वोटों का प्रतिशत बढ़ाने के उद्देश्य से घर-घर मतदान पर्ची पहुंचाने का दावा जिले में हकीकत से कोसों दूर रहा। पर्ची से वंचित कई मतदाता वोट डालने से वंचित रहे। बीएलओ व लेखपालों से अतिरिक्त कार्य लिए जाने के कारण पर्ची का वितरण कार्य अधूरा देखा गया।जिले के 23.61 लाख मतदाताओं को घर-घर मतदान पर्चियां पहुंचाने की निर्वाचन आयोग की मंशा पूरी तरह से सफल नही हुई फिर भी अधिकांश लोगों तक बी0एल0ओ0 ने पर्चियां पहुंॅचाई। लेकिन सभी मतदाताओं को पर्ची देने का दावा हकीकत से कोसों दूर रहा। इसके पीछे बीएलओ व लेखपालों का तर्क है कि उन्हें चुनाव के वक्त अतिरिक्त कार्य सौंप दिया गया। पीठासीन अधिकारियों के लिए पैकेट बनाने, समानों की सीलिंग, बूथ बनवाना, बूथ स्तर पर आवश्यक सामग्री के इंतजाम जैसी जिम्मेदारियों में वे फंसे रहे। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके नाम वोटर लिस्ट से गायब मिले। जो अपने मताधिकार के प्रयोग सें वंचित रहे। लौहर दक्षिण के मो. ताज, मो. जुबेर खां, अबुल हसन, तम्मुल निशा, महेसुआ ग्रामसभा के मुजीब खांन और भांई ग्रामसभा के अब्दुल रऊफ, सरफराज हुसैन समेत कई लोग ऐसे है जिनका इस बार वोटर लिस्ट से नाम गायब रहा और अपने मताधिकार के प्रयोग से वंचित रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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