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बुन्देलखंड चुनावी ऊट किस करवट बैठेगा

Posted on 22 February 2012 by admin

क्या बुन्देलखण्ड में कांग्रेस के लिये चमत्कार होने वाला है यह प्रश्न राजनैतिक धरातल पर कुछ यादगार बातो को लेकर उछाला जा रहा है। इस प्रश्न के पीछे बुन्देलखण्ड पैकेज की लूट को राहुल गांधी ने मुद्दा बनाने के साथ-साथ बुन्देलखण्ड की खनिज सम्पदा पर बसपाराज में पड़ी खुली डकैती और उससे उपजे पौन्टी चड्डा गिरोह पर कसता शिंकजा के कारण बसपा को उसी के गढ़ में इस तरह घेरा गया है कि 19 में से 15 सीटों पर काबिज बहुजन समाज पार्टी की हवा निकलती दिख रही है। कांग्रेस ने बसपाई वोटों फसल को हथियाकर हाथी को हाथ ने जो करारी मात देने की कोशिश की है उससे हाफता हाथी अपने ही बचे खुचे गढ़ को खुद ही रौंद रहा है। नतीजे क्या निकलेंगे यह तो वक्ता बतायेगा लेकिन राजनैतिक धरातल पर बुन्देलखण्ड से कांग्रेस ने जो दाॅव खेला है। उसने बसपा के बड़े-बड़े सूरमाओं को भयभीत कर दिया है। उत्तर प्रदेश में सबसे पहले पैठ हासिल करने वाला बहुजन समाज पार्टी का गढ़ बुन्देलखंड दरकता नजर आ रहा है। वर्ष 1987 के राठ उपचुनाव में दूसरे नम्बर पर आकर बुन्देलखंड में धमक दार दस्तक देने वाली बसपा के खाते में वर्ष 2006 में 21 में से 14 सीटो ंपर विजय मिली थी लेकिन 2011 आते-आते सबकुछ ठीकठाक नही रहा है। बसपा के सबसे ताकतवर नेताओं में सुमार रहे बाबू सिंह कुशवाहा बगवात कर बाहर हो चुके है। तो पूर्व मंत्री बादशाह सिंह बगावत करके भाजपा की गोदी में बैठ गये है और अब महोबा से भाजपा के प्रत्याशी है।  टिकिट कटा चुके मंत्री दद्दू प्रसाद, पूर्व मंत्री रतन लाल अहिरवार तथा हरिओम उपाध्याय अन्दर ही अन्दर नाराज है। कब क्या गुल खिला दे कहना कठिन है। इन हालातो ंके चलते बसपा ने झांसी के निवर्तमान विधायक कैलाश साहू तथा ललितपंर की निवर्तमान विधायक सुमन कुशवाहा के साथ-साथ मेहरौनी क्षेत्र के विधायक रामकुमार तिवारी तथा नरैनी से विधायक रहे पुरूषोत्तम द्विवेदी टिकिट काटकर पार्टी में है। बहुजन समाज पार्टी ने मानिकपुर से ग्रामीण विकास मंत्री दद्दू प्रसाद की धर्म पत्नी हीरा देवी को पहले टिकिट दिया बाद में उनके स्थान पर चन्द्रभान पटेल को प्रत्याशी बनाया है। यहाँ समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद श्यामा चरण गंुप्त तथा कांग्रेस ने गुलाबी गैंग कमाण्डर सम्मतपाल को मैदान में उतारा है। बीजेपी ने पुष्पा मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है। लेकिन मानिकपुर विधानसभा क्षेत्र में बसपा की राहे आसान नही दिख रही है। कांग्रेस और सपा के बीच ही सीधे संघर्ष होने की संभावना बन रही है।  यही हाल कर्वी चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र से है। जहाँ बहुजन समाज पार्टी ने निवर्तमान विधायक दिनेश प्रसाद मिश्र का टिकट काट कर रामसेवक शुक्ला को मैदान में उतारा है। सपा ने वर्तमान सासद के बेटे सुनील पटेल को ददुआ के बेटे वीर सिंह का टिकिट काट कर उम्मीदवार बनाया था बाद मंे फिर वीर सिंह को टिकिट थमा दिया गया है। कांग्रेस ने ठाकुर कार्ड खेलते हुये युवा उम्मीदवार पुष्पेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा है। भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चन्द्रप्रकाश उपाध्याय मैंदान में है।  सपा को आन्तरिक गुट बाजी का शिकार होना पड़ सकता है। जिसकंे कारण मुकाबला कांग्रंेस बसपा के बीच दिख रहा है। बांदा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने निवर्तमान विधायक विवेक कुमार सिंह को पुनः मैदान में उतारा है, तो सपा ने भाजपा से आयी अमिता बाजपेयी और बसपा ने एक नया चेहरा दिनेश चन्द्र शुक्ला पर दाॅव खेला है। कांग्रेस और बसपा में मुकाबला होने की सम्भावना नजर आती है। नरैनी विधानसभा क्षेत्र से जहाँ समाजवादी पार्टी ने भरत लाल दिवाकर को उम्मीदवार बनाया है। तो कांग्रेस ने महेन्द्र अहिरवार को तथा बहुजन समाज पार्टी ने गया चरण दिनकर को उतारा है। महेन्द्र वर्मा और गयाचरण दिनकर एक ही बिरादरी होने के बावजूद भी उनको दोनेां की बीच करारी टक्कर होती नजर आ रही है। बबेरू विधानसभा क्षेत्र से सपा ने अपने निवर्तमान विधायक विशम्भर यादव को मैदान में उतारा है। तो कांग्रेस ने कभी भाजपा से मंत्री रहे शिवशंकर पटेल को उतारा है। बसपा ने बृजमोहन सिंह कुशवाहा को  प्रत्याशी बनाया है। यह क्षेत्र पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा का होने के कारण बसपा ने कुशवाहा कार्ड खेल कर अपना आधार मजबूत करने का प्रयास किया है। लेकिन बाजी बसपा हाथ में न आये इस कोशिश में लगे बाबू सिंह कुशवाहा के कारण भाजपा का प्रत्याशी मुकाबले में होने के कारण यहां त्रिकोणीय मुकाबले की सम्भावना बन रही है। तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी ने अपने निवर्तमान विधायक विशम्भरर प्रसाद निषाद को पुनः मैदान में उतारा है वही दूसरी ओर कांग्रेस ने ठाकुर दलजीत सिंह तथा बसपा ने भी रमेश प्रजापति को पहले उम्मीदवार घोषित किया लेकिन अन्तिम समय में बसपा ने अच्छेलाल निषाद को प्रत्याशी बना दिया है। यहां कांग्रेस और सपा में आमने सामने का मुकाबला दिख रहा है। महोबा विधानसभा क्षेत्र से बसपा ने अपने निवर्तमान विधायक राकेश गोस्वामी की टिकिट काट कर सपा से बसपा में आये रज्जू बुधौलिया को उम्मदीवार बनाया है तो भाजपा ने बसपा से आये बादशाह सिंह को उम्मीदवार बनाया तो सपा ने सिद्ध गोपाल साहू तथा कांग्रेस ने ठाकुर अरिमर्दन सिंह को उम्मीदवार बनाया है। गौरतलब है कि इस विधानसभा क्षेत्र से लड़ रहे सभी प्रत्याशी दलबदलू है । सपा के सिद्ध गोपाल साहू पिछले चुनाव में सपा से विद्रोह कर निलोपा से चुनावी लड़े थे तथा लोकसभा का चुनाव कांग्रेस की टिकिट पर लड़ चुके है। यही हाल बसपा के रज्जू बुधौलिया का है। वह सपा से  बसपा में आये है। दलबदलुओं के कारण यहां मुकाबला त्रिकोणीय और रोचक होगा। राठ सुरक्षित क्षेत्र से बसपा ने चरखारी से विधायक रहे रामसहाय अहिरवार को उम्मीदवार बनाया है तो सपा ने पूर्व विधायक अमरीश कुमारी और कांग्रेस ने गयादीन अनुरागी पर दाॅव लगाया है। भाजपा ने अनिल अहिरवार को उम्मीदवार बनाया है राठ विधानसभा क्षेत्र मंे त्रिकोणीय संर्घष होने की सम्भावना दिख रही है।
चरखारी विधानसभा से बसपा ने निवर्तमान विधायक घूराम लोधी सपा ने कप्तान सिंह राजपूत और कांग्रेस ने राम सजीवन यादव पर दाॅव लगाया है। सपा बसपा तथा भाजपा के लोध प्रत्याशी होने के कारण कांग्रेस का प्रत्याशी मजबूत दिख रहा है। भाजपा ने फायर ब्रांड नेत्री उमाभारती को मैदान में उतारा है। हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी में कभी बसपा में रहे शिवचरण प्रजापति को टिकिट दी है। वही कांग्रेस ने केशव शिवहरे तथा बसपा ने फतेह मोहम्मद खान उम्मीदवार बनाया है। यहां भी चतुर्णीय मुकाबला हो सकता है। वर्ष 2007 के चुनाव में जिले की चार में तीन सीटों पर बसपा ने कब्जा किया था। इस बार नये परिसीमन से इलेक्शन हो रहे हैं जिसके जिसमें चार की बजाए जिले में तीन विधान सभी सीटें ही बची हैं। न जाने सोशल इंजीनियरिंग के कौन से फंडे को अपनाते हुए बसपा ने अपनी तीनों सीटिंग एमएलए के टिकट काट कर नये खिलाडि़यों को मौका दे दे दिया। परंतु प्रमुख प्रतिद्वंदी दल भाजपा ने कालपी विधानसभा को छोड़ माधौगढ़ और उरई विधान सभा सीट से पिछले चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों को ही फिर से टिकट दिया है। माधौगढ़ से भाजपा के प्रत्याशी संतराम सिंह सेंगर न सिर्फ वर्ष 2007 के चुनाव में हारे बल्कि 2002 के इलेक्शन में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। मगर इसके बावजूद क्षेत्र में सक्रियता की वजह से संतराम सेंगर पर भाजपा ने फिर से भरोसा जताया जबकि इस सीट पर जदयू दावा ठोक रही थी। संतराम सिंह का टिकट न काटना पड़े इसके लिए भाजपा का जदयू से गठजोड़ तक टूट गया। उरई विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के दूसरे प्रत्याशी गौरीशंकर वर्मा भी पिछले चुनाव के हारे हुए उम्मीदवार हैं। पिछली बार वे कोंच विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में खड़े हुए थे लेकिन इस बार कोंच विधानसभा खत्म हो गई है सो उन्हें उरई से प्रत्याशी बना दिया गया। समाजवादी पार्टी ने भी पिछले विधान सभा चुनाव में हारे हुए उम्मीदवारों में से एक को फिर प्रत्याशी बनाया है। उरई से प्रत्याशी बनाये गए दयाशंकर वर्मा पिछले चुनाव में कोंच से उम्मीदवार थे जहां उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। कोंच सीट खत्म हो गई तो सपा ने पुराने नतीजे की परवाह न करते हुए फिर से दयाशंकर पर दांव खेला। कांग्रेस की कहानी थोड़ी सी जुदा है। 2007 के चुनाव में उरई विधानसभा सीट से विनोद चतुर्वेदी ने जीत दर्ज की लेकिन इस बार सीट अनुसूचित जाति आरक्षित होने की वजह से विनोद चतुर्वेदी को माधौगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाना पड़ रहा है। उरई सीट से डा. रामाधीन उम्मीदवार है। 2007 के विधानसभा चुनाव में तो डा. रामधीन मैदान में नहीं थे लेकिन 2009 का लोकसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। इस तरह वे भी हारे हुए महारथियों की फेहरिस्त में शामिल हैं।उरई सुरक्षित क्षेत्र से बसपा ने सत्येन्द्र प्रताप अहिरवार को उम्मीदवार बनाया है तो सपा ने पूर्व मंत्री दयाशंकर वर्मा तथा कांग्रेस ने बसपा के बड़े नेता रहे रामादीन अहिरवार को मैदान में उतारा है। भाजपा गौरी शंकर वर्मा पर दाॅव लगा रही है। यहाॅ चतुरकोणीय मुकाबला दिख रहा है। माधौगण विधानसभा क्षेत्र से निवर्तमान विधायक हरिओम का टिकट काट कर संतराम कुशवाहा को भेजा गया है। भाजपा ने संतराम सिंह सेंगर को टिकट दी है, तो कांग्रेस के निवर्तमान विधायक विनोद चतुर्वेदी सपा के ठाकुर केशवेन्द्र सिंह मैदान में है।यहाॅ मुकाबला दिलचस्प बन गया है। कालपी विधानसभा क्षेत्र से बीएसपी ने अपने निवर्तमान विधायक छोटे सिंह चैहान का टिकट काट कर संजय सिंह भदौरिया को प्रत्याशी बनाया है। तो वही समाजवादी पार्टी ने चैधरी विष्णुपाल सिंह तथा कांग्रेस ने उमाकान्ति सिंह को उम्मीदवार भाजपा ने स्वतंत्रदेव सिंह को प्रत्याशी बनाया है। झांसी विधानसभा क्षेत्र से बसपा ने अपने निवर्तमान विधायक कैलाश शाहू की टिकिट काटकर कांग्रेस से बसपा में आये सीताराम कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। तो सपा ने अस्फान सिद्दीकी को तथा कांग्रेस ने बसपाई रहे ब्रिजेन्द्र व्यास को मैदान में उतारा है। भाजपा ने रवि शर्मा को प्रत्याशी घोषित किया है। लेकिन यहाॅ मुख्य मुकाबला कांग्रेस, भाजपा और बसपा के बीच होता दिख रहा है। गरौठा विधानसभा क्षेत्र से सपा ने अपने निवर्तमान विधायक दीप नारायन सिंह यादव को मैदान में उतारा है। वही दूसरी ओर कांग्रेसी रहेे देवेश कुमार पालीवाल बसपा से उम्मीदवार  बने है। कांग्रेस ने राजा रंजीत सिंह जुदेव को फिरसे मैदान में उतारा है। यहाॅ त्रिकोणीय संघर्ष बनता दिख रहा है। मऊरानीपुर सुरक्षित क्षेत्र बसपा ने निवर्तमान विधायक भगवती सागर के स्थान पर राजेन्द्र राहुल अहिरवार को  टिकिट दी है । कांग्रेस ने पूर्व मंत्री बिहारी लाल आर्य सपा ने रामरती आर्या तथा भारतीय जनता पार्टी ने प्रयागी लाल अहिरवार को प्रत्याशी बनाया है। यहाॅ कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला है।  बबीना विधानसभा क्षेत्र से सपा ने पूर्व सांसद चन्द्रपाल सिंह यादव कांग्रेस ने राजेन्द्र सिंह यादव तथा बसपा ने लोध उम्मीदवार उतारा है। वही भाजपा से श्याम सुन्दर सिंह यादव के प्रत्याशी बनाये जाने की सम्भावना है। यहाॅ पूर्व मंत्री रतनलाल अहिरवार का टिकिट काटकर बसपा ने लोध उम्मीदवार का जो दाॅव खेला है। वह कितना कामयाब होता है यह तो वक्त ही बतायेगा। ललितपुर विधानसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी ने अपनी निवर्तमान विधायक सुमन देवी कुशवाहा का टिकिट काटकर रमेश कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है। वही कांग्रेस ने पूर्व मंत्री विरेन्द्र सिंह बुन्देला और समाजवादी पार्टी ने चन्द्रभान सिंह बुन्देला को टिकिट दी है। कांग्रेस और सपा के उम्मीदवार चचा भतीजे है। पहली बार इस सीट पर बुन्देला बंधुओं के आमने-सामने होने से रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। मेहरौनी सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से बसपा ने फेरनलाल अहिरवार को उम्मीदवार बनाया है वही कांग्रेस ने रमेश खटिक तथा समाजवादी पार्टी ने मुन्ना लाल रजक तथा भारतीय जनता पार्टी ने मन्नू कोरी को मैदान में उतारा है। यहाॅ मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होता नजर आ रहा है। जातिगत समीकरणों को देखे तो कांग्रेस ने बुन्देलखंड में ठाकुरो पर दाॅव खेला है तो बसपा ने ब्राहा्रणों पर दाॅव खेला है तथा तीन कुशवाहा उम्मीदवार उतार कर बाबू सिंह कुशवाहा की विद्रोह की आग को ठंडा करने का प्रयास किया है। सपा यादव मुस्लिम के सहारे बुन्देलखंड में अपनी नयैया पार लगाने की कोशिश कर रही है। लेकिन इस नाव को मजधार में फॅसाने की कोशिश के लिये बुन्देलखंड कांग्रेस आड़े आ रही है। बुन्देलखंड कांग्रेस का पीस पार्टी, इण्डियन जस्टिस पार्टी तथा अपना दल से गठबंधन होने के साथ-साथ 16 सीटों पर बुन्देलखंड कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतारकर सपा और कांग्रेस की राह कठिन करने के लिये तैयार दिख रही है। राजविभाजन का दाॅव खेल कर बसपा सुप्रीमों मायावती ने बुन्देलखंड के लोगों के मनों में पल सपनों को जगाया तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने बुन्देलखंड पैकेज दिलाकर तथा बुन्देलखंड पैकेज की लूट के कारण बसपा को कटघरे में खड़ा किया है। सपा के लिये बुन्देलखंड में कहने के लिये भले ही कुछ न हो लेकिन मजबूत पार्टी कैडर के कारण सपा को बुन्देलखंड में कम नही आका जा सकता है। बुन्देलखंड में सूपड़ा साफ करा चुकी भारतीय जनता पार्टी को बुन्देलखंड की तेज तर्ररार उमाभारती के सहारे इस बार मजबूत दावेदारी हासिल करने की अपेक्षा है। देखना यह है कि चुनावी ऊट बुन्देलखंड में किस करवट बैठता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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