गांवो की स्वच्छ रखने की मंशा धूमिल
कस्बो व गांवो को स्वच्छ रखने की शासन की मंशा पर सफाई कर्मियो के क्रिया कलाप से पानी फिर रहा है ।
प्रदेश सरकार ने राज्य सफाई कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से सफाई कर्मचारियो की नियुक्ति कर गॉवो को स्वच्छ करने का मसौदा तैयार किया था उसके अनुसार कमिर्यो की भर्ती भी हुई और उनको नियत स्थान पर तैनाती भी दे दी गइ। लेकिन सफाई कर्मी अपने कार्य को अंजाम न देकर शासन को गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं।
सफाई कर्मियो के लिए हर सप्ताह साबुन, महीने मे दो बार झाडू, ब्लीचिंग फिनायल व तौलिया की व्यवस्था शासन के माध्यम से उपलब्ध करवायी गई है वावजूद ये माननीय न तो सफाई करना चाहते है और नही ब्लीच व फिनायल का प्रयोग सम्बन्धित जगहो पर करते है।
नियमित व्यवस्था के अनुसार सफाई कर्मचारियो का नियत गॉव के स्थान विद्यालय, पंचायत भवन व अन्य सार्वजनिक स्थानो पर साफ सफाई करना होता है और समय समय पर सर्वजनिक नालियो की साफ सफाई कर उसमे फिनायल आदि का छिडकाव करना होता है । उसके बाद सम्बन्धित ग्राम सभा के प्रधान के घर जाकर उपस्थिति रजिस्टार पर हाजिरी करना होता है।
लेकिन इन सबसे इतर सफाई कर्मी अपने धुन मे मस्त लकदग कपडो व मोटर साईकिलो से बैठकर चैराहो व दुकानो पर जरुर देखे जा सकते है महीने मे कभी कभी १००रु० दिहाडी के मजदूर से किसी नाली व स्थान की साफ सफाई करवाकर इतिश्री कर लेते है ।प्रधानो के घर जाकर हाजिरी लगाकर वही से गपशप करके लौट जाना इनकी आदत मे शुमार है ।
उनकी कार्यशैली व चाल चलन देखकर कोई उन्हे सफाई कर्मी नही कह सकता भर्ती के समय सभी कार्यो को बडी सफाई से करने व अनुभव प्रमाण पत्रो मे सफाई का अनुभव का प्रमाण पत्र लगाने वाले इन कर्मियो को सफाई कर्मी कहलवाने मे ही शर्म महसूस होती है तो आप स्वयं अंदाजा लगा सकते है शासन की गांवो की स्वच्छ रखने की मंशा की पूर्ति कैसे होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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