कांगे्रस द्वारा सुन्नी मुसलमानों की उपेक्षा के चलते उ.प्र. के विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है जबकि समाजवादी पार्टी ने सुन्नी मुसलमानों को साथ लिया और उनको कामयाबी मिली।
उक्त विचार आज प्रेस क्लब लखनऊ में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए आॅल इण्डिया सुन्नी उलेमा फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री गुलाम अब्दुल कादिर व उ.प्र. यूनिट के अध्यक्ष हाजी मो. याकूब ज़की नेे कही।
उन्होने कहा कि पिछले दिनों दरगाह आला हजरत बरेली शरीफ की मरकजी (केन्द्रीय) कार्यालय से तमाम राज्यों की हुकूमतो, संकुलर पार्टियों और खास कर कांग्रेस की अगुवाई वाली केन्द्रीय यू.पी.ए. सरकार से आॅल इण्डिया सुन्नी उलेमा फेडरेशन ने मांग की थी कि तमाम मुसलमानों खास कर सुफिइज्म को मानने वाले 80 प्रतिशत सुन्नी खानकाही बरेलवी मुलसमानों की आबादी 80 प्रतिशत के हिसाब से राज्य सभा, गवर्नर शिप, तमाम सरकारी, नीम सरकारी, मुहक्कमों कमेटियों, कमीशनों आदि में नुमाइन्दगी और हिस्ससेदारी दें।
हमारी इस मांग को आॅल इण्डिया सुन्नी उलेमा फेडरेशन की इस आवाज को खानकाहे आला हजरत बरेली शरीफ, किछौछा शरीफ, अलजामेअतुल अशरफिया मुबारकपुर और यूपी के सैकड़ों मदारिस के असातिज़ा मस्जिदों के इमामों की हिमायत मिली, लेकिन यूपीए सरकार ने हमारी मांगों पर कोई ध्यान नही दिया ।
सुन्नी उलेमाओं ने कहा कि सपा ने मुसलमानों के आइनी हुकूक एवं हमारे मसाइल और मांगों को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया, हमको उम्मीद है कि सपा अपने किये हुए वादों को अमली जामा शीघ्र पहनायेगी।
उलेमाओं ने कांग्रेस पार्टी को चेतावनी दी कि मुलायम सिंह की कामयाबी और उसमेे सुन्नी मुसलमानों की भागीदारी से उन्हें सबक लेना चाहिए, नहीं तो आगामी लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की स्थिति और भी बदतर हो जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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