समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि प्रदेश में समाजवादी पार्टी को स्पष्ट बहुमत हासिल होगा। दो तिहाई से अधिक सीट पर विजय की सूचनाएं मिल रही हैं। कांग्रेसी इससे बौखला गये हैं और तरह-तरह की धमकी दे रहें है कि राष्ट्रपति शासन लगा देगें। समाजवादी पार्टी को जब सीधे बहुमत मिल रहा है तो राष्ट्रपति षासन और समर्थन की बात कहां है। समाजवादी पार्टी तो भारतीय और काग्रेस को एक सिक्के के दो चेहरे मानती है। विधान सभा चुनावों में जनता के बीच अपनी स्वीकार्यता न बन पाने से हताश-निराश कांग्रेस नेतृत्व अब लोकतांत्रिक मान्यताओं को ही ध्वस्त कर देने के मंसूबे बनाने लगा है।
अब तक हुए पांच चरणों के मतदान के रूख से यह स्पष्ट हो गया है कि समाजवादी पार्टी समाजवादी पार्टी की सरकार बनना तय हैं। श्री अखिलेश यादव के सघन चुनाव अभियान और श्री मुलायम सिंह यादव की नीतियों को परख चुकी जनता उनके हाथों में प्रदेश की बागडोर सौंपने का मन बना चुकी है। बसपाराज के भ्रष्टाचार और अत्याचार को कांग्रेस ने भरपूर बढ़ावा और संरक्षण दिया। भाजपा ने उसके विरोध में जबानी जमाखर्च-बयानबाजी के अलावा सड़क पर उतरकर जनता की लड़ाइयां नहीं लड़ी जबकि समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने उत्पीड़न सहकर भी झुकना नहीं सीखा। जनता को यह भी मालूम है कि श्री मुलायम सिंह अपनी बात के धनी हैं। इसलिए वह बसपा को हटाकर समाजवादी पार्टी को सत्ता में लाना चाहती है। बल्कि सच तो यह है कि समाजवादी पार्टी के पक्ष में वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है और जनता कांग्रेस की साजिशों का जवाब देने के लिए पहले से ज्यादा कटिबद्ध तकदीर है।
40 वर्षो तक राज करके भी प्रदेश को पिछड़ा बनाए रखने वाली कांग्रेस के राजकुमार जब पांच साल में इसकी तकदीर बदल देने का वायदा करते हैं तो जनता को उस पर विश्वास नहीं होता है। उनके तमाम नाटकीय क्रियाकलाप भी बेअसर साबित हुए हैं। लोकतंत्र संवैधानिक सीमाओं में चलता है। कांग्रेस अपने को इससे ऊपर मानती है तभी वह निर्वाचन आयोग के अधिकारों में भी कटौती करने की निन्दनीय साजिश का संकेत देती है।
लेकिन कांग्रेस नेतृत्व को इतिहास के सबक इतनी जल्दी नहीं भूलने चाहिए। न्यायतंत्र और संसद से भी ऊपर अपने को मानने की मानसिकता से आपातकाल का काला अध्याय रचा गया। नतीजे में कांग्रेस का चुनाव में सूपड़ा ही साफ हो गया था। अभी उत्तर प्रदेश में विधान सभा के चुनाव चल रहे हैं। जनता का निर्णय आने वाला है। लेकिन कांग्रेस के नेताओं में जनादेश सुनने का भी धैर्य नहीं है। वे अपनी सरकार न बनने पर राष्ट्रपति राज लगाने की ऐसी धमकी दे रहे हैं जैसे संविधान उनका बंधक हों। लोकतंत्र में यह गम्भीर स्थिति है जिस पर महामहिम राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग और मा0 सर्वोच्च न्यायालय को स्वतः संज्ञान लेकर त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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