लोकायुक्त की संस्तुति के बाद भी सुश्री मायावती जी द्वारा अपने निकटतम सबसे भारी भरकम मंत्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकीको बर्खास्त न करना और सीबीआई जांच की संस्तुति न करना, भ्रष्टाचार में मायावती जी की खुली मिलीभगत जाहिर करती है।
प्रदेश कंाग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राम कुमार भार्गव ने आज यहां प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि यह देश की पहली किसी प्रदेश की सरकार है जिसके 22 मंत्रियों पर भ्रष्टाचार का अरोप लग चुका है और दोषी भी ठहराये जा चुके हैं। पूरे देश में उ0प्र0 की छवि इस घोटालेबाज सरकार के रहते गिरी है। सुश्री मायावती जी के सबसे करीबी दो ‘‘फण्ड कलक्टर’’ श्री बाबू सिंह कुशवाहा एवं श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी थे, अब यह ‘‘फण्ड कलक्टर’’ दोषी ठहराये जा चुके हैं, मगर फण्ड कलेक्शन का मुख्य सूत्र जहां पर फण्ड है उसकी भी जांच होनी चाहिए।
मुख्य प्रवक्ता श्री भार्गव ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह उठता कि आखिर असली घोटालेबाजों पर सुश्री मायावती जी ने पर्दा क्यों डाले रखा। है। उन्होने कहा कि एक-एक कर घोटालेबाजों को भ्रष्टाचार के अलग-अलग मामलों में मुख्यमंत्री इसलिए बर्खास्त करती रही हैं यह दिखाने के लिए कि वह स्वयं पाकसाफ है और भ्रष्टाचारियों को कतई बर्दाश्त नहीं करतीं। यहां तक कि उन्होने अपने सबसे करीबी श्री बाबू सिंह को तब बाहर निकाल दिया जब उन्हें पता चला कि कानून का शिंकजा अब उनके स्वयं के गिरेबान तक पहुंचने वाला है क्योंकि भ्रष्टाचार के तार उन्हीं से जुड़े हैं। हाल ही में लोकायुक्त द्वारा इनके सबसे निकटस्थ मंत्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के भ्रष्टाचार एवं आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मामले में लोकायुक्त ने सीबीआई की जांच कराये जाने की संस्तुति की है उस पर मायावती जी ने चुप्पी साध रखी है। उन्होने कहा कि अब देखना यह है कि इस मामले में मायावती जी लोकायुक्त के निर्देशानुसार मामला सीबीआई को देती हैं या रफा दफा करने के लिए अपने ही स्तर से कोई कमीशन बैठाकर या राज्य की किसी एजेंसी को देकर सिर्फ खानापूरी ही करती हैं।
अत्यंत गंभीर बात तो यह है कि सुश्री मायावती जी, जैसा कि चर्चा है इनको बचाने के लिए कोई ज्यूडिशियल कमीशन बैठाने की फिराक में हैं, ताकि आने वाली सरकार भी कोई कार्यवाही न कर पाये और असली स्रोत यानी कि सुश्री मायावती तक कानून का शिकंजा न पहुंच पाये।
श्री बाबू सिंह कुशवाहा और श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अतिरिक्त मायावती जी के शासन के भ्रष्टाचार के मुख्य संचालक तो इनके अपने सगे भाई श्री आनन्द कुमार हैं जो कि इन्हीं के निर्देशानुसार सारे नाजायज फण्डों की उगाही और सम्पत्ति की खरीद फरोख्त करते हैं। यह मायावती जी के वही भाई हैं जिनकों सुश्री मायावती जी के प्रथम मुख्यमंत्रित्व काल में प्राथमिकता के तौर पर नोएडा में एक प्लाट आवंटित कराया गया था, यह दिखाते हुए कि यह नोएडा में बढ़ई का काम करते हैं। आज सबसे बड़ी जांच का विषय यह है कि मामूली बढ़ई के रूप में कार्य करते हुए चंद वर्षों में हजारों करोड़ रूपये से अधिक की जमीन व बेनामी सम्पत्ति कहां से इन्होने कैसे बना ली। श्री आनन्द कुमार, उनकी पत्नी व कुछ अन्य इनके परिवार के लोगों के नाम से कम से कम 15 छोटी-बड़ी कम्पनियां अकेले नोएडा में बनी हुई हैं जिनका पूर्ण विवरण मीडिया के जरिये जनता के सामने आ चुका है। दिखाने के लिए बेनामी तौर पर इन कंपनियों में कुछ छोटे बिल्डरों का नाम भी शामिल कर लिया गया है।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद एवं मेरठ विकास प्राधिकरण की दिल्ली से सटी बेशकीमती जमीनें, जो सोने की खान की तरह हैं जिनका आावंटन पिछले 5 वर्षों से बिना श्री आनन्द कुमार के नामुमकिन रहा है। इन चारों संस्थाओं के प्रमुख अधिकारी श्री आनन्द कुमार के कहने पर ही नियुक्त किये जाते रहे हैं। यही कारण है कि खास तौर पर नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा के अधिकारी अगर मासिक किश्त देने में जरा भी देरी करते हैं तो हटा दिये जाते है। जल्दी-जल्दी कुछ ही महीनों के अल्पकाल में इन अधिकारियों के स्थानान्तरण की खास वजह भी यही रही है।
मुख्य प्रवक्ता ने मांग की है कि केन्द्र सरकार द्वारा दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं एवं आम जनता के लिए लागू की गयी जनकल्याणकारी केन्द्रीय योजनाओं में हजारों करोड़ रूपये की, राज्य सरकार द्वारा की गयी लूट, प्रदेश की जनता की जबरिया जमीनों को छीने जाने और बसपा सरकार के इन पांच वर्षों के भ्रष्टाचार, प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों में फैली हुई सम्पत्तियां, घोटाले की सत्यता उजागर करने के लिए सुश्री मायावती जी के सगे भाई श्री आनन्द कुमार की भी सभी सम्पत्तियांे, कार्यप्रणालियों और सभी कम्पनियों की सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच करायी जानी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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