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जनता को लोकतंत्र का एहसास कराया है

Posted on 17 April 2012 by admin

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि जनता ने बसपा अध्यक्ष को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस हकीकत को समझने और सबक लेने के बजाय वह अभी भी झूठ का एजेन्डा चला रही है। उनके समय समाज के हर वर्ग का उत्पीड़न हुआ। दलित महापुरूषों के सम्मान के नाम पर 50 हजार करोड़ रूपए पत्थर के हाथियों, पार्को, स्मारकों पर उड़ा दिए गए। ऐसा पहली बार हुआ कि जिन्दा रहते ही मुख्यमंत्री की मूर्तियां चैराहों पर लगा दी गईं। जनता को मंहगाई और भ्रष्टाचार की मार सहनी पड़ी। अपने कारनामों से स्वयं आशंकित वह अब अपने जान को खतरा बता रही हैं। उन्हें किसी से खतरा नहीं, वह स्वयं अपने लिए खतरा हैं।
सुश्री मायावती को समाजवादी पार्टी की सरकार में कानून व्यवस्था की स्थिति में बिगाड़ दिखाई देने लगा है जबकि उनके शासनकाल में आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री-विधायक हत्या, अपहरण और बलात्कार के मामलों में जेल में बंद हुए थे। कई बसपा मंत्रियों को लोकायुक्त की जांच में दोषी पाए जाने पर हटाया गया। लेकिन उनके खिलाफ न तो प्राथमिकी दर्ज हुई  और नहीं उन्हें जेल भेजा गया।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय की जारी वार्षिक रिपोर्ट 2011-12 में कहा गया है कि 2010 में अनुसूचित जातियों पर देशभर में कुल 32 हजार 712 हमलों में सर्वाधिक 6 हजार 272 यानी 19Û2 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश में हुए है। बसपाराज में महिलाओं और बच्चियों तक से बलात्कार की घटनाएं हुई। मुख्यमंत्री ने किसी के दर्द से संवेदना नहीं जताई। दलितों की जमीने दबंगों ने छीन ली। पुलिस-पीएसी की भ्ूामिका बीएसपी की वालंटियर फोर्स जैसी हो गई। इस सबके बाद भी बसपा सुप्रीमों को अगर अपने राज में जंगलराज नहीं दिखा तो फिर क्या कहा जा सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री की एक यह भी आदत रही है कि जब कभी उनके कालेकारनामों पर जवाबदेही की स्थिति आई तो वे विपक्षी को दलित विरोधी का तमगा पहनाने लगती हैं और खुद दलित की बेटी बनकर सहानुभूति पाने की कोशिश करने लगती है। लेकिन सबकों मालूम है कि दलित की बेटी हीरों जवाहरातों की शौकीन है और आलीशान कोठियों में रहना पसंद करती है। दलितों की बेटी के समय दलित महिलाएं भी उनके पास नहीं पहुॅच पाती थी और यदि किसी ने उनके पास जाने की हिम्मत की तो उसे सीधे जेल भेज दिया जाता था।
श्री अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण के साथ ही जनता को लोकतंत्र का एहसास कराया है और बसपा मुखिया ने प्रदेश में जैसी अघेाषित आपात स्थिति लागू कर रखी थी उससे छुटकारा दिलाने का काम किया है। दलित महापुरूषों के सम्मान का सवाल उठाने वाली सुश्री मायावती के कुप्रचार को मुख्यमंत्री जी ने यह कहकर समाप्त कर दिया है कि बसपाराज में बनी पत्थर की मूतियाॅ तोड़ी नहीं जाएगी। बल्कि जो खाली जगह पड़ी है उसका उपयोग किया जाएगा। यदि बसपा सुप्रीमों ने दलितों के बीच इस बारे में झूठी उत्तेजना पैदा करने की कोशिश की तो कानून व्यवस्था के तंत्र को कठोर कार्यवाही करने पर बाध्य होना पड़ेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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