इस समय चल रही मौसमी बीमारियो विशेषकर बुखार से लगभग प्रत्येक परिवार के लोग पीडित है मगर जिम्मेदार महकमे केवल बैठक कर रोकथाम और बचाव कर रहे है। स्वास्थ्य महकमे के दो दो आला अधिकारी सारे संसाधन व लम्बी चैडी फौज के बावजूद जनहित की अनदेखी कर रहे है। सैकडो ए०एन०एम० व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ की फौज है मगर न तो शहरी क्षेत्रो की मलिन बस्तियो न ही वार्डो मे संचारी रोगो की रोकथाम के लिए कोई सरकारी कवायद की जा रही है न ही कीट नाशक दवाओ का छिडकाव हो रहा है।
जगह जगह कूडे व नाली के कचडे सडी गली सब्जियां जिला अस्पताल के चारो ओर दिख जायेगी मगर जिलाधिकारी की बैठक भर मे तो सारे अधिकारी चिंतित दिखते है। बाहर निकलते ही सुझाव के आधार पर खर्च व बजट अपने विभागीय क्लर्को को सौपकर संचारी रोगो की रोकथाम कागजो पर कर लेते है। जिसका भौतिक सत्यापन भी कभी नही होता न ही शासन से आयी जांच मे कोई कार्यवाही होती है कारण जनता जानना चाहती है।
मगर जनता लाचार है जब जिले के अधिकारी ही जनता के बीच जाना नही चाहते तो नीचे के कर्मचारी जनहित की अनदेखी व भ्रष्टाचार फैलायेगे ही। मात्र गांवो व कस्बो की लिस्ट बनाने और बजट खर्च कर लेने से रोग व जनहित नही होने वाला। नगर के किसी भी वार्ड मे न तो डी०डी०टी० का छिडकाव न पानी मे क्लोरीन न गंदगी वाले स्थानो पर दवा का छिडकाव जिलाधिकारी स्वयं प्रातः काल देख सकती है।
जिले के वरिष्ठ अधिकारी इन कार्यालयाध्यक्षो की थोथी बातो और हवाई रिपोर्टो से कैसे संतुष्ट है शायद इन लोगो ने इनको भी ‘संतुष्ट’ होने वाली मेडिसिन खिलाना शुरू कर दिया है कई घंटो की बैठक लाखों का खर्च फिर भी स्वाइन फलू, डेगू, मलेरिया, टाइफाइड, आई फलू की बीमारी फैल चुकी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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