सरकारी राशन की दुकानें बनी भ्रष्टाचार की जननी

Posted on 17 April 2012 by admin

ऽ    उठान से लेकर वितरण तक निर्धारित हैं रेट

जनपद के तहसीलो व ग्राम पंचायतों मे निवास करने वाले गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारो के लिए केन्द्र सरकार द्वारा  भरण पोषण के लिए अन्त्योदय, बी०पी०एल० राशन कार्ड दिया गया । जिससे उचित मूल्य पर राशन मिल सके लेकिन पूर्ति विभाग द्वारा गरीबो के पेट पर डाका डाला जा रहा है जिसमें गैंग के लीडर बने  हैं पूर्ति निरीक्षक हिस्सेदार जिले के अधिकारी ।
गौरतलब हो कि जनपद के चार तहसीलो मे तेरह विकास खण्ड बनाए गये है तहसील सदर में अन्तोदय, बीपीएल कार्ड धारको को उचित मूल्य पर खाद्य सामग्री चीनी, केरोसिन तेल के लिए राशन द्वारा तीन सौ चैतीस उचित दर की दुकानों का चयन किया गया है । परन्तु खाद्य एवं रसद विभाग मे फैला भ्रष्ट्राचार चरम सीमा पर है पूर्ति निरीक्षक एवं कोटेदार की मिली भगत से गरीबो के राशन की काला बाजारी की जा रही है र्पू्र्ति निरीक्षको द्वारा गरीबो के पेट  पर डकैती डालते हुए कोटेदारो से प्रतिमाह लाखो रुपये की वसूली की जा रही है ।
इस योजना का फायदा गरीबो को न मिल कर सम्पन्न वर्ग को फायदा दिलाते हुए शासन प्रशासन में बैठे लोग माला माल हो रहे है। जब राशन की काला बाजारी की शिकायत कार्ड धारको द्वारा उपजिलाधिकारी और जिले के मुखिया से है लिखित रुप से की जाती है तो जांच के नाम पर अधिकारी अवैध वसूली करते है ।
मगर चोर चोर मौसेरे भाई वाली कहावत चरितार्थ हो रही है प्रार्थना पत्र को वास्केट वाल की तरह एक हाथ से दूसरे हाथ घुमाया जा रहा है आलम यह है कि तहसील की र्पू्र्ति निरीक्षक कोटेदारो को राशन की काला बाजारी करवा कर मोटी रकम की वसूल की जाती है । पूर्ति निरीक्षक खाद्य विभाग में भ्रष्ट्राचार का मुख्य सूत्रधार बन गये है उनके उपर न तो जिला र्पू्र्ति अधिकारी  का फरमान चल रहा है न ही जिलाधिकारी का ही  ।
हालत यह है कि अधिकारी कोटेदार को ३ध्७ में मुकदमे का धौस देकर बलि का बकरा बना देते है हालत यह है कुछ कोटेदार अपना नाम न छापने एवं दबे जुबान से कहते है शासन द्वारा प्रत्येक कोटेदार को दुकान तक लाने के ढुलाई का खर्च एवं बोरे के अतिरिक्त वजन खाद्य एवं विपणन विभाग को मिलता है विभाग अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिली भगत से इनका हक डकारते हुए इनसे मोटी रकम वसूल की जाती है ।
हैरत है उपजिलाधिकारी पूर्ति निरीक्षको का जांच कराकर या जांच अधिकारी नामित करके दुकानो को निलम्बित एवं बहाल करने का खेल भ्रष्ट्राचार में दूबे हुए है । तहसील सदर के पांच विकास खण्डो मे ३३४ उचित दुकान नामित है प्रत्येक दुकानदार से पूर्ति निरिक्षको द्वारा दो हजार से तीन हजार रुपये की वसूली करके गरीबो का राशन बेचवाया जा रहा है ।
क्षेत्र के दर्जनो कोटेदारो का कहना है कि १५ से २० रुपये प्रति कुन्तल अनाज का १०० से १५० प्रति कुन्तल चीनी, सौ रुपये प्रति ड्रम तेल से लिया जाता है स्टाक सत्यापन से वितरण प्रवेक्षक द्वारा एक हजार रुपया लिया जाता है । डीजल के दामो में बृद्धि के कारण राशन लाने का किराया पांच सौ से बढा कर बारह सो दो हजार कर दिये है वही पल्लेदारी ५० पैसे से बढा कर ५ रुपये कुन्तल हो गया है ।
कोेटेदारो का कहना है कि राशन वितरण करने से पहले पांच हजार का खर्च आ जाता है तो ६ रु० प्रति कुन्तल कमीशन में कैसे सम्भव है ऐसे में जिले  की अधिकारी जांच के नाम पर दुकानदारो के गले मे फांसी लगा देते है इसी तरह दुकानदार राशन की काला बाजारी करने को मजबूर हो जाते है । जिले के कोटेदारो ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि कोटेदारो का कमीशन बढाया जाय तथा इन भ्रष्ट अधिकारियो की जांच कर कार्यवाही की जाय ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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