पानी के लिए तरस रहे शहर व गाॅव, खराब पड़े हैं हैण्डपम्प

Posted on 09 April 2012 by admin

जहां इस समय गर्मी अपनी तेवर दिखा रही है वही शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में लगे हैण्डपम्प इस भीषण गर्मी में निष्प्रयोज्य साबित हो रहे हंै, जबकि जल निगम विभाग ने हैंडपम्प लगवाने के नाम पर लाखों रूपये खर्च कर डाले, लेकिन पेयजल संकट का निदान नहीं हुआ। ज्यादातर हैण्डपम्प अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के करीबियों के दरवाजों की शोभा बढ़ा रहे है।

सैकड़ों हैण्डपम्प खराब पड़े है। पाॅच हजार हैण्डपम्पों में मशीन बधी है। गर्मी अपनी चरम सीमा पर है। ऐसे में पानी की किल्लत होना तय माना जा रहा है। शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में दलित बस्तियों के लोग शुद्ध पेयजल के आभाव में कुएं, नदी व तालाब का सहारा ले रहे है। जिले में मौजूदा समय में करीब 44 हजार इण्डिया मार्का हैण्डपम्प लगवाए गए है। इनमें करीब 900 सौ हैण्डपम्प नगर क्षेत्र में स्थापित है। विभागीय आॅकड़ों की मानें तो वर्ष 2010-11 में निर्धारित लक्ष्य 2,636 से कहीं भी अधिक 6,713 हैण्डपम्प लगाए गए। हालांकि इसमें पाॅच हजार हैण्डपम्पों में मशीन बंधी है। इस बात को विभाग भी तस्दीक कर रहा है। इन हैण्डपम्पों पर शासन का लाखों रूपया भी खर्च हो गया। बावजूद लोग पेयजल समस्या से जूझ रहे है। बल्दीराय, सेमरी बाजार, कूरेभार, लम्भुआ, चाॅदा, कोइरीपुर क्षेत्र में स्थित तराई के दर्जनों गाॅव अभी सरकारी हैण्डपम्पों से महरूम है। कई विद्यालयों के परिसर में हैण्डपम्प लगवाए गए, लेकिन मानक के अनुरूप बोरिंग व पाइप न होने के कारण सभी स्थापित होने के छह माह बाद ही ठप हो गए। इन हैण्डपम्पों को रिबोर भी कराया गया तो उसमें भी मानकों की अनदेखी कर सहज खानापूर्ति हुई और नतीजा फिर वही हुआ। रिबोर के बाद भी हैण्डपम्पों के हालात नही सुधरे। नगरीय इलाकों में लगे ज्यादातर हैण्डपम्प चहेतों के घरों की शोभा बढ़ा रहे है। दलित बाहुल्य गाॅवों में लोग आज भी कुएं व नदी का प्रदूषित पानी पी रहे है। जल निगम विभाग कागजी कोरम पूरा कर जिले में पर्याप्त हैण्डपम्प  गलवाए जाने की बात कह रहा है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में विभाग ने 14 सौ खराब पड़े हैण्डपम्पों के रिबोर का लक्ष्य रखा था। इसे पूरा कराने का दावा किया जा रहा है। लेकिन अब देखना यह है कि विभाग का दावा ये कब तक सफल साबित होता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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