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इन्टैक करेगा जैविक प्रक्रिया से आगरा-मथुरा में जलशोधन

Posted on 12 April 2012 by admin

पालीवाल पार्क, सर्किट हाउस तथा मथुरा के कुसुम सरोवर में पायलेट प्रोजेक्ट

commissioner-agra-amrit-abhijat-hheld-meetings-of-spv-presentation-of-intach बायोरेमीडिएशन (Bio-Remediation) विधि से प्रदूषित जल से जैविक प्रक्रिया व्दारा जल शोधन कर साफ करने के लिए इनटैक ( INTACH) के सहयोग से प्रथम चरण में पांच परियोजनाओं पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कार्य प्रारम्भ किये जाने का निर्णय लिया गया है। इनमें आगरा में पालीवाल पार्क तथा सरकिट हाउस परिसर स्थित ताल, ककरैठा नाला, और मथुरा जनपद गोवर्धन स्थित मानसी गंगा तथा कुसुम सरोवर सम्मिलित हैं।
मण्डलायुक्त अमृत अभिजात ने बताया कि आगरा नगर के मन्टौला नाले पर बायोरेमीडिएशन से जल शोधन कार्य कराया जाना प्राथमिकता में है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि मन्टौला नाले के संबंध में फ्लो डाटा वी0ओ0डी0 स्तर आदि आंकडे अविलम्ब उपलब्ध करायें ताकि तद्नुसार मन्टौला नाले पर जल शोधन व सफाई पे्राजेक्ट इन्टेैक व्दारा प्रारम्भ कराया जा सके।
मण्डलायुक्त अमृत अभिजात की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इण्डियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एण्ड कल्चरल हैरिटेज (इनटैक) के परियोजना निदेशक मनु भटनागर तथा स्थानीय प्रतिनिधि आर0पी0 सिंह ने पावर पाइन्ट प्रस्तुति व्दारा इस विधि से जल शोधन हेतु संचालित योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। इस पद्यति में कार्य की लागत अन्य परम्परागत विधियों से बहुत कम आती है। इस विधि में प्रोजेक्ट हेतु अलग से भूमि की जरूरत भी नहीं होती है। इस विधि में प्रदूषणकारी तत्व किसी अन्य पर्यावरण माध्यम में स्थानान्तरित न होकर नष्ट कर दिये जाते हंै। उन्होंने बताया कि बैक्टीरिया कल्चर आदि जैविक उत्पादों की सहायता से गंदगी को दूर किया जाता है और प्रोजेक्ट के लिए ऊर्जा स्त्रोत की जरूरत भी नही होती है।
उन्होंने दिल्ली स्थित हौजखास लेक के जीर्णोंद्धार की विस्तार से जानकारी दी। इसी प्रकार दिल्ली के कुशक नालें के जल शोधन, ग्वालियर स्थित बैजाताल तथा इटेलियन गार्डेन की परियोजना की भी जानकारी दी। कानपुर के कल्याणपुर नाले के जल शुद्धिकरण कार्य के वैज्ञानिक आबजर्वेशन भी बताये। इस कार्य का आई0आई0टी0 कानपुर, उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उ0प्र0 जल निगम तथा अधिकृत निजी प्रयोगशाला व्दारा जांच कराई गयी है।
बैठक में चर्चा के दौरान बताया गया कि अनुमानतः 140 एम0एल0डी0 फ्लो के लिए परम्परागत प्रणाली से शोधन प्रोजेक्ट की लागत 75 करोड रूपये तथा काफी भूमि की आवश्यकता होती है जबकि इस विधि से कैपिटल कास्ट लगभग 12 करोड रूपये आंकी गयी है। साथ ही संचालन लागत भी परम्परागत प्रणाली की तुलना में एक तिहाई ही आती है।
बैठक में परियोजना के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा की गयी। इस अवसर पर जिलाधिकारी अजय चैहान, सचिव आ0वि0प्रा0 रवीन्द्र कुमार, नगर आयुक्त नागेन्द्र प्रताप, जल निगम के मुख्य अभियंता सुशील कुमार, सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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