जनसामान्य की सुविधाओं के मद्देनजर एकीकृत परियोजना में तट पर स्थित विभिन्न पूजास्थलों एवं विसर्जन घाट को भी समावेशित किया जाये: जावेद उस्मानी
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने गोमती तट विकास परियोजना के अन्तर्गत विभिन्न विकल्पों पर विचार कर गोमती नदी की लगभग 12 किलोमीटर लम्बाई पर समेकित नियोजन करने के निर्देश दिए हैं। जिसके अन्तर्गत नदी की ओर एक अतिरिक्त बंधा बनाकर तट भूमि को रिक्लेम कर उसके विकास हेतु प्रस्ताव शीघ्र बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि नदी के तट पर स्थित विभिन्न पूजास्थलों तथा विसर्जन घाट को यथासम्भव एकीकृत परियोजना में समावेशित किया जाये ताकि जनसामान्य को किसी प्रकार की असुविधा न होने पाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि परियोजना को प्रारम्भ करने से पूर्व योजना की हाइड्रोलाॅजिकल स्टडी किसी प्रतिष्ठित संस्थान से अवश्य करा ली जाये।
मुख्य सचिव आज सचिवालय, एनेक्सी स्थित अपने सभाकक्ष में गोमती तट विकास परियोजना के सम्बन्ध में विस्तृत समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि तट विकास परियोजना के अन्तर्गत भूमि के रिक्लेमेशन पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा प्रस्तुतीकरण के अनुसार लगभग 50 हेक्टेयर भूमि रिक्लेम करने का प्रयास किया जाए, जिससे योजना को वाइबिल बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि परियोजना हेतु पर्यावरण विभाग से भी अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु औपचारिक आवेदन वरीयता पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाये।
श्री उस्मानी ने यह भी निर्देश दिए कि परियोजना के कार्यान्वयन से पूर्व जनसामान्य से भी सुझाव अवश्य आमंत्रित कर लिए जायें, ताकि जनमानस से प्राप्त सुझावों को परियोजना में यथासम्भव सम्मिलित किया जा सके। परियोजना की एकीकृत नियोजन अवश्य कराया जाए, ताकि लगभग 12 किलोमीटर नदी की पूरी लम्बाई पर कार्य गुणवत्ता के साथ कराया जा सके।
बैठक में प्रमुख सचिव आवास श्री शम्भू नाथ शुक्ला, सचिव सिंचाई श्री राजन शुक्ला, उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण श्री राजीव अग्रवाल, प्रमुख स्टाफ आफीसर मुख्य सचिव श्री आशीष कुमार गोयल, सचिव पर्यावरण श्री राजेश कुमार सिंह, निदेशक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड श्री ओ0पी0 वर्मा, निदेशक आवास बंधु श्री एस0सी0 मिश्रा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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