समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि केन्द्र सरकार की आंकड़ेबाजी की पोल खुलने लगी है। एक ओर योजना आयोग अपने आंकड़ों में गरीबी में गिरावट दिखा रहा है तो दूसरी ओर खुदरा आधारित मंहगाई दर नौ फीसदी के करीब पहुॅच गई है। इससे आनेवाले दिनों में व्याज दरों को कम करना आसान नहीं होगा। अभी अगले वर्ष भी मंहगाई दर में कोई ज्यादा गिरावट सम्भावित नहीं है।
केन्द्रीय वित्तमंत्री के अगले कुछ महीनों में राहत के आश्वासन से इतर आम आदमी की रोजमर्रा जिन्दगी में दुश्वारियां कम होनेवाली नहीं है। केन्द्रीय बजट आने से पहले ही फरवरी,2012 में अंडे,मांस,मछली की कीमतों में 10.62 फीसदी, दूध व संबंधित उत्पादों की खुदरा कीमतें 15.76 प्रतिशत तथा खाद्य तेल के वर्ग में 12.76 प्रतिशत वृद्धि हुई है। सरकार के खर्च और आय में असंतुलन का असर सभी क्षेत्रों पर पड़ रहा है। गैर योजनागत खर्चो में बढ़त चिन्ता का विशय है।
सरकार ने प्रत्यक्ष करों में 4500 करोड़ रूपए की राहत देकर अप्रत्यक्षकरों में इजाफा कर जनता के सिर पर 45000 करोड़ रूपए का व्ययभार लाद दिया है। अप्रत्यक्ष करों में इस वृद्धि से मंहगाई की सुरसा का मुंह और बढ़ेगा। केन्द्रीय वित्तमंत्री ने महिलाओं और बुजुर्गो को भी नहीं छोड़ा है। उन्हें बस दिखावटी राहतें मिली है।
समाजवादी पार्टी की मान्यता है कि मंहगाई और भ्रष्टाचार में गहरा संबंध है। मंहगाई से गरीबी बढ़ती है। देश में खुशहाली तभी आएगी जब किसान और व्यापारी समृद्ध होगा। उत्पादक मदों पर ज्यादा खर्च होगा और अनुत्पादक मदों पर खर्च घटेगा। डा0 लोहिया की दाम बांधो नीति, जिसका उल्लेख श्री मुलायम सिंह यादव ने संसद में भी किया था, इस संबंध में उपयोगी साबित हो सकती है। आमदनी और खर्च का संतुलन बनाकर ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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