लखनऊ समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि बसपा सुप्रीमों को जब से जनता ने सजा देकर सत्ता से बाहर कर दिया है उनमें निराषा और कुंठा बहुत बढ़ गई है। उन्हें लोकतांत्रिक परम्पराएं भी नहीं सुहाती हैं इसलिए अभी अभी बनी समाजवादी पार्टी की सरकार को वे धौंसपट्टी से धमकाने से भी संकोच नहीं कर रही है। जनता की गाढ़ी कमाई पार्को, स्मारकों और अपनी मूर्तियों पर लुटाने के बाद वे अब अपनी लूट का हिसाब देने से इतनी भयभीत हैं कि प्रदेश ही नहीं पूरे देश में कानून व्यवस्था को बिगाड़ देने की बात करने लगी है। यह प्रदेश की जनता के ऐतिहासिक निर्णय का न सिर्फ अपमान है बल्कि अलोकतांत्रिक आचरण है।
सुश्री मायावती ने अपनी सरकार झूठ और लूट के एजेन्डा पर चलाई थी। अब अपनी लूट को छुपाने के लिए वे फिर झूठ की राजनीति करने लगी हैं। उन्होने मूर्तियेां, पार्को, स्मारकों से छेड़छाड़ पर कानून व्यवस्था बिगाड़ने की धमकी दी है। जबकि हकीकत यह है कि समाजवादी पार्टी ने चुनाव के दौरान और बाद में भी यह स्पष्ट कर दिया था कि वह बसपा के महापुरूषों की मूर्तियों से कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी। लेकिन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने यह जरूर स्पष्ट कर दिया था कि इन पार्को, स्मारकों में अनावश्यक जमीन घेर ली गई है उसका सदुपयोग करने की दृष्टि से वहां बाल एवं महिला अस्पताल तथा स्कूल, कालेज खोले जा सकते हैं। जनहित की इन योजनाओं से मायावती को क्यों परेशान होना चाहिए?
दरअसल बसपाराज में चारों तरफ हुई धांधलियों की जांच के आदेश होने से पूर्व मुख्यमंत्री एवं उनके सहयेागी बुरी तरह भयभीत है। बसपाराज में 50 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा पत्थरों पर बर्बाद हुए हैं। सुश्री मायावती और स्व0 कांशीराम की मूर्तियों पर 6 करोड़ 68 लाख रूपए और 60 हाथियों पर 52 करोड़ रूपए खर्च कर बसपा सरकार ने दलितों का किस प्रकार उद्धार किया है, इसका जवाब तो उनसे मांगा ही जाएगा। समाजवादी पार्टी सरकार ने मायाराज के कारनामों की जांच के आदेश दिए हैं और इनमें दोषी पाएं जाने पर सख्त कार्यवाही के भी संकेत दे दिए हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्पष्ट चेतावनी भी दी है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा और यदि किसी ने षांति भंग की तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होगी। पूर्व मुख्यमंत्री को अब सत्ता के दुरूपयोग का कोई लाभ मिलनेवाला नहीं है। उन्हें हर हाल में अपने कारनामों के लिए जनता के प्रति जवाबदेह होना होगा। बसपा ने रचनात्मक राजनीति से हमेशा परहेज किया है जबकि समाजवादी पार्टी सदैव जनहित के सकारात्मक विचारो को अमल में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com