अरूणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद ने आज कहा कि बिना समाजवाद के जनतंत्र सफल नहीं हो सकता। आर्थिक व सामाजिक विषमतायें जब तक रहेंगी जनतंत्र की भावना आहत होती रहेगी।
श्री प्रसाद आज स्थानीय कैपिटल सेन्टर में हेमवती नन्दन बहुगुणा की 94वीं जयन्ती पर आयोजित ‘जनतंत्र और समाजवाद’ विषयक संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान लागू होने के दिन डा. अम्बेडकर ने कहा था कि आज राजनीतिक रूप से सभी बराबर हो गये परन्तु सामाजिक बराबरी प्राप्त करना बाकी है। श्री प्रसाद ने आगे कहा कि बाबू जगजीवन राम के पास आर्थिक संसाधन की कभी नहीं थी परन्तु काशी में उनके द्वारा अनावृत्त सम्पूर्णानन्द जी की प्रतिमा को गंगाजल से धोया गया था। अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के अध्यक्ष पी.एल. पुलिया के गत वर्ष उड़ीसा के मन्दिर मंे प्रवेश को लेकर हुए हंगामे को विषय से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि ऊंच-नीच, छोटा-बड़ा तथा अश्पृश्यता की भावना समाप्त किये बिना लोकतंत्र की सफलता बेमानी है। स्वर्गीय बहुगुणा के व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए पूर्व राज्यपाल ने कहा कि वर्ष 1971 में सैय्यद अली जहीर की अध्यक्षता में गठित प्रथम वेतन आयोग की सिफारिशों को अक्षरशः लागू कर बहुगुणा जी ने राज्य कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को प्राथमिकता के आधार पर हल किया। उन्होंने आजीवन सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े दलितों, अल्पसंख्यकों व समाज के कमजारे वर्गों को संरक्षण प्रदान किया। वे सच्चे अर्थों में जनतंत्र के हिमायती थे।
पूर्व महापौर डा. दाऊजी गुप्त ने कहा कि बहुगुणा जी भारतीय राजनीति में सेकुलरिज्म के अप्रतिम योद्धा थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की भुवनेश्वर में जारी घोषणा पत्र में ‘जनतांत्रिक समाजवाद’ के आधार पर नीतियां निर्धारित करने का फैसला बहुगुणा जी के कारण ही सम्भव हो पाया था। उन्होंने कहा कि उ.प्र. के मुख्यमंत्री व केन्द्रीय संचार मंत्री के रूप में बिताये बहुगुणा जी के सुदीर्घ संसदीय जीवन में कोई ऐसा विषय नहीं रहा जिस पर विधान सभा अथवा लोकसभा में उन्होंने अपने विचार न रखे हों।
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कपूर ने कहा कि हेमवती नन्दन बहुगुणा में लोगों को जोड़ने की कला थी। वे सबसे मिलते थे तथा लोगों का फीडबैक लेते थे। उनका समय व्यक्तिगत न होकर जनता के लिए था। उन्होंने स्व. बहुगुणा के विचारों को संकलित कर प्रकाशित करने की आवश्यकता बतायी।
इस अवसर पर उपस्थित प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. रीता बहुगुणा जोशी ने अपने पिता को मूल्यपरक राजनीति का पुरोधा बताया। कहा कि उन्होंने कभी भी नैतिक मूल्यों और सिद्धान्तों से समझौता नहीं किया। राजनीति, अर्थव्यवस्था या विदेश नीति के सन्दर्भ में गांधी-नेहरू निर्मित समाजवादी ढांचे को अंगीकार करने वाले बहुगुणा जी ने आजीवन मूल्य आधारित राजनीति की। उन्होंने कहा कि आज उनके देहावसान के 22 वर्ष बाद भी उन्हें याद किया जा रहा है तो वह उन्हीं मूल्यों व आदर्शो का परिणाम है जिसके लिए वे आजीवन समर्पित रहे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ बहुगुणा जी के अभिन्न सहयोगी रहे पूर्व विधायक डी.पी. बोरा, पूर्व विधायक चन्द्रशेखर त्रिवेदी, बी.एस. रावत, प्रदीप कपूर, अशोक निगम, पी.सी. जोशी, सहित मुख्य अतिथि माता प्रसाद, डा. दाऊजी गुप्त, डा. रीता बहुगुणा जोशी, डा. नीरज बोरा आदि ने स्व. हेमवती नन्दन बहुगुणा के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। फर्रूखाबाद के प्यारे मियां, वरिष्ठ नेता इन्दुधर द्विवेदी आदि वक्ताओं ने बहुगुणा जी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तृत प्रकाश डाला। समारोह का संचालन हेमवती नन्दन बहुगुणा स्मृति समिति के महासचिव प्रदीप श्रीवास्तव ने किया।
इस अवसर पर आयोजक संस्था हेमवती नन्दन बहुगुणा स्मृति समिति द्वारा बहुगुणा जी पर डाक टिकट जारी करने, राजधानी में उनकी प्रतिमा लगाने तथा किसी मार्ग का नामकरण करने की मांग की गयी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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