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मा0 लोकायुक्त द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन पर मा0 लोक निर्माण मंत्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही किया जाना सम्भव नहीं

Posted on 28 February 2012 by admin

मा0 मंत्री के रूप में श्री सिद्दीकी द्वारा किये गये किसी भी कार्य, निर्णय या प्रदान किये गये अनुमोदन के संबंध में आरोप नहीं लगाया गया

उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मा0 लोकायुक्त को अवगत कराया गया है कि लोक निर्माण मंत्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के विरूद्ध उनके (मा0 लोकायुक्त) द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन पर नियमानुसार शासन द्वारा कार्यवाही किया जाना सम्भव नहीं है।
यह जानकारी देते हुए शासन के प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि इस संबंध में मा0 लोकायुक्त को प्रेषित पत्र में उल्लिखित किया गया है कि उ0प्र0 लोकायुक्त तथा उपलोकायुक्त अधिनियम, 1975 की धारा 12(4) के अन्तर्गत मा0 लोकायुक्त के प्रतिवेदन में वर्णित संस्तुतियों के आधार पर श्री सिद्दीकी के विरूद्ध कार्यवाही किया जाना विधिक रूप से सम्भव नहीं है। क्योंकि श्री सिद्दीकी के विरूद्ध जो आरोप लगाये गये हैं वे मा0 मंत्री के रूप में उनके द्वारा किये गये किसी कार्य अथवा निर्णय या प्रदान किये गये किसी अनुमोदन के विषय में नहीं हैं। जबकि उ0प्र0 लोकायुक्त तथा उपलोकायुक्त अधिनियम, 1975 की धारा 7 के अन्तर्गत मा0 लोकायुक्त के स्तर से किसी लोकसेवक के विरूद्ध लगाये गये उन्हीं आरोपों के विषय में जांच अथवा संस्तुति की जा सकती है, जिनमें ऐसे लोकसेवक द्वारा किया गया कोई कृत्य अथवा उनके द्वारा प्रदत्त अनुमोदन के आधार पर की गई किसी कार्यवाही का बिन्दु अन्र्तग्रस्त हो।
प्रवक्ता ने बताया कि मा0 लोकायुक्त से यह अनुरोध भी किया गया है कि वे अपने स्तर से परिवादी को अवगत करा दें कि उनके समक्ष प्रस्तुत आरोपों जैसे एजुकेशन सोसायटी का गठन, स्टाम्प शुल्क आदि की देयता के विषय में सुसंगत अधिनियमों/नियमों के अन्तर्गत सक्षम प्राधिकारी/अधिकारी के समक्ष कार्यवाही करने अथवा प्रत्यावेदन प्रस्तुत करने हेतु परिवादी स्वतंत्र है।
शासकीय प्रवक्ता के अनुसार श्री सिद्दीकी के विरूद्ध मा0 लोकायुक्त के समक्ष प्रस्तुत किये गये शिकायती पत्र में श्री सिद्दीकी के सम्बन्धियों द्वारा क्रय की गई भूमि के मूल्य एवं सम्पत्ति के मूल्य के स्टाम्प शुल्क की देयता एवं सोसायटी रजिस्ट्रेशन ऐक्ट के तहत एजुकेशन सोसायटी के गठन एवं सोसायटी द्वारा अर्जित की गई सम्पत्ति आदि के विषय में आरोप लगाये गये हैं। उन्होेंने कहा कि इन मामलों में सुसंगत अधिनियमों/नियमों के अन्तर्गत सक्षम प्राधिकारी/अधिकारी के समक्ष परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है तथा यह विषय मा0 लोकायुक्त को प्रदत्त क्षेत्राधिकार की परिधि में नहीं आता है।
प्रवक्ता ने बताया कि शासन द्वारा मा0 लोकायुक्त को प्रेषित पत्र में इस ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया गया है कि यदि किसी लोकसेवक के विरूद्ध उसकी ज्ञात आय के स्रोतों से अधिक सम्पत्ति का कोई आरोप है तो इस हेतु मा0 लोकायुक्त सक्षम प्राधिकारी नहीं है। इस विषय में सुसंगत अधिनियमों/नियमों के अन्तर्गत विहित प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही करने हेतु परिवादी या कोई भी व्यक्ति स्वतंत्र है।
प्रवक्ता ने कहा कि चूंकि श्री सिद्दीकी के विरूद्ध लगाये गये आरोपों में मंत्री के रूप में उनके किसी कृत्य अथवा अनुमोदन के विषय में आपत्ति नहीं उठायी गयी है अतः यह आरोप मा0 लोकायुक्त के विधिक क्षेत्राधिकार की परिधि में न आने के कारण उनके विषय में की गई जांच एवं संस्तुतियों पर कार्यवाही किये जाने से विधिक असमंजसपूर्ण स्थिति उत्पन्न होने की सम्भावना है। अतः इस सन्दर्भ में शासन स्तर पर कार्यवाही किया जाना सम्भव नहीं है। शासन ने इस प्रकरण निक्षेपित किये जाने का भी अनुरोध किया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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