सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में चल रहे चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव (आई.सी.एफ.एफ.-2012) के दूसरे दिन का भव्य उद्घाटन सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में बड़े ही उल्लासपूर्ण माहौल में हुआ। इस अवसर पर प्रख्यात गायक बाबुल सुप्रियो ने अपनी उपस्थिति से बाल फिल्मोत्सव की रौनक में चार चाँद लगा दिये। सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में शैक्षिक फिल्मों से प्रेरणा ग्रहण करने पधारे हजारों छात्रों ने तालियां बजाकर बाबुल सुप्रियो का का भरपूर स्वागत किया। जहाँ एक ओर किशोर व युवा छात्रों में बाबुल सुप्रियो से मिलने व उनसे हाथ मिलाने का सहज उल्लास देखा जा सकता था तो वहीं शिक्षक व अभिभावक भी उनके विचारों को सुनने को उत्साहित थे। ज्ञातव्य हो कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल के फिल्म्स डिवीजन के तत्वावधान में 10 से 18 अप्रैल तक नौ-दिवसीय ‘‘चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव’’ चल रहा है जिसके अन्तर्गत 36 देशों की लगभग 252 बेहतरीन शिक्षात्मक व प्रेरणादायी फिल्मों का प्रदर्शन सी.एम.एस. कानपुर रोड के सात मिनी आॅडिटोरियम में निःशुल्क किया जा रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव में पधारे प्रख्यात गायक बाबुल सुप्रियो अपरान्हः सत्र में सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों से रूबरू हुए एवं इस भव्य आयोजन पर दिल खोलकर पत्रकारों से चर्चा की। पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि सी.एम.एस. का अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव युवा पीढ़ी को जीवन मूल्यों की शिक्षा देने का कारगर तरीका है। इस फिल्म महोत्सव के अत्यन्त सफल आयोजन से सी.एम.एस. ने यह सिद्ध कर दिया है कि फिल्में भी बड़े पैमाने पर भावी पीढ़ी की मानसिकता को बदलने की क्षमता रखती हैं। अच्छी फिल्में भावी पीढ़ी को अच्छा इंसान बनायेंगी और खराब फिल्में खराब इंसान बनायेंगी। यदि हमें भावी पीढ़ी के लिए सभ्य व खुशहाल समाज का निर्माण करना है तो फिल्म व अन्य दृश्य श्रव्य माध्यमों द्वारा जीवन मूल्यों से लबालब संदेश भावी पीढ़ी तक पहुचाना ही होगा। प्रेस कान्फ्रेन्स में उपस्थित अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म फेस्टिवल के चेयरमैन व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी, संस्थापक, सी.एम.एस. ने कहा कि इस महोत्सव की सबसे अच्छी बात यह है कि जीवन के जिन नैतिक सिद्वान्तो के बारे में हम बच्चों को पढ़ाते रहे हैं उन्हें बाल फिल्मों के माध्यम से जीवन्त रूप से बच्चों को दिखाना व उससे प्रेरणा देना अनूठा अहसास है। उन्होंने कहा कि यहाँ दिखाई जाने वाली फिल्में खासतौर पर बच्चों के लिए बनाई गई हैं लेकिन फिर भी उनमें माता-पिता, अभिभावकों व शिक्षकों के लिए सीखने को बहुत कुछ है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बच्चों के साथ ही माता-पिता को भी इन फिल्मों से संदेश ग्रहण करना चाहिए। डा. गाँधी ने कहा कि सी.एम.एस. का विश्वास है कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो वर्तमान युग के प्रश्नों के उत्तर दे सके। आज हमारे विद्यालयों के साथ ही माता-पिता को यह प्रश्न विचलित कर रहा है कि घरों में और बच्चों की पढ़ाई के कमरों तक में घुस आयी अश्लीलता की इस महामारी से हम अपने बच्चों को कैसे बचायें? इस प्रश्न का उत्तर ढूढ़ने के लिए ‘चिल्ड्रेन्स फिल्म फेस्टिवल’ की आवश्यकता महसूस की गयी है। फिल्म फेस्टिवल के डायरेक्टर श्री वर्गीस कुरियन ने बताया कि विश्व एकता व विश्व शान्ति को समर्पित इस नौ-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव की गरिमा बढ़ाने हेतु फिल्म जगत की कई जानी-मानी हस्तियों का आगमन हो रहा है, जिनमें बाल कलाकार अमय पाण्ड्या, प्रख्यात गीतकार एवं कवि श्री जावेद अख्तर, प्रख्यात फिल्म कलाकार श्री रजा मुराद, लोकप्रिय गायिका ऊषा उत्थुप, फिल्म अभिनेत्री सुश्री वेदिता प्रताप सिंह, वैशाली देसाई एवं प्रीति देसाई आदि प्रमुख हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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