केन्द्र द्वारा बिजली दरों में बढोत्तरी हेतु राज्यों पर दबाव बनाना गलत
उच्च स्तरीय शुगलु समिति की रिपोर्ट जन-विरोधी, हो खारिज
शुगलु समिति ने उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 50 से 60 पैसे बढोत्तरी का दिया था प्रस्ताव
प्रधानमन्त्री कार्यालय के निर्देश के बाद भारत सरकार की उच्च स्तरीय शुगलु समिति द्वारा योजना अयोग को सौपी गयी रिपोर्ट पर कार्यवाही के पहले उपभोक्ता परिषद के प्रस्ताव पर भी विचार हेतु पूरे प्रकरण को ऊर्जा मन्त्रालय द्वारा योजना आयोग को 22 मार्च को भेजा गया है।
उ0प्र0राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष एवं विश्व ऊर्जा कौसिल के स्थायी सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विगत दिनों उपभोक्ता परिषद की ओर से एक पत्र मा0 प्रधान मन्त्री जी को भेजा गया था। जिसमें उच्च स्तरीय शुगलु समिति की रिपोर्ट को न लागू करने एवं ऊर्जा मन्त्रालय भारत सरकार के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग की गयी थी। क्योंकि उच्च स्तरीय शुगलु समिति ने 2006 से 2010 तक के बीच देश के बिजली निगमो का कुल घाटा लगभग रू0 179000 करोड़ बिना सब्सिडी के और सब्सिडी के साथ रू0 82,000 करोड दिखाया गया था तथा वर्ष-2009-10 के सब्सिडी सहित रू0 27000 करोड़ घाटे को पूरा करने हेतु देश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं की विद्युत दरों में 50 से 60 पैसा प्रतियूनिट बढ़ाने हेतु रिपोर्ट दी थी तथा किसानों की बिजली दरों में बढोत्तरी को प्रमुख रूप से रिपोर्ट में अंकित किया गया था। उ0प्र0राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस पर कड़ा विरोध करते हुए मा0 प्रधानमन्त्री जी को एक पत्र भेजा था और उसमें मांग की गयी थी कि बिजली दरों को बढ़ाने या घटाने का कार्य केन्द्रीय व राज्य के नियामक आयोगों का है। इसलिए शुगलू समिति की रिपोर्ट को न माना जाये।
प्रधानमन्त्री कार्यालय के निर्देश पर उपभोक्ता परिषद को भारत सरकार के विद्युत मन्त्रालय के अवर सचिव, श्री जी0स्वान जा लियान, द्वारा पत्र लिखकर सूचित किया गया है कि चँूकि शुगलु समिति द्वारा विद्युत वितरण संस्थाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा हेतु उच्च स्तरीय रिपोर्ट योजना आयोग में प्रस्तुत की जा चुकी है इसलिए उपभोक्ता परिषद के प्रस्ताव को उच्च स्तरीय पैनल से सम्बन्धित मुद्दो/सुझावों को योजना आयोग को कार्यवाही हेतु भेजा जा रहा है तथा यह भी कहा गया है कि पूर्व में उपभोक्ता परिषद को पी0एम0ओ0 कार्यालय के निर्देश पर जो जवाब/टिप्पणी भेजी गयी थी वह पी0एफ0सी0 के जवाब के आधार पर था।
उपभोक्ता परिषद ने पुनः यह बात दुहरायी है कि अब योजना आयोग को उच्च स्तरीय शुगलु समिति व उपभोक्ता परिषद के प्रस्ताव को देखने के बाद ही कोई अन्तिम निर्णय लेना चाहिए और उपभोक्ता परिषद को भेजे गये गलत जवाब के लिए दोषियों को दण्डित किया जाना चाहिए एवं शुगलु समिति की रिपोर्ट जो जन-विरोधी है उसे खारिज किया जाना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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