प्रदेश को बिमारू राज्य से विकासशील राज्य के रूप में विकसित करने की ठान चुके युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नई राह चुनी है। केन्द्र और राज्य के बीच छत्तीस के सम्बन्धों के चलते विगत एक दशक से लगातार उपेक्षा का दंश सह रहे उत्तर प्रदेश में परिवर्तन की लहर सिर्फ सत्ता परिवर्तन के सीमित सांचे से निकलकर वैचारिक परितर्वन की राह पर है। उत्तर प्रदेश को नई राह पर चलाने की कोशिश आने वाले कल में बदलते उत्तर प्रदेश का नया इतिहास रचने को आतुर है। विकास की कसौटी पर वादों की फेरिस्त से वोट तो हासिल किये जा सकते थे लेकिन विकास का रास्ता विवादों से नहीं वादों का पूर्ण करने के लिये उक्ति अपनाने से होता है। इसीलिऐ पसोपेश के बिना समाजवादी पार्टी के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस तरह सौम्य आचरण वाले डा0 मनमोहन सिंह के दिल्ली दरबार में प्रदेश के विकास के लिये सौगात मागने में कोई देर नही की है। राजनैतिक धरातल पर दिल्ली में कांग्रेस का समर्थन कर रही समाजवादी पार्टी जबरजस्त जीत के बावजूद भी सधे कदमों के साथ दिल्ली को साधने के उपक्रम में सफल होती है तो उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश की राह में निरन्तर अग्रसर होता रहेगा।सन् 2012 के विधान सभा चुनावों में मतदाताओं ने करिश्मा कर दिखाया। 12 सितम्बर,2011 से साइकिल और समाजवादी क्रांतिरथ से प्रदेश भर में बसपा कुशासन के खिलाफ जनजागरण अभियान पर निकले श्री अखिलेश यादव ने जनता से सीधा संवाद किया। जब चुनाव परिणाम आए तो 224 सीटों पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली। इस जीत के साथ एक नई कार्य संस्कृति और लोकतंत्र की नई विधा का भी सूत्रपात हुआ। पूरे पांच साल प्रदेश की जनता बसपा राज में यंत्रणा भोगती रही। बसपा मुख्यमंत्री के आवास पर अघोषित कफ्र्यू रहता था, सडक पर उनका काफिला निकलता था तो पहले सड़क की धुलाई होती थी और फिर घंटो यातायात रोक दिया जाता था। लेकिन 15 मार्च,2012 को समाजवादी पार्टी के युवा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने शपथ ग्रहण के साथ ही वे सारी जंजीरें तोड़ दी जिनके भार से जनता कराह रही थी।
मुख्यमंत्री ने कालिदास मार्ग पर लगे सभी बैरियर हटवाकर जनता को मुक्ति का पहला एहसास कराया। जनता अब निर्बाध इस रास्ते पर चली है। मुख्यमंत्री ने अपनी सुरक्षा फ्लीट में भी कमी कर दी और लोग यह देखकर चकित हैं कि मुख्यमंत्री के आने जाने के समय न तो यातायात रोका जाता है, नहीं हूटरों की तेज आवाज के साथ हटो-बचो की चीत्कार के साथ कमांडो की घूरती आंखे दिखती हंै।
जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, नियमित रूप से जनता से मिलते थे। पिछली सरकार ने इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया था। अब फिर जनता और सरकार के बीच संवाद की नई कड़ी की शुरूआत हो रही है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जनता से भेंट कार्यक्रम की शुरूआत 18 अप्रैल,2012 से करने की घोषणा की है। यह जनता से भेंट कार्यक्रम मुख्यमंत्री के सरकारी निवास 5-कालिदास मार्ग पर प्रत्येक बुधवार को प्रातः 9Û00 बजे से 11Û00 बजे तक होगा। मुख्यमंत्री इसमें स्वयं उपस्थित रहेगें और जनता को उनसे अपनी बात कहने का मौका मिलेगा। जनता की तकलीफों को दूर करने के भी निर्देश तत्काल दिए जाएगें। हर मंगलवार को वे विधायक एवं जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करेगें।
प्रदेश के 33वें मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की कमान सम्हालते ही अखिलेश यादव ने चुनावी वायदों को पूरा करने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। 15 मार्च,2012 को कैबिनेट की पहली बैठक में ही 35 साल सेे अधिक उम्र के हाईस्कूल पास बेरोजगारों को हर माह एक हजार रूपए का बेरोजगारी भत्ता देने, कक्षा दस पास करने वाले छात्र- छात्राओं को टैबलेट पीसी व कक्षा 12 पास करनेवालों को लैपटाप देने,जिससे संस्कृत विद्यालय, मदरसा के पास होने वाले भी लाभान्वित होगें, राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव बहाल करने की घोषणा के साथ कक्षा 10 पास करनेवाली बालिकाओं को शिक्षा व विवाह के लिए 30 हजार रूपए का अनुदान देने का भी निर्णय लिया गया। पहले ही दिन यह भी तय किया गया कि पुलिस बल में कांस्टेबिल, हेड कांस्टेबिलों की तैनाती अब उनके गृह जिलों के नजदीक हो सकेगी। लखनऊ के चाराहों पर सीसी टी0वी0 कैमरे लगाने और नई भर्ती पर रोक लगाने का भी निर्णय कैबिनेट ने लिया।
31 मार्च,2012 को विश्व गुर्दा दिवस पर मुख्यमंत्री ने कैंसर, किडनी, लीवर व हार्ट की गम्भीर बीमारियों का मुफ्त इलाज कराने की घोषणा की। इसमें गरीबी बाधा नहीं बनेगी। समाजवादी पार्टी सरकार ने मुख्यमंत्री के गृह जनपद इटावा में लायन सफारी की महत्वाकांक्षी योजना पर फिर काम शुरू करने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2005 में श्री मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में यह योजना बनी थी। यह योजना इटावा के पास फिशर वन क्षेत्र के करीब 50 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाई जाएगी।
प्रदेश सरकार ने लखनऊ और नोएडा में बने पार्को, स्मारकों के निर्माण में हुई अनियमितताओं और लूट की जांच कराने का भी निर्णय लिया है। जनता की गाढ़ी कमाई के दुरूपयोग को भी जांच में शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री जी ने लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया है कि समाजवादी पार्टी की सरकार बदले की भावना से कोई कार्यवाही नहीं करेंगी। प्रतिमाओं, स्मारकों से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी, सिर्फ अनावश्यक भूमि पर अस्पताल, कालेज खोले जायेगे।
उत्तर प्रदेश की मुख्य समस्या बुनियादी ढांचे के विकास की है। विकास का माहौल कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरने से ही बनता था। बसपा सरकार ने पुलिस को पंगू बना दिया था। अपराध बढ़ गए थे। स्वंय बसपा के विधायक, मंत्री हत्या, बलात्कार, लूट जैसे मामलों में अभियुक्त बन गए थे। श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में कानून का राज स्थापित करने पर पहला जोर दिया और अपने पार्टीजनों को भी कानून तोड़ने की चेतावनी दी। बिजली का गम्भीर संकट बना हुआ है। पिछली सरकार ने विद्युत उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने समय जिन विद्युत उत्पादन इकाइयों की नींव रखी थी वे भी सब बसपा राज में अधूरी पड़ी रहीं। एक भी बिजलीघर बसपा सरकार ने नहीं लगाया। श्री मुलायम सिंह यादव के समय की योजनाओं को बसपा मुख्यमंत्री ने अपने खाते में डाल लिया। श्री अखिलेश यादव ने बंद पड़ी लघु जल विद्युत परियोजनाओं को पुनः शुरू करने का निर्देश दिया है। ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने विद्युत उत्पादन गृहों का पीएलएफ बढ़ाने तथा निर्माणाधीन पारीछा, हरदुआगंज एवं आनपरा-डी परियोजनाओं को भी शीघ्र पूरा करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही पावर लास में कमी, वसूली बढ़ाने तथा वितरण व्यवस्था में सुधार के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।
नई सरकार ने सड़क और पुलों पर ध्यान दिया है जबकि बसपा सरकार ने इनकी पूरी तरह उपेक्षा कर दी थी। इससे यातायात बुरी तरह बांधित हुआ है। सड़क मार्ग पर परिवहन अतिक्रमण तथा टूटी- फूटी सड़को के कारण दिन प्रतिदिन कष्टप्रद बन गया था। सभी जिला मुख्यालय अब राजधानी से चार लेन से जुड़ेगें। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने राजधानी में टैªफिक समस्या पर विशेष कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए है क्योंकि प्रदेशभर से आए लोगों पर राजधानी की स्थिति का प्रभाव होता है।
मुख्यमंत्री ने गरीबों के लिए आवास, पेयजल की व्यवस्था और भूख की समाप्ति के लिए चुनाव घोषणा पत्र के वायदों की पूर्ति पर भी ध्यान केंन्द्रित किया है। बसपा सरकार ने किसानों की जमीन जबरन छीनकर बड़े बिल्डरों को मोटे कमीशन पर सौंप दी थी, वर्तमान समाजवादी पार्टी सरकार ने बिना किसानों की सहमति के जमीन अधिग्रहण पर रोक लगा दी है। यह भी वायदा है कि किसान पर कर्ज हो तो भी उसकी जमीन की नीलामी नहीं होने दी जाएगी। किसानों का 50 हजार रू0 तक का कर्ज माफ होगा।
इसी तरह मुख्यमंत्री ने किसानों को गेहूॅ बेचने में समस्याएं न आए इसके लिए भी अधिकारियों को विश्ेाष निर्देश दिए हैं। किसानों से सीधे गेहूॅ खरीद में क्रय केन्द्रों को 5 लाख रूपए तक के भुगतान का अधिकार दे दिया गया है। किसानों की सहूलियत के लिए 4655 क्रय केन्द्र स्थापित किए गए है। बिचैलियों पर अंकुश लगाया गया है। क्रय केन्द्रों पर भुगतान राशि के अलावा बोरों आदि की भी पर्याप्त व्यवस्था कर दी गई है। स्पष्ट है कि किसान सरकार की प्राथमिकता में हैं और रहेगें। जितना उत्पीड़न पिछली सरकार में उनका हुआ है उतनी ही राहत अब उन्हें वर्तमान समाजवादी पार्टी की सरकार से मिलनेवाली है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वयं किसान परिवार से हैं और उनका बचपन गांव की गलियों में ही बीता है। इसलिए गांव और किसान की दुश्वारियों का उन्हें स्वयं भी एहसास है। समाजवादी पार्टी गांव-गरीब और किसान-अल्पसंख्यकों की पार्टी है। उसने हमेशा उन्हें अपनी प्राथमिकता में रखा है। इसलिए प्रदेश का शासनसूत्र सम्हालने के साथ ही अखिलेश यादव ने चुनाव घोषणा पत्र के वायदों को पूरा करने और खासकर किसानों की समस्याओं के निराकरण में विशेष रूचि ली है। सरकार ने ग्राम सेवकों का मानदेय 2500 रूपए से बढ़ाकर 3000 रूपए कर दिया है।
लखीमपुर खीरी में हर साल बाढ़ से तबाही होती है। अपनी क्रांतिरथ यात्रा में चुनाव प्रचार के दौरान जब श्री अखिलेश यादव जनपद में गए थे तो वहां स्थानीय जनता ने उन्हें बाढ़ की विभीषिका से अवगत कराया था। शपथ ग्रहण के बाद ही उनका ध्यान अपने वायदे पर गया और दिनंाक 4 अप्रैल,2012 को वे लखीमपुर खीरी के दौरे पर पहुॅच गए। श्री यादव ने अपने दौरे में जो अनियमितताएं और संबंधित अधिकारियों, अभियन्ताओं की लापरवाही पाई उस पर उन्होने कठोर रूख अपनाया और सिंचाई मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव ने प्रमुख सचिव सिंचाई को हटाने के साथ छह अभियन्ताओं को भी निलम्बित कर दिया। मुख्यमंत्री जी ने खीरी को बाढ़ से बचाव के लिए 18Û77 करोड़ रूपए की परियोजनाओं, पांच स्टीमर खरीदे जाने और दुधवा में नया गेस्ट हाउस बनाने संबंधी घोशणाएं भी की।
मुख्यमंत्री जी की यहां दूरदर्शी सोच भी दिखती है। बारिश में अभी समय है। पिछली सरकार में बाढ़ और सूखा दोनों में लूट की योजनाएं कार्यान्वित होती थी। जनता के दुःखदर्द से शासन प्रशासन का कोई वास्ता नहीं था। श्री अखिलेश यादव ने अभी से बाढ़ से बचाव के उपायों पर अमल के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अपने खीरी दौरे से वहां के हजारों किसान परिवारों को राहत का संदेश दिया है। उन्हें अब फसल नष्ट होने से बचने का भरोसा हो चला है।
अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार ने अन्य जो महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं वे ये हैं निजी चीनी मिलों ने 16 अप्रैल,2012 तक किसानों का बकाया 10Û17 अरब रूपए का भुगतान नहीं किया तेा उनके खिलाफ रिकवरी की कार्यवाही की जाएगी, कन्या विद्याधन योजना में सूबे में दसवीं पास कर चुकी 17Û62 लाख छात्राओं में 800 करोड़ की धनराशि बंटेगी, सरकारी मेडिकल व इंजीनियरिंग कालेजों में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा दी जाएगी। सरकारी व सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों में छात्राओं के लिए ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी मुफ्त होगी। इसका लाभ सभी वर्ग की छात्राओं को मिलेगा। टप्पल के किसानों पर लगे मुकदमें वापस लिए जाएगें। सरकारी ठेकों में दलित आरक्षण समाप्त हो गया है और खाद्य पदार्थ गेहूॅ, दाल, चावल पर वैट कम करने का निर्णय हुआ है। इससे मंहगाई से कुछ तो राहत मिलेगी।
समाजवादी पार्टी सरकार ने बदले की भावना से कार्यवाही न करने का इरादा शुरू में ही जताया था। इस नाते मुख्यमंत्री विपक्ष के विधायकों एवं नेताओं को भी समय देते हैं। सुश्री मायावती के राज में जो भ्रष्टाचार का परनाला बहा था उसकी जांच पड़ताल अवश्य शुरू हुई है। पार्को पर पैसा बहाने की जांच शुरू भी हो गई है। मंत्रिमण्डल ने बेरेाजगारी भत्ता देने के निर्णय पर मुहर लगा दी है। साथ ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए आई0टी0 पार्को की स्थापना भी होगी। प्रोन्नति में आरक्षण खत्म करने का फैसला किया गया है। धरना स्थल पुनः विधान भवन के सामने बहाल कर दिया गया है। जनता को राहत के लिए मेट्रो रेल परियोजना भी स्वीकृत की गई है।
अखिलेश यादव के समक्ष गंभीर चुनौतियों हैं। पिछली बसपा सरकार ने प्रशासन के पूरे ढाॅचे को ही प्रदूषित कर दिया था। सरकार और बसपा संगठन की दूरियाॅ मिट गई थी। विकास ठप्प थे। अनुत्पादक मदों पर भारी व्यय हो रहा था। समाजवादी पार्टी की सरकार को विकास दर 10 फीसदी पर लाने और प्रदेश में उद्योग-व्यापार का अनुकूल वातावरण बनाने की भी जिम्मेदारी निभानी है। समाजवादी पार्टी की सरकार को सत्तारूढ़ हुए अभी एक महीना ही हुआ है, जो किसी सरकार के मूल्यांकन के लिए सही समय नहीं है। लेकिन इतना तो सभी महसूस करते हैं कि श्री अखिलेश यादव ने कार्य संस्कृति बदलने में कुछ उठा नहीं रखा। श्री अखिलेश यादव ने अपनी सौम्य और शालीन छवि की जो छाप छोडी है, उससे प्रदेश के बूढ़े-बच्चेे सभी प्रभावित हैं। उन्हें यह विश्वास हो चला है कि अब उनकी बातें सुनी जाएंगी और उन पर त्वरित कार्यवाही भी अवश्य होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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