सघन सहकारी समितियों में डी.ए.पी., एन.पी. के. व यूरिया आदि की कीमतो में हुई बेताहाशा वृृद्धि से क्षेत्र के छोटे बडे किसानो में निराशा है। क्षेत्र का किसान उर्वरको की कमी के चलते पहले से ही दोगुने रेट पर खाद खरीदने को मजबूर है अब सरकारी समितियो पर मिलने वाली खाद सस्ती उर्वरक के दामो में बढोत्त्तरी कर सरकार ने आग में घी डालने का काम करते हुए कमजोर किसानो की रीढ तोडने का कार्य किया है ।
उर्वरक के दामो में बेतहाशा वृद्धि हुई है कमरतोड मंहगाई व दिन प्रतिदिन बढाए जा रहे डीजल व पेट्रोल के दामो के मूल्यों से किसान बेहाल है छोटे व बडे किसानो के लिए इस वक्त खेती करना किसी चुनौती से कम नजर नही आ रहा है बाजारो में उपलब्ध शंकर बीजो के भाव बाजारो मे आसमान छू रहे है किसानो द्वारा अपने खेतो का उत्पादन बढाने की वजह से इन मंहगे शंकर बीजो के साथ रासायनिक कीटनाशक व खरपतवार नाशक दवाएं भी आज के युग में खेती का एक हिस्सा बन गई है जो कि किसानो द्वारा ज्यादा दामो पर बाजार में खरीदना पड रहा है वही खेती से उत्पादन किये जाने वाले अनाजो की कीमतो में सरकार द्वारा कोई वृद्धि नही की जा रही है ।
लागत के अनुपात मे गेंहू, धान, सरसो जैसे अनाजो में कीमते न बढने की वजह से किसानो को खेती करना आज के समय में एक घाटे का सौदा नजर आ रहा है जिसके कारण क्षेत्र के छोटे किसान गांव में रहकर खेती करने के बजाय अपनी अजीविका चलाने के लिए शहरो की तरफ पलायन करने पर मजबूर हो रहे है वही बडे बडे किसानो के फायदे भी अब काफी सीमित हो गये है उर्वरको के दामो में वृद्धि महंगी मजदूरी, महंगा डीजल आदि समस्याओं की वजह से इन बडे काश्तकारो की परेशानी का मूल कारण साफ दिखाई पड रहा है ।
क्षेत्रीय किसान विवेक वर्मा, राम उदय वर्मा, सन्तराम यादव ने बताया कि खेती से अब रोजमर्रा के खर्च बीमारी शादी विवाह व हर साल आने वाले तीज त्योहारो आदि करते समय यह चिन्ता भी सताती रहती है कि आखिर जो पूंजी हम खेतो में लगा रहे है वह पूंजी निकलेगी भी या नही इस बात की फिकर हमेशा लगी रहती है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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