घातक बीमारियाॅ होने की आशंका, प्रशासन मौन

Posted on 24 April 2012 by admin

पर्यावरण में विष घोल रहे हानिकारक तत्वों से निपटने में जिला प्रशासन व जिम्मेदार विभागों के प्रयास नाकाफी हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रतिबंध के बावजूद पाॅलीथीन के चलन पर रोक नहीं लग सकी। गंगा गोमती आदि को प्रदूषण से मुक्त कराने के दावे महज कागजी होकर रह गए हैं। शहर में सार्वजनिक स्थलों पर सड़क के किनारे रातो-दिन तड़तड़ा रहे जनरेटर लोगों को गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में ले रहे हैं। जिले में पौधरोपण की गति भी सुस्त है। जिले की धरती पर बढ़ रहे वायु, ध्वनि व जल प्रदूषण ने लोगों को खुली हवा में सांस लेना मुश्किल कर दिया है। शहर का गौरव आदि गंगा गोमती का दामन मैला करने में न तो आम लोग पीछे हैं और न ही जिम्मेदार लोग। हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि गंदगी के चलते लोग अब स्नान पर्वो पर भी पतित पावनी गोमती में नहाने को लेकर पीछे हटते नजर आते हैं। शहर के नालों के जरिए गोमती नदी में गंदगी पहुंच रही है। इस गंदे पानी को नदी में जाने से रोकने के लिए शहर में दो जगह प्रदूषण नियंत्रण केन्द्र बनाए गए हैं लेकिन यह भी अपने मकसद में कामयाब नहीं हैं। शहर के लोगों को पेयजल आपूर्ति के नाम पर दूषित जल पिलाया जा रहा है। इसमें सभी कीटनाशक दवाएं नहीं मिलाई जाती। ऐसे जल का सेवन करने से लोग फ्लोरोसिस व अन्य घातक बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। इलाहाबद-फैजाबाद मार्ग की पटरियों पर रखे दर्जनों जनरेटरों की तड़तड़ाहट लोगों को कान व दिल संबंधी बीमारियां मुफ्त में बांट रही है। वहीं इन सब के बीच पौधरोपण की गति भी काफी धीमी है।
इसी तरह शहर में नर्सिंग होमों व निजी क्लीनिकों के किनारे सड़कों व सार्वजनिक स्थलों पर बेतरकीब ढंग से फैला मेडिकल कचरा लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा है। मेडिकल कचरे के निस्तारण को लेकर न तो नर्सिंग होम संचालक गंभीर है और न ही पालिका प्रशासन। मेडिकल कचरे के इंफेक्शन से शहर वासियों को संक्रामक बीमारियां यूं ही अपने गिरफ्त में ले रही हैं।
एक ओर लोगों को संक्रामक बीमारियों से बचाने व उपचार के लिए शासन करोड़ों रूपये खर्च कर रहा है, वहीं दूसरी ओर शहर में खुले नर्सिंग होम व क्लीनिक संचालकों का मेडिकल कचरा यूं ही सड़कों पर पड़ा दिखाई देता है। इसके निस्तारण के लिए पालिका प्रशासन व स्वास्थ्य मकहमे को सख्त हिदायत दी गई है बावजूद इसके इनके संचालकों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नर्सिंग होम का लाइसेंस निर्गत करने से पूर्व मेडिकल कचरा निस्तारण के लिए इंसीनरेटर की उपलब्धता अनिवार्य की गई है। लेकिन खुलेआम नियमों की अवहेलना की जा रही है। शहरवासी मेडिकल कचरे की वजह से संक्रामक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसका उदाहरण शहर के गोमती नगर, सुपर मार्केट, नार्मल चैराहा के पास,सिरवारा मार्ग पर स्थित नर्सिंग होमों  के आस-पास आसानी से देखा जा सकता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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