समाजवादी पार्टी प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि लोकतंत्र में जनादेश सर्वोपरि होता है। जनता की अदालत के फैसले को सभी सिर झुकाकर स्वीकार करते हैं। इस मान्य परम्परा में किन्तु बसपा अध्यक्षा को तनिक भी विश्वास नहीं है। इसीलिए आज तक वे जनता की अदालत में अपनी हार को पचा नहीं पाई हैं। वे आज भी अपनी पुरानी रागद्वेष भावना से उबर नहीं सकी हैं जिसके चलते उन्होने प्रशासनतंत्र को बसपा के एजेन्ट की भूमिका में ला दिया था और एक लाख से ऊपर समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमें लाद दिए थे। बसपा अध्यक्षा अब भी मतदाताओं के प्रति अवज्ञापूर्ण आचरण दिखा रही हैं और तरह-तरह के बहाने बना रही है। वे दूसरों पर गुमराह करने का झूठा आरोप लगा रही है। वे अभी भी अपने बनाए झूठे संसार में रह रही हैं।
लेकिन प्रदेश की जनता को यह भलीभांति मालूम हो गया है कि बसपा नेत्री को अंदर ही अंदर जनता में अपने प्रति अविश्वास होने का एहसास हो गया है। इसीलिए पहले से ही नतीजा भांपकर उन्होने स्थानीय निकाय चुनाव में भाग न लेने का एलान कर दिया है। उन्हें अपनी करारी हार का डर इस कदर सता रहा है कि वे चुनाव लड़नेवाले अपने किसी भी कार्यकर्ता या पदाधिकारी को तत्काल निलम्बित करने की धमकी दे रही है।
बसपा की पूर्वमंत्री को यह थोथी चिन्ता सता रही है कि समाजवादी पार्टी के राज में गुण्डागर्दी होगी। जबकि मनोनीत मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव इस सम्बन्ध में सख्त रूख दिखा चुके हैं। काश वे अपने राज में हुई भयंकर गुण्डागर्दी पर ध्यान दे पाती। उनके दर्जन भर से ज्यादा मंत्री विधायक लूट, अपहरण, हत्या और बलात्कार में जेल में बंद हैं। दो दर्जन के करीब मंत्री भ्रष्टाचार, सत्ता का दुरूपयोग, अवैध कब्जा आदि के अपराधिक मामलों में लोकायुक्त और कल अदालती जांचों की गिरफ्त में हैं।
यह एक अविस्मरणीय तथ्य है कि बसपा राज में जनता को सबसे ज्यादा दुश्वारियां उठानी पड़ी हंै। समाज का कोई वर्ग नहीं बचा जिसका उत्पीड़न न हुआ हो। घोटालों का भी इस सरकार ने बड़ा रिकार्ड बनाया है। अकेले राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में ही कई हजार करोड़ रूपयों का घपला पकड़ में आया है और इसकी जांच शुरू होते-होते छह अधिकारियों की मौतें हो चुकी है। इस सबसे उपजे जनाक्रोश के चलते ही बसपा सरकार को जनता ने सत्ता से बाहर किया है पर यह बात स्वीकार करने से पूर्व मुख्यमंत्री जिस तरह से बच रही हैं उससे तो यही लगता है कि वे झूठ और लूट की राजनीति में ही विश्वास करती है। उन्हें लोकतंत्र का पाठ पढ़ने में अभी भी काफी समय लगेंगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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