‘‘चै0 लौटन राम निषाद को विधान परिषद में भेजे भाजपा’’
राष्ट्रीय निषाद संघ (एन.ए.एफ.) शाखा उत्तर प्रदेश के सौजन्य दारूलशफा ए-ब्लाक कैम्पस में प्रदेश अध्यक्ष कैलाश नाथ निषाद की अध्यक्षता व राम सुन्दर बिन्द के संयोजकत्व में निषाद, बिन्द, कश्यप समाज का प्रतिनिधि सम्मेलन सम्पन्न हुआ। जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार से निषाद, बिन्द, कश्यप, केवट, मल्लाह, धीमर/धीवर, कहार, गोडि़या, तुरहा, रायकवार, मांझी, राजभर, कुम्हार, प्रजापति, नोनिया, चैहान आदि अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धी विधि सम्मत प्रस्ताव उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ द्वारा सर्वे कर तैयार करायी गयी नृजातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट (इथनोग्राफिकल सर्वे रिपोर्ट) संलग्न कर केन्द्र सरकार को भेजने की मांग की गयी।
राष्ट्रीय निषाद संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह कश्यप ने प्रतिनिधि सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये कहा कि यदि 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की अधिसूचना राज्य सरकार के द्वारा जारी की गयी तो इन जातियों के साथ धोखा व विश्वास घात होगा। क्योंकि राज्य सरकार किसी भी जाति को अनुसूचित जाति/जनजाति में शामिल नहीं कर सकती। उन्हांेंने कहा कि अगर सपा की उत्तर प्रदेश सरकार इन जातियों को सामाजिक न्याय व आरक्षण का लाभ देना चाहती है, तो केन्द्र सरकार के पास विधि सम्मत प्रस्ताव भेजकर केन्द्र से मंजूरी के लिये दबाव बनाये और जबतक केन्द्र सरकार उ0प्र0 सरकार के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान नहीं करता है, विशेष व्यवस्था के तहत अतिपिछड़ी जातियों के शैक्षिक व आर्थिक उत्थान के लिए अनुसूचित जाति के समान सुविधाओं की व्यवस्था करें। उन्होंने मंझवार, बेलदार, तुरैहा, गोड़, खरवार का प्रमाण-पत्र जारी करने का आदेश देने की भी मांग की। उन्होंने चैत्र शुक्ल पंचमी को निषाद राज जयन्ती का सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सपा से 4 निषाद विधायक है परन्तु किसी भी निषाद को मंत्री न बनाकर सामाजिक व राजनैतिक अपमान किया गया है। सपा ने किसी भी कश्यप निषाद को विधान परिषद में न भेजकर समाज की राजनैतिक उपेक्षा की है।
प्रदेश अध्यक्ष कैलाश नाथ निषाद ने कहा कि 1969 से उत्तर प्रदेश के कुछ-कुछ जिलों में मल्लाह, केवट, कहार, लोध, बंजारा, भर, गोसाई, नायक आदि सहित 34 जातियां विमुक्त व घुमक्कड़ जनजाति के रूप में सूचिबद्ध है, और सेवायोजन को छोड़कर शिक्षा आदि के क्षत्र में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की भांति आरक्षण का लाभ दिये जाने का शासनादेश है। परन्तु विगत सरकार में इन जातियों को सामाजिक न्याय से वंचित किया गया। प्रदेश सचिव विक्रम सिंह कश्यप एडवोकेट ने कहा कि महाराष्ट्र में विमुक्त जनजातियांे को शिक्षा, सेवायोजन, पदोन्नति, बजट प्रोविजन, स्थानीय निर्वाचन आदि मंे जनसंख्या के अनुपात में 11 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। परन्तु उ0प्र0 में विमुक्त जनजातियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार अत्यन्त पिछड़ी जातियों का सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक उत्थान चाहती है तो महाराष्ट्र पैटर्न पर जनसंख्या के अनुपात में विमुक्त जनजातियों के क्षेत्रीयता समाप्त कर पूरे प्रदेश में आरक्षण की व्यवस्था का शासनादेश जारी किया जाय।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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