समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव स्वयं किसान परिवार से हैं और उनका बचपन गांव की गलियों में ही बीता है। इसलिए गांव और किसान की दुश्वारियों का उन्हें स्वयं भी एहसास है। समाजवादी पार्टी गांव-गरीब और किसान-अल्पसंख्यकों की पार्टी है। उसने हमेशा उन्हें अपनी प्राथमिकता में रखा है। इसलिए प्रदेश का शासनसूत्र सम्हालने के साथ ही श्री अखिलेश यादव ने चुनाव घोषणा पत्र के वायदों को पूरा करने और खासकर किसानों की समस्याओं के निराकरण में विशेष रूचि ली है।
लखीमपुर खीरी में हर साल बाढ़ से तबाही होती है। अपनी क्रांतिरथ यात्रा में चुनाव प्रचार के दौरान जब श्री अखिलेश यादव जनपद में गए थे तो वहां स्थानीय जनता ने उन्हें बाढ़ की विभीषिका से अवगत कराया था। शपथ ग्रहण के बाद ही उनका ध्यान अपने वायदे पर गया और 4 अप्रैल,2012 को वे लखीमपुर खीरी की आपदा देखने पहुॅच गए। श्री यादव ने अपने दौरे में जो अनियमितताएं और संबंधित अधिकारियों, अभियन्ताओं की लापरवाही पाई उस पर उन्होने कठोर रूख अपनाया और सिंचाई मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव ने पहले ही दौरे में उन्होने प्रमुख सचिव सिंचाई को हटाने के साथ छह अभियन्ताओं को भी निलम्बित कर दिया। मुख्यमंत्री जी ने खीरी को बाढ़ से बचाव के लिए उन्होने 18Û77 करोड़ रूपए की परियोजनाओं, पांच स्टीमर खरीदे जाने और दुधवा में नया गेस्ट हाउस बनाने संबंधी घोषणाएं भी की।
मुख्यमंत्री जी की यहां दूरदर्शी सोच भी दिखती है। बारिश में अभी समय है। पिछली सरकार में बाढ़ और सूखा दोनों में लूट की योजनाएं कार्यान्वित होती थी। जनता के दुःखदर्द से शासन प्रशासन का कोई वास्ता नहीं था। श्री अखिलेश यादव ने अभी से बाढ़ से बचाव के उपयों पर अमल के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अपने खीरी दौरे से वहां के हजारों किसान परिवारों को राहत का संदेश दिया है। उन्हें अब फसल नष्ट होने से बचने का भरोसा हो चला है। जनधन की क्षति वर्षोवर्ष इसलिए वहां होती रही क्योंकि पिछली सरकार ने सिर्फ वसूली को ही अपना एजेंडा बना रखा था।
इसी तरह मुख्यमंत्री ने किसानों को गेहूॅ बेचने में समस्याएं न आए इसके लिए भी अधिकारियों को विश्ेाष निर्देश दिए हैं। किसानों से सीधे गेहूॅ खरीद में क्रय केन्द्रों को 2 लाख रूपए तक के भुगतान का अधिकार दे दिया गया है। किसानों की सहूलियत के लिए 4655 क्रय केन्द्र स्थापित किए गए है। बिचैलियों पर अंकुश लगाया गया है। अब किसान अपनी शिकायत और सुझाव सीधे खाद्य आयुक्त को टोल फ्री नम्बर और फैक्स के द्वारा भी भेज सकते हैं। क्रय केन्द्रों पर भुगतान राशि के अलावा बोरों आदि की भी पर्याप्त व्यवस्था कर दी गई है। स्पष्ट है कि किसान सरकार की प्राथमिकता में हैं और रहेगें। जितना उत्पीड़न पिछली सरकार में उनका हुआ है उतनी ही राहत अब उन्हें वर्तमान समाजवादी पार्टी की सरकार से मिलनेवाली है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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