्वरकों का वितरण सुनिश्चित करना होगा, जिसके परिणामस्वरूप संस्थाओं/सहकारी संस्थाओं को हानि उठानी पड़ेगी। इसलिए संस्था/सहकारी समितियों को होने वाली इस संभावित हानि की प्रतिपूर्ति सरकार से कराया जाना अभीष्ट होगा। इसकी प्रथमतः प्रतिपूर्ति प्रस्तावित बजट की बचत की धनराशि से या बचत की अनुपलब्धता की दशा में अतिरिक्त मांग के माध्यम से सुनिश्चित करायी जायेगी।
मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय भी लिया कि निबन्धक, सहकारी समितियां, उ0प्र0 एवं उ0प्र0कोआपरेटिव फेडरेशन लि0 इन व्ययों के मद तथा व्ययों को बेहतर वित्तीय/ प्रशासकीय प्रबन्धन से सीमित करने का प्रयास करेंगे तथा बाजार व्यवस्था के कारकों का गम्भीरता से अध्ययन कर प्री-पोजिशनिंग का निर्णय लेंगे, ताकि अनावश्यक व्यय न हो। साथ ही बैंको से ऋण भी इसी तरह निगोशिएट करेंगे कि यह ब्याज दर सीमित रहे। यूरिया एवं फास्फेटिक उर्वरकों के अग्रिम भण्डारण पर ब्याज मद, भण्डारण मद एवं परिवहन मद में व्यय होने वाली धनराशि की स्वीकृति वित्त विभाग की सहमति से प्रदान की जायेगी।

उ0प्र0 अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लि0 के अधिकारियों/कर्मचारियों को वेतन समिति (वेतन समिति 2008) के सातवें प्रतिवेदन की संस्तुतियों के आधार पर पुनरीक्षित वेतन संरचना में वेतन बैण्ड एवं ग्रेड वेतन तथा अन्य भत्ते एवं सुविधायें देने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के पूर्णकालिक/नियमित कार्मिकों को वेतन समिति (वेतन समिति 2008) के सातवें प्रतिवेदन की संस्तुतियों पर लिये गये निर्णय के अनुसार पुनरीक्षित वेतन संरचना में वेतन बैण्ड एवं ग्रेड वेतन तथा अन्य भत्ते एवं सुविधायें स्वीकृत करने का फैसला लिया है। यह सुविधा तात्कालिक प्रभाव से अनुमन्य होगी, पूर्वगामी अवधि के लिए प्रकल्पित आधार पर पुनरीक्षण किया जायेगा। पुनरीक्षित वेतन संरचना में वेतन बैण्ड एवं ग्रेड वेतन, अन्य भत्ते एवं सुविधायें अधिकृत समिति की 03 जनवरी, 2012 की बैठक की संस्तुतियों के आधार पर अनुमन्य की जायेंगी। यह भी निर्णय लिया गया कि पुनरीक्षित वेतन/भत्तों के भुगतान से आने वाले अधिकृत व्ययभार को निगम द्वारा स्वयं के स्रोतों से वहन किया जाएगा। इसके लिए कोई राजकीय अनुदान/सहायता देय नहीं होगी।

विज्ञापन कर की दरों में संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव अनुमोदित
प्रदेश में विज्ञापन दर के संशोधन के लिए मंत्रिपरिषद ने दो अधिसूचनाओं के आलेखों में प्रस्तावित विज्ञापन कर की संशोधित दरों को अनुमोदित कर दिया है। संशोधित दरें अधिसूचनाओं के निर्गत होने की तिथि से प्रभावी होंगी।
ज्ञातव्य है कि मनोरंजन कर विभाग राज्य के राजस्व प्राप्ति के महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है। वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु शासन द्वारा अभी से प्रभावी कदम उठाये जा रहे हैं। वर्तमान में सिनेमा के पर्दे पर प्रदर्शित विज्ञापन ही कर के दायरे में है। वर्ष 2009 में पारित अधिनियम द्वारा राज्य सरकार को विज्ञापन कर की दरों के निर्धारण की प्राप्त शक्ति के क्रम में वीडियो एवं विज्ञापन कर नियमावली में संशोधन के उपरान्त सिनेमा के पर्दे के अतिरिक्त केबिल टी0वी0, वीडियो सिनेमा व अन्य डिजिटल प्रणाली के माध्यम से पर्दे पर प्रदर्शित होने वाले विज्ञापन को कर के दायरे में लाया गया। वर्तमान में सिनेमा के पर्दे पर विज्ञापन कर की विज्ञापनवार दरें वर्ष 1983 एवं वैकल्पिक एकमुश्त दर वर्ष 1989 से लागू है, जो 25 वर्ष से अधिक पुरानी है।
मंत्रिपरिषद के निर्णय द्वारा सिनेमा के पर्दे पर लागू विज्ञापन कर की दरों को पुनरीक्षित किया गया है तथा केबिल टी0वी0, वीडियो सिनेमा व अन्य डिजिटल प्रणाली के माध्यम से पर्दे पर प्रदर्शित होने वाले विज्ञापन पर विज्ञापन कर की दरें निर्धारित की गयी हैं। यह दरें तीन श्रेणियों यथा-नगर निगम व नोएडा/गे्रटर नोएडा, नगर पालिका तथा अन्य स्थानीय क्षेत्रों में विभाजित करते हुए शार्ट, स्लाइड्स, फिल्म का ट्रेलर व अन्य विज्ञापनों के लिए अलग-अलग नियत की गयी है तथा विकल्प के रूप में सिनेमा व मल्टीप्लेक्स सिनेमा, केबिल टी0वी0, वीडियो तथा अन्य डिजिटल उपकरणों हेतु एकमुश्त दरें भी निर्धारित की गयी हैं। सिनेमा पर्दे पर विज्ञापन कर की दरों में संशोधन एवं केबिल टी0वी0 आदि के माध्यम से पर्दे पर प्रदर्शित होने वाले विज्ञापन कर की दरों के निर्धारण से लगभग 11.00 करोड़ रूपये की अतिरिक्त आय की संभावना है।

जनता जर्नादन हायर सेकेण्ड्री स्कूल, रग्घुपट्टी, अम्बेडकरनगर को अनुदान सूची पर लेने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने जनता जर्नादन हायर सेकेण्ड्री स्कूल, रग्घुपट्टी, अम्बेडकरनगर को अनुदान सूची पर लेने सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
मंत्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार मा0 न्यायालय के आदेशों के क्रम में शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) की अध्यक्षता में गठित समिति की संस्तुति एवं वित्त विभाग की अनापत्ति को दृष्टिगत रखते हुए शासनादेश निर्गत होने की तिथि से कुल 27 अध्यापकों/कर्मचारियों हेतु पद सृजित करते हुए जनता जर्नादन हायर सेकेण्ड्री स्कूल, रग्घुपट्टी, अम्बेडकरनगर को अनुदान सूची पर लिया जाएगा।

मा0 सर्वोच्च न्यायालय में योजित विशेष अनुज्ञा याचिका (सिविल) - 78/2011 को वापस लेने का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने मा0 सर्वोच्च न्यायालय में योजित विशेष अनुज्ञा याचिका (सिविल) संख्या - 78/2011 उत्तर प्रदेश राज्य तथा अन्य प्रति राम सेवक तथा अन्य को वापस लिए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया।
ज्ञातव्य है कि लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश द्वारा सम्पादित किये जाने वाले विभिन्न चयनों के सम्बन्ध में प्राप्त शिकायती पत्रों के आधार पर प्रकरण की जांच सतर्कता अधिष्ठान से कराये जाने के सम्बन्ध में सतर्कता विभाग द्वारा 27 जून, 2008 को आदेश निर्गत किये गये थे। लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, श्री राम सेवक तथा कतिपय अन्य सदस्यगण द्वारा सतर्कता विभाग के आदेश के विरूद्ध मा. उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में रिट याचिका संख्या-46110/2008 राम सेवक तथा अन्य प्रति उत्तर प्रदेश राज्य तथा अन्य योजित की गयी। शासन द्वारा उक्त रिट याचिका में प्रतिशपथ पत्र दाखिल किया गया।
रिट याचिका संख्या-46110/2008 में 23 सितम्बर, 2010 को पारित आदेश में आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यगण के विरूद्ध सतर्कता जांच को अननुज्ञेय पाते हुए, उक्त जांच को संविधान के प्राविधानों के विपरीत बताया गया। साथ ही तत्कालीन अध्यक्ष, लोक सेवा आयोग के समस्त सेवानैवृत्तिक देयों का भुगतान करने के आदेश दिये गये। मा0 उच्च न्यायालय के आदेश के विरूद्ध मा. सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुज्ञा याचिका (सिविल) संख्या-78/2011 उत्तर प्रदेश राज्य तथा अन्य प्रति राम सेवक तथा अन्या योजित कर दी गयी।
वर्तमान में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा 23 सितम्बर, 2010 को पारित आदेश का परीक्षण/अध्ययन करने पर यह समीचीन पाया गया कि मा0 उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाय तथा मा0 सर्वोच्च न्यायालय में योजित की गयी विशेष अनुज्ञा याचिका (सिविल) संख्या-78/2011 को वापस लिया जाए।

विधि परामर्शी निर्देशिका में संशोधन के विरूद्ध दायर रिट याचिकाओं के क्रम में  शासन द्वारा योजित विशेष अनुज्ञा याचिका को वापस लिये जाने को कार्योत्तर स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने रिट याचिका संख्या- 7851 (एम/बी)/2008 उ0प्र0 शासकीय अधिवक्ता कल्याण समिति बनाम उ0प्र0 राज्य व अन्य में पारित मा0 उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 6-1-2012 के विरुद्ध मा0 उच्चतम न्यायालय में लम्बित विशेष अनुज्ञा याचिका संख्या-4160/2012 तथा रिट याचिका संख्या-8246 (एम/बी)/2011 विशन पाल सक्सेना बनाम उ0प्र0 राज्य व अन्य में पारित मा0 उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 12-1-2012 के विरुद्ध योजित सभी विशेष अनुज्ञा याचिकाओं को वापस लिये जाने को कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन के पश्चात इन सभी विशेष अनुज्ञा याचिकाओं को वापस लिये जाने के आदेश 18 अपै्रल, 2012 को निर्गत कर दिये गये हैं।

सेवानिवृत्त मुख्य सचिव एवं सेवानिवृत्त मंत्रिमण्डलीय सचिव को आकस्मिक कार्यों के संपादन हेतु एक घरेलू सेवक व वाहन चालक की अनुमन्य सुविधा निरस्त
मंत्रिपरिषद ने सेवानिवृत्त मुख्य सचिव एवं सेवानिवृत्त मंत्रिमण्डलीय सचिव को दिन प्रतिदिन के आकस्मिक कार्यों के संपादन हेतु एक घरेलू सेवक व वाहन चालक की सुविधा अनुमन्य कराने का औचित्य न पाये जाने पर इस सम्बन्ध में 05 मार्च, 2012 को जारी शासनादेश को निरस्त कराने का निर्णय लिया है।

उ0प्र0 क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (संशोधन) विधेयक, 2011 को वापस लेने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (संशोधन) विधेयक, 2011 को वापस लेने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि उ0प्र0 क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम, 1961 में क्षेत्र पंचायत के प्रमुख और जिला पंचायत के अध्यक्ष को निर्वाचित सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से उनके पद से हटाने की व्यवस्था की गयी है। इस अधिनियम की धारा-15 एवं धारा-28 की उपधारा (13) में प्राविधान है कि इस धारा के अधीन किसी प्रस्ताव का नोटिस यथास्थिति प्रमुख या अध्यक्ष के पद ग्रहण करने के एक वर्ष के भीतर ग्रहण नहीं की जाएगी।
इस प्रकार क्षेत्र पंचायत प्रमुख/अध्यक्ष जिला पंचायत के विरूद्ध इस धारा के अधीन सामान्य बहुमत से एक वर्ष के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, किन्तु प्रमुख/अध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पद ग्रहण करने के दो वर्ष के बाद लाये जाने का विभागीय मत स्थिर हुआ। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए उ0प्र0 क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम, 1961 की धारा-15 की उपधारा (13) और धारा-28 की
उपधारा (13) में संशोधन करने की दृष्टि से उ0प्र0 क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (संशोधन) विधेयक, 2011 विधानमण्डल के दोनों सदनों से पारित किये जाने के बाद 19 अगस्त, 2011 को राज्यपाल को भेजा गया, जिस पर अनुमति प्रतीक्षित है।
इसी बीच प्रदेश में विधानसभा का सामान्य चुनाव सम्पन्न हुआ, जिसमें नई सरकार को जनादेश प्राप्त हो गया है। क्षेत्र पंचायतों एवं जिला पंचायतों के गठन हुए भी एक वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है और कतिपय क्षेत्र पंचायतों/जिला पंचायतों में अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस प्राप्त होने की सूचनायें मिल रहीं हैं। ऐसे में बदली हुई परिस्थितियों में प्रश्नगत अधिनियम की वर्तमान व्यवस्था ही उचित प्रतीत होती है। इसको दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार ने संशोधन विधेयक को वापस लेने का निर्णय लिया है।

‘मान्यवर श्री कांशीराम वन, वन्य जीव एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार’ योजना का नाम बदलकर ‘वीर अब्दुल हमीद वन एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार’ करने का फैसला
मंत्रिपरिषद ने वीर अब्दुल हमीद को राष्ट्रीय स्तर का सम्मान देने के लिए ‘मान्यवर श्री कांशीराम वन, वन्य जीव एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार’ योजना का नाम बदलकर ‘वीर अब्दुल हमीद वन एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार’ करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही पूर्व में अधिसूचित पुरस्कार से सम्बन्धित समस्त प्राविधान यथावत रखने तथा इसके लिए अलग से अधिसूचना जारी करने का भी निर्णय लिया है।

मा0 उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ के आदेश के अनुपालन हेतु स्वास्थ्य सहायक संवर्ग का स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी के पद पर की गयी नोशनल पदोन्नति पर वेतन निर्धारण वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-02 भाग-02 से 4 के मूल नियम-27 के अधिकारों का प्रतिनिधायन
मंत्रिपरिषद ने परिवार कल्याण विभाग के स्वास्थ्य सहायक संवर्ग की रिट याचिका में पारित आदेश दिनांक 19 जुलाई, 2007 के अंतर्गत नोशनल प्रोन्नति प्राप्त स्वास्थ्य सहायकों को पदोन्नति की तिथि से एवं नोशनल पदोन्नति प्राप्त सेवारत स्वास्थ्य सहायकों का वेतनमान वास्तविक रूप से प्रोन्नत के पद पर कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से मूल नियम-27 के अन्तर्गत विभागाध्यक्ष की हैसियत से पुनर्निधारित किये जाने के अधिकारों को प्रतिनिधानित्व किये जाने के प्रस्ताव को इस शर्त के अधीन अनुमोदित किया है कि विभागाध्यक्ष प्रत्येक मामले में वित्त विभाग के प्रतिनिधि के रूप में विभाग में तैनात वित्त नियंत्रक की सहमति प्राप्त करेंगे। इसके साथ ही मूल नियम-27 के अंतर्गत अधिकारों का प्रयोग केवल मा0 उच्च न्यायालय के संदर्भित आदेश दिनांक 19 जुलाई, 2007 के अनुपालन हेतु ही किया जाएगा।

मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 सचिवालय  अनुदेश-1982 में संशोधन का निर्णय लिया

अब मुख्य सचिव ही मंत्रिपरिषद के सचिव होंगे

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सचिवालय अनुदेश-1982 के अनुदेश संख्या-5 के प्राविधान में संशोधन करते हुए ‘‘कोई अन्य अधिकारी’’ अंश को हटाने का निर्णय लिया है, जिसके फलस्वरूप अब भविष्य में मुख्य सचिव ही मंत्रिपरिषद के सचिव होंगे।
पूर्व में उ0प्र0 सचिवालय अनुदेश-1982 में यह व्यवस्था थी कि मुख्य सचिव के अलावा कोई अन्य अधिकारी भी मंत्रिपरिषद का सचिव हो सकता है। इसी प्राविधान के तहत पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा कैबिनेट सेक्रेटरी के पद पर अन्य अधिकारी की नियुक्ति की गयी थी। आज मंत्रिपरिषद के निर्णय से इस प्राविधान में संशोधन करके ‘‘कोई अन्य अधिकारी’’ अंश को हटाने का निर्णय लिया गया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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