समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में उ0प्र0 में शैक्षिक क्रान्ति की नई इबारत लिखी जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष रहते समाजवादी पार्टी के युवा प्रकोष्ठों को उन्होंने मंहगी शिक्षा और बेरेाजगारी के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिए थे। उनका जोर इस पर रहा है कि सबको सस्ती पढ़ाई की सुविधा मिले ताकि हर कोई अपना भविष्य स्वयं संवार सकें।
मुख्यमंत्री जी ने समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही चुनाव घोषणा पत्र के वायदों की पूर्ति की दिशा में कदम बढ़ाने शुरू कर दिये थे। उन्होंने कक्षा 10 पास मुस्लिम छात्राओं को आगे पढ़ाई के लिए 30 हजार रूपए देने का एलान किया है। मदरसों में तकनीकी शिक्षा देने की व्यवस्था होगी। बारहवीं पास सभी विद्यार्थियों को लैपटाप और कक्षा 10 उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को टेैबलेट देनेे की दिशा में भी कार्यवाही शुरू हो गई है। मुस्लिम छात्र-छात्राओं को दिये जाने वाले लैपटाप और टैबलेट में उर्दू साफ्टवेयर भी होगा।
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों को भी 25 प्रतिशत सीटे गरीब बच्चों के लिए रिजर्व करने के आदेश दिए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे कड़ाई से लागू करने का फैसला किया है। गरीब बच्चों को एडमिशन न देने वाले स्कूलों की मान्यता भी समाप्त की जा सकती है। समाजवादी पार्टी दुहरी शिक्षा व्यवस्था की खिलाफत करती रही हैं। उसकी प्रतिबद्धता समाज के कमजोर वर्गो के लिए बेहतर शिक्षा के अवसर प्रदान करने की है। सर्वशिक्षा अभियान के तहत बेघर और बेसहारा बच्चों के लिए 70 आवासीय स्कूल खोले जाने का निर्णय भी मुख्यमंत्री की गरीब और गांव को प्राथमिकता देनेवाली सोच का ही परिणाम है।
यह एक दुःखद तथ्य है कि पूर्वांचल की जानलेवा बीमारी जापानी बुखार से 20 हजार से ज्यादा बच्चों की मौतें हो चुकी हैं। इससे डेढ़ गुना बच्चे मनोरोगी यही अपाहिज हो चुके है। इन मानसिक रूप से विकलांग बच्चों की दुर्दशा पर भी उनका ध्यान गया है और विशेष मानसिक मंदित स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया है ताकि उनका उचित उपचार एवं पुनर्वास हो सके। ये सभी निर्णय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की मानवीय संवेदनशीलता के द्योतक है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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