भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने डिप्टी सीएमओ और दो सीएमओ हत्याकांड की जांच कर रहे सीबीआई एजी एल कौल को जांच से हटाना दुर्भाग्यपूर्ण एवं एक साजिश बताया है। जिससे अंतिम दौर में पहुंची जांच को फिर से भटकाया और भरमाया जा सके। उन्होने कहा इस तरह से जांच के बीच में किसी जांच अधिकारी को हटाना सीधे-सीधे कांग्रेस की जांच में दखल बताया है और कहा कि इसके पीछे उनकी मंशा बसपा के शीर्ष स्तर पर बैठी नेता को बचाना भी है।
श्री शाही ने कहा कि ये कांग्रेस और बसपा की मिलीभगत का एक और उदाहरण है। कांग्रेस और बसपा एक-दूसरे से जुबानी जंग जरूर लड रहे है लेकिन जहां कानून और सत्ता की बात आती है। वहां ये दोनों दल एक-दूसरे के प्रबल समर्थक के रूप में साथ-साथ खड़े नजर आते हैं। केन्द्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार को बीएसपी का समर्थन-पत्र अभी भी हासिल है। कांग्रेस जब-जब मुसीबत में पड़ती है चाहे वो परमाणु करार मुद्दे पर हो या महंगाई पर या फिर लोकपाल पर बसपा हमेशा ढाल के रूप में कांग्रेस के साथ नजर आई। इसलिए बीजेपी का साफ मानना है कि ये तबादला बीएसपी के कहने पर कांग्रेस द्वारा किया गया। जिससे इस जांच को समय पर पूरा न किया जा सके और कांग्रेस की सहयोगी बसपा को कोई नुकसान न पहुंचे।
श्री शाही ने कहा कि बीजेपी इस मामले के गुनाहगारों को जल्द से जल्द सजा देने की पक्षधर रही है। इसके लिए बीजेपी सडक से संसद तक इस मामले को जोरशोर से उठाया है। बीजेपी का ये भी मानना है एनआरएचएम में हुए 5000 करोड़ के घोटाले में बीएसपी का शीर्ष नेतृत्व शामिल है। जिन्हे अब तक इस जांच से दूर ही रखा गया है। जबकि हर राज्य में एनआरएचएम का मुख्यमंत्री पदेन अध्यक्ष होता है और सभी फैसले उनकी अध्यक्षता में होने वाली बैठकों में होते हंै।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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