अ0भा0 कंाग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव एवं दिल्ली प्रदेश के विधायक जय किशन ने आज यहां प्रदेश कंाग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता के माध्यम से प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती से सवाल किया है कि बसपा सुप्रीमो स्वयं को दलितों की हितैषी और मसीहा कहलाने का दंभ भरती हैं, बड़ी-डींगें मारती हैं, उन्होने दलितों के हितों के लिए क्या किया, इसके बारे में बताना चाहिए। मायावती जी ने बड़े-बड़े लुभावने नारे देकर देश के दलितों को विशेषकर उ0प्र0 के दलितों को गुमराह किया है उनके साथ छल किया है। यही कारण है कि मायावती जी से दलितों का मोह पूरी तरह भंग हो चुका है और इस चुनाव में मायावती जी से बदला लेने का मन बना लिया है, पूरे प्रदेश का दलित पूरी तरह कांग्रेस के पक्ष में लामबंद हो चुका है।
प्रदेश कंाग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि यह वही मायावती जी हैं जिन्होने उ0प्र0 के मेहनतकशों, किसानों, अल्पसंख्यकों और भोलेभाले दलितों और उन लोगों को बरगलाने का काम किया है जो दूसरे प्रान्तों में बसते हैं। उन्होने कहा कि मैं भी बागपत जिले का हूं और इसी प्रदेश का रहने वाला हूं, दिल्ली से विधायक हूं लेकिन मायावती जी के कुशासन के चलते उ0प्र0 के दलितों की आवाज उठाने आया हूं। उन्होने कहा कि उ0प्र0 में विधानसभा का चुनाव हो रहा है पूरे देश की नजरें उ0प्र0 की तरफ लगी हुई हैं। उन्होने कहा कि प्रदेश के जो करोड़ों लेाग अन्य प्रान्तों में रहते हैं उनका भी भविष्य इस चुनाव से जुड़ा हुआ है, ऐसी पार्टी को वोट दें जिससे देश का हित हो, समाज का हित हो, जिससे उनका भविष्य उज्जवल हो और उ0प्र0 का विकास हो। उन्होने कहा कि राहुल जी विगत कई वर्षों से उ0प्र0 के विकास और दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, नौजवानों, महिलाओं के हितों के लिए प्रयास कर रहे हैं, जिसके चलते आज पूरा प्रदेश राहुल जी से प्रेरित है।
उन्होने कहा कि बहन मायावती जी भूल रही हैं कि इन्होने नारा दिया था कि तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार। एनडीए के शासनकाल में इन्होने मिलकर सरकार चलायी और अब उसी को थूक कर चाट रही हैं और नारा दिया कि तिलक तराजू और तलवार, इनकी बोलो जयजयकार, यही हैं बीएसपी के यार। जब दलितों ने इस पर ऐतराज किया तो इन्होने कहा कि तुम चुप रहो, पत्थर रखे रहो छाती पे, मुहर मारते रहो हाथी पे। दुतारा तिलक, तराजू और तलवार ने कहा कि तुम तो पहले कुछ और बोलती रही हो, तो कहा कि हाथी नहीं गणेश है तुम भी मत्था टेकते रहे, ब्रहमा विष्णु महेश है।
जयकिशन ने सवाल कि बहन जी, आपने तो सपा को गुण्डा कहकर ललकारा था कि -चढ़ गुण्डन की छाती पर मुहर लगाओ हाथी पर और खुद गुण्डों को आपने संरक्षण दिया और टिकट देकर मंत्री बनाया।
जयकिशन ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मैंने नारा दिया कि गुण्डे चढ़ गये हाथी पर, अफसरों, ठेकेदारों, लोगों से चंदा मांगे, गोली मारें छाती पर। ब्राहमण संख बजायेगा, हाथी दिल्ली जायेगा, के नारे पर श्री जयकिशन ने कहा कि हाथी दिल्ली जायेगा किन्तु पार्लियामेंट नहीं जा पायेंगा क्योकि वह गेट पर फंस जायेगा, गेट छोटा है और हाथी बड़ा है फंस जायेगा। उन्होने आरोप लगाया कि- मायावती जी का पुराना धंधा- टिकट को ले जाओ, दे जाओ चंदा। मायावती जी उसकी, जो सेाने चांदी का हाथी दे उसकी। उन्होने कहा कि नया नारा दिया है जिंदा हाथी लाख का, मरा हुआ सवा लाख का। इस उन्होने कहा कि पहले हाथी घास फूस खाता था अब हजार-हजार का नोट खा रहा है इसलिए सवा लाख का हो गया है। उन्होने कहा कि मायावती जी ने विकास के
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नाम पर सिर्फ कुछ अपने इर्द गिर्द के लोगों का ही विकास किया है परिवार का विकास किया है। इनको देखकर देश के दलितों का सिर शर्म से झुक जाता है।
अंत में उन्होने कहा कि आजादी के बाद संविधान बनाने से लेकर पहला कानून मंत्री कांग्रेस ने दलित को बनाया। दो बार चुनाव हारने के बाद भी बाबा साहब को कानून मंत्री बनाया। देश का राष्ट्रपति बनाया। लोकसभा अध्यक्ष बनाया। संसद में सर्वोच्च पद लोकसभा अध्यक्ष बनाया। यूजीसी का चेयरमैन बनाया। मा0 सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया। कांग्रेस ने ही सबसे अधिक दलितों के हितों के लिए कार्य किया है। संविधान में दलितों को जो अधिकार मिले वह सभी कांग्रेस की ही देन है।
श्री जयकिशन ने कहा कि मायावती जी बतायें कि एनडीए के शासनकाल में उनसे मिलकर और श्री लालजी टंडन को राखी बांधकर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद वर्ष 2002 में एनडीए शासनकाल में संविधान को बदलने की बात पर यह चुप क्यों रहीं। दलित एक्ट को खत्म किया गया तो चुप क्यों रहीं। 20 सूत्रीय कार्यक्रम को बैन किया गया तो चुप क्यों रहीं। दलितों के अधिकार छीने गये तो चुप क्यों रहीं। सफाईकर्मियों, चैकीदारों को निजीकरण एवं पेंशन बंद किया गया तो चुप क्यों रहीं, जब दलितों की हत्याएं हुईं तो चुप क्यों रहीं, सबसे ज्यादा दलित महिलाओं के साथ उ0प्र0 में उत्पीड़न किया गया तो चुप क्यों रहीं, उच्च शिक्षा में जब दलितों का एनडीए काल में हक छीना गया तो चुप क्यों रहीं। बैकलाग और रोस्टर सील किया गया तब चुप क्यों रहीं। वर्ष 2004-2003 में बीबीए, बीसीए, एमसीए, एलएलबी, आईआईटी की प्रवेश परीक्षा के परिणाम को रोका गया तो चुप क्यों रहीं, जिसमें 9लाख दलित बच्चों का भविष्य बर्बाद हुआ और वह ओवरएज हो गये। सच्चाई तो यह है कि इन सवालों का जवाब मायावती जी के पास नहीं हैं क्योंकि यह तो दलित की बेटी ही नहीं हैं यह तो हीरे, सोने का हार पहनने वाली हैं, दौलत की बेटी हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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